मुंबई वार्ता संवाददाता

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रवक्ता और युवा अध्यक्ष (मुंबई) अडवोकेट अमोल मातेले ने एसटी बस किराया वृद्धि के फैसले पर कड़ी आलोचना करते हुए इसे तुरंत वापस लेने की मांग की है। उन्होंने इस निर्णय के पीछे की गड़बड़ी और सरकार की भूमिका पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं।
सरकार की गड़बड़ी से जनता परेशान:
“अगर परिवहन मंत्री ने किराया वृद्धि का निर्णय नहीं लिया, तो फिर यह फैसला किसने किया? यह विभाग आखिर चला कौन रहा है?” ऐसा सवाल उठाते हुए उन्होंने सरकार की जवाबदेही पर सीधा हमला किया। “एक तरफ परिवहन मंत्री जिम्मेदारी से बचते हैं, तो दूसरी ओर उपमुख्यमंत्री अजित पवार इसका विरोध करते हैं। तो आखिर एसटी किराया वृद्धि का यह फैसला किसका है? सरकार के हर फैसले में केवल गड़बड़ी ही दिखाई देती है,” ऐसा अडवोकेट अमोल मातेले ने कहा।
क्या अधिकारियों को जिम्मेदार ठहराएंगे?
“अगर यह निर्णय अधिकारियों ने लिया है, तो उनके खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही? अच्छे फैसलों का श्रेय मंत्रियों को जाता है, लेकिन गलत फैसलों की जिम्मेदारी अधिकारियों पर डाली जाती है। यह सरकार की दोहरी नीति है। परिवहन विभाग कोई खेल का मैदान नहीं है। जनता को यह नाटक पसंद नहीं,” ऐसा कहते हुए अडवोकेट अमोल मातेले ने सरकार के अंदरूनी मतभेदों पर प्रकाश डाला।
सरकार के अंदरूनी विवाद:
“एसटी जैसी महत्वपूर्ण सेवा पर सरकार का कोई ठोस निर्णय नहीं है। मंत्री और अधिकारी केवल एक-दूसरे पर जिम्मेदारी डाल रहे हैं, और इसका खामियाजा आम जनता भुगत रही है। क्या सरकार के भीतर वाकई में ‘खेल-तमाशा’ चल रहा है?” अडवोकेट अमोल मातेले ने सीधा सवाल किया।
एसटी सेवा – आम जनता की जीवनरेखा:
“एसटी सेवा ग्रामीण और शहरी जनता के लिए एक जीवनरेखा है। किराया वृद्धि से गरीब और मध्यम वर्ग पर आर्थिक बोझ बढ़ता है। सरकार को तुरंत यह फैसला वापस लेकर जनता को राहत देनी चाहिए,” ऐसी ठोस मांग अडवोकेट अमोल मातेले की।
राजनीतिक जिम्मेदारी की आवश्यकता:
“सरकार को जनता के हित में काम करना चाहिए, लेकिन यहां केवल अंदरूनी झगड़े और फैसलों में गड़बड़ी देखने को मिल रही है। अगर सरकार को जनता की परवाह नहीं है, तो उसे सत्ता में बने रहने का नैतिक अधिकार नहीं है,” ऐसा कहते हुए अमोल मातेले सरकार पर गंभीर आरोप लगाए।