मुंबई वार्ता संवाददाता

राज्य के किसान पहले से ही संकट से जूझ रहे थे, अब जोरदार बारिश ने उनकी परेशानी और बढ़ा दी है। इस बारिश से फसलों को भारी नुकसान हुआ है और कटाई के लिए तैयार फसल बह गई है। एक ओर प्रकृति क्रोधित है, तो दूसरी ओर राज्य की फडणवीस सरकार किसानों और जनता के खिलाफ नजर आ रही है। संकट में फंसे किसानों को मदद की सख्त जरूरत है। सरकार को पंचनामा जैसी औपचारिकताओं में न उलझते हुए पीड़ित किसानों को प्रति एकड़ 20 हजार रुपये की तत्काल सहायता देनी चाहिए, ऐसी मांग महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष हर्षवर्धन सपकाल ने की है।


गांधी भवन में मीडिया से बात करते हुए प्रदेशाध्यक्ष सपकाल ने कहा कि जब-जब किसान संकट में आया है, तब-तब कांग्रेस की सरकार ने बिना किसी हिचक के उसे मदद दी है। चाहे फसल पर रोग हो, लाल्या का हमला हो, ओलावृष्टि हो या अतिवृष्टि, हर आपदा में कांग्रेस ने किसानों को प्राथमिकता दी है। लेकिन मौजूदा सरकार सिर्फ पंचनामे करवाने और खोखले आश्वासन देने में ही व्यस्त है। खरीफ की शुरुआत में ही जब किसान संकट में है, तब सरकार को तत्काल मदद पहुंचानी चाहिए। अब तक कर्जमाफी की घोषणा नहीं हुई है, कम से कम कर्ज पुनर्गठन की प्रक्रिया तो शुरू होनी चाहिए। इसके अलावा खरीफ सीजन के लिए किसानों को मुफ्त बीज और खाद भी दिए जाने चाहिए।भारी बारिश ने भाजपा-शिंदे-एनसीपी गठबंधन सरकार के तमाम दावों की पोल खोल दी है। नहरें टूट गईं, जिससे राष्ट्रवादी कांग्रेस के भ्रष्टाचार का पर्दाफाश हुआ, और मुंबई में जलजमाव ने शिंदे गुट के भ्रष्टाचार की सुनामी सामने ला दी। करोड़ों रुपये खर्च करने के बावजूद मुंबई में जगह-जगह पानी भर गया और पूरी व्यवस्था ध्वस्त हो गई।
उन्होंने कहा कि एमएमआरडीए की रिपोर्ट के अनुसार भूमिगत मेट्रो मुंबई में संभव नहीं थी, फिर भी कुछ लोगों के हठ के कारण यह परियोजना चलाई गई, जिसके दुष्परिणाम अब सामने आ रहे हैं। रातोंरात हजारों पेड़ काटकर मेट्रो प्रोजेक्ट को जबरदस्ती लागू किया गया। सत्ता पक्ष का तथाकथित विकास केवल एक बारिश में उजागर हो गया, फिर भी यह लोग पिछली सरकारों पर दोष मढ़ रहे हैं। भाजपा और शिवसेना पिछले 25 वर्षों से मुंबई महानगरपालिका में सत्ता में हैं, एकनाथ शिंदे लगातार नगरविकास मंत्री रहे हैं – तो इस दौरान इन्होंने क्या किया? अब आरोप-प्रत्यारोप का खेल बंद कर सरकार को आत्ममंथन कर जनहित में काम करना चाहिए।
जब महाराष्ट्र प्राकृतिक आपदा से जूझ रहा है, तब राज्य का मंत्रिमंडल केवल अमित शाह की खुशामद में लगा हुआ है। सभी मंत्री, मुख्यमंत्री से लेकर नीचे तक, अपने पद बचाने की होड़ में हैं। चुनाव प्रचार के दौरान अमित शाह ने दो मुफ्त सिलेंडर, किसानों के लिए कर्जमाफी और बहनों को 2100 रुपये देने की बड़ी-बड़ी बातें की थीं, लेकिन अब वे सब भूल गए हैं। महाराष्ट्र पर आए संकट पर अमित शाह एक शब्द भी नहीं बोले। अब जब वे दिल्ली रवाना हो रहे हैं, तो कम से कम किसानों के लिए कर्जमाफी की घोषणा कर ही दें, क्योंकि राज्य सरकार तो उनके इशारों पर ही काम करती है – ऐसा तंज भी हर्षवर्धन सपकाल ने कसा।
इस पत्रकार वार्ता में प्रदेश कांग्रेस उपाध्यक्ष मोहन जोशी और कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता अतुल लोंढे भी उपस्थित थे।