ज्ञानेंद्र मिश्र/स्तंभकार/मुंबई वार्ता

आज तड़के 2:00 बजे से 5:00 बजे के बीच में भारतीय सेना ने पाकिस्तान सीमा से लगभग 100 किलोमीटर अंदर जाकर नौ स्थानों पर हवाई हमले किए। भारत सरकार की तरफ से जो सूचना जारी की गई है, उसमें बताया गया है कि बहावलपुर और मुरीदके समेत नौ ठिकानों पर हमले किए गए, जिनमें लश्कर का सफाई कैंप, बिलाल कैंप, कोटली कैंप, बरनाला कैंप, जैश का सर्जन कैंप और महमूद कैंप शामिल हैं।


● एक कड़ा संदेश
सरकार ने स्पष्ट किया है कि उन्होंने फिलहाल केवल आतंकी ठिकानों को अपना निशाना बनाया है। हालांकि, पाकिस्तान ने पांच ठिकानों की बात मानी है, और पाकिस्तान स्थित बीबीसी संवाददाता ने भी मिसाइल हमलों की पुष्टि की है। यह जवाब भारतीय सरकार द्वारा वर्तमान विपक्ष को त्वरित संतुष्टि के लिए दिया गया है। आरंभ में ही सैनिक ठिकानों पर आक्रमण कर फुल फ्लेज्ड वार से भारत ने स्वयं को रोका है, ताकि पाकिस्तान के खेमे में विशेष कर सैनिक ठिकानों पर इन तबाहियों के चित्रों से खौफ का माहौल निर्मित हो।*मनोवैज्ञानिक चाल*यह एक मनोवैज्ञानिक चाल है, जिसे कहते हैं तिल तिल कर या पानी पिला पिला कर मारना। पहले पानी रोक दिया, फिर पानी छोड़ दिया, फिर 7 तारीख को भारत में मॉक ड्रिल का ऐलान किया, पाकिस्तानियों को लगा कि अब आक्रमण सात मई के बाद होगा, तो पता लगा 6 और 7 की दरमियानी रात में ही पाकिस्तान में घुसकर सर्जिकल स्ट्राइक करते हुए नौ ठिकानों को आतंकियों के नेस्तनाबूद कर दिया भारतीय सेना ने।
● आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई का विश्लेषण
आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में यह समझना आवश्यक है कि आतंकवादी संगठन कैसे काम करते हैं। आतंकियों का लक्ष्य जिहाद की राह में काफिरों को मारने पर इन्हें जन्नत नसीब होगा और 72 कुंवारी हूरों का सानिध्य और सुख भोग सकेंगे। अतः अगर एक आतंकवादी मरता है, तो उसके पीछे 100 तैयार रहते हैं अल्लाह की राह में स्वयं को कुर्बान कर जन्नत और हूरों का सुख भोग करने के लिए। तो आतंकवादियों को मारकर हमारी सेना तो वास्तव में उनकी दिली इच्छा की पूर्ति करती है, पुरस्कृत करती है, और नए-नए आतंकी तैयार करने के लिए प्रेरित करती है। और पाकिस्तान सेना को भी कोई फर्क नहीं पड़ता यदि हम आतंकी मारते हैं, क्योंकि उनको लगता है कि यह आतंकी पैदा ही हुए हैं मरने के लिए जिहाद के रास्ते पर और उनके पीछे सैकड़ो और तैयार हो ही रहे हैं मदरसों में।।
● आगे की रणनीति
अतः आतंकियों के साथ-साथ हमें उनके नियंत्रणकर्ताओं का भी वध करना होगा, अर्थात् आईएसआई और पाकिस्तान सेना के लोगों का वध किया जाना चाहिए। पाकिस्तान सेना को लगता है कि एक आतंकी मारा गया तो 100 तो तैयार हो रहे हैं मदरसों में, उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता है और जमीन तैयार करते रहते हैं वे लोग इन आतंकियों को तैयार करने की। जब तक भारत में एक हत्या के बदले सेना से जुड़े लोग, आईएसआई से जुड़े लोग नहीं मारे जाएंगे, आतंकी घटनाएं नियंत्रण में नहीं आएंगी।
● जयचंदों को निपटना होगा
भारत सरकार को आतंकी निर्मूलन पाकिस्तान में करने के साथ-साथ पाकिस्तान सेना के ठिकानों को लक्षित करते हुए समानांतर रूप से भारत के अंदर बैठे जयचंदों को भी निपटना होगा। बहुत ही बेहतरीन अवसर है जबकि पूरे भारत में पाकिस्तानी, बांग्लादेशी और रोहिंग्या विदेशियों को चिन्हित कर भगा देना है, और इस समय भारत का विपक्ष सकते में है, बैकफुट पर है, विरोध भी नहीं कर पाएगा। अपने आंगन में, आपकी आस्तीन में छुपे सांपों को निकाल कर खत्म करना समय की मांग है। आज तक़रीबन सारी दुनिया भारत के साथ खड़ी है,l- रस्मे-दुनिया भी है, मौका भी है, दस्तूर भी।