■ दाम गिरने से किसान परेशान : शंकर ठक्कर
मुंबई वार्ता संवाददाता

अखिल भारतीय खाद्य तेल व्यापारी महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं कॉन्फडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के राष्ट्रीय मंत्री शंकर ठक्कर ने बताया भारत में वर्ष के सबसे बड़ी त्योहारी सीजन सर पर है। दूसरी तरफ अतिवृष्टि के कारण महाराष्ट्र और कुछ अन्य राज्यों में सोयाबीन की फसल बुरी तरह प्रभावित हुई है ऐसे में दाम बढ़ने की संभावना होती है लेकिन ऐन मोके पर अमेरिका और चीन के बीच टैरिफ वार के चलते अंतरराष्ट्रीय बाजार में पिछले दिनों काफी गिरावट दर्ज की गई है जिसका असर घरेलू बाजारों पर पड़ रहा है। ओर सोयाबीन की कीमतों में गिरावट देखने को मिल रही है।


सोयाबीन के दाम न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से काफी नीचे चल रहे हैं। इसके साथ ही मंडियों में सोयाबीन की आवक भी कम हो रही है। विश्लेषकों की मानें तो कमजोर उत्पादन और आवक के बीच भाव बढ़ना चाहिए, लेकिन सोयाबीन सस्ता हो रहा है। इसकी एक वजह सोयाबीन की मांग कमजोर होना भी है।मंडियों में सोयाबीन की नईआवक शुरू हो चुकी है। हालांकि यह पिछले साल से कम ही है। सोयाबीन की बेंचमार्क मंडी इंदौर में सोयाबीन 4,300 रुपये क्विंटल के करीब बिक रहा है।
महाराष्ट्र की मंडियों में भाव 3.500 से 4,000 रुपये क्विंटल के बीच चल रहे हैं। सोयाबीन के दाम एमएसपी से काफी नीचे हैं।केंद्र सरकार ने वर्ष 2025-26 के लिए सोयाबीन का एमएसपी 5,328 रुपये क्विंटल घोषित किया है, जबकि इंदौर के भाव पर ही देखा जाए तो सोयाबीन एमएसपी से 1,000 रुपये नीचे बिक रही है। मध्य प्रदेश में अन्य मंडियों में करीब 1500 रुपए एमएसपी से नीचे बिक रहा है। जबकि महाराष्ट्र में 1800 से ₹2000 नीचे बिक रहा है।
शंकर ठक्कर ने आगे कहा ज्यादा बारिश के चलते इस साल सोयाबीन का उत्पादन 105 लाख टन होने का अनुमान है। जबकि पिछले वर्ष यह 110 लाख टन था। लेकिन सरकार द्वारा एमएसपी की घोषणा करने के बाद वास्तव में खरीदी करने के वक्त एसएसपी के दामों पर खरीदी नहीं की जाती है जिससे किसान काफी परेशान है। मध्य प्रदेशमें भावांतर योजना लागू की गई है लेकिन इससे भी किसान खुश नहीं है। इसलिए सरकार द्वारा अगले साल ज्यादा फसल लेने के लिए किसानों को उचित दाम देने के प्रयत्न करने चाहिए।


