डाॅ धीरज फूलमती सिंह/ स्तंभकार/मुंबई वार्ता



मुंबई से बाहर के लोगो की क्या कहूँ, खुद मुंबई में भी बहुत कम लोगो को पता हैं कि मुंबई के प्रसिद्ध वड़ा पाव का आविष्कार कैसे हुआ! वड़ा पाव बनाने का आईडिया किसके दिमाग में आया?


दरअसल, वड़ा पाव की शुरुआत 1978 में अशोक वैद्य नामक शख्स ने की थी। दादर स्टेशन के बाहर उनका फूड स्टॉल था,उस समय उन्होंने आलू भाजी और चपाती खाने की बजाय आलू भाजी बनाई और उसे बेसन में डुबोकर उसका वड़ा तैयार किया,चपाती की जगह साथ में पाव परोसा गया। उस दौरान वड़ा पाव धीरे-धीरे प्रसिद्ध हो गया,क्योंकि यह सस्ता था और आम आदमी के लिए पेट भरने वाला था। यह बात 1978 के आसपास की है।
80 के दशक में कई लोगों ने वड़ापाव को आजीविका के साधन के रूप में देखा,क्योंकि इस दौरान मुंबई में अधिकांश मिलें बंद हो गई थी। मिल मजदूरो पर जीने का संकट आन पडा था। अपनी भागदौड़ भरी जिंदगी में अशोक वैद्य ने कई लोगों को दौड़ते हुए देखा था। तकलीफ में देखा,भरपेट भोजन के लिए जुझते देखा। वैसे कुछ लेखो में वडा पाव का इजाद 1960 और 1966 भी बताया गया है पर अधिकारिक तौर पर जो रिकार्ड उपलब्ध है,उसमे इसके इजाद का साल 1978 ही है। उस दौर में समय और धन की कमी के कारण लोगों को पेट भर खाना नहीं मिल पाता था। इसलिए अशोक वैद्य ने कम पैसे में पेट भरने वाला खाना बनाने का फैसला किया और वड़ापाव का आविष्कार किया।
आप को जानकर ताज्जुब होगा कि अशोक वैध जी पेशे से इंजिनियर थे। आज तो यह हालत है कि मुंबई के लगभग हर भोजन में वड़ा पाव वाला “पाव” शामिल हो गया है। मुंबई का वड़ापाव तो दुनियाभर में प्रसिद्ध है ही साथ ही उसका पाव भी आलू की तरह उपयोगी हो गया है। मुंबई के हर मुख्य आहार में चोरी छुपे पाव ने घुसपैठ कर ली है। मुंबई को पाव की नगरी कहेगे तो कोई अतिशयोक्ति नही होगी! मुंबई का शायद ही कोई व्यंजन हो जो पाव के बिना परिपूर्ण हो ।
मुंबई में बटाटा वडा पाव,मिसल पाव, उसळ पाव,भजी पाव,समोसा पाव के अलावा बैदा पाव, ऑमलेट पाव,भूर्जी पाव,घोटाला,खीमा पाव, कबाब पाव,सींक पाव आम तौर पर तो मिलता ही है।मुंबईकर चाय और दूध में डूबो कर भी पाव खाना पसंद करते है। मुंबई शायद पूरी दुनिया में इकलौता शहर है,जहां दही की लस्सी के साथ पाव खाने का रिवाज है। यहां मसाला पापड के साथ भी पाव खाया जाता है और तो और आप को पाव के बीच आइसक्रीम/कुल्फी डालकर भी लोग खाते नजर आ जायेंगे। सायन कोलीवाडा में लस्सी के साथ पाव और मुंबादेवी मंदिर इलाके के आसपास आपको मसाला पापड के साथ लोग पाव खाते आसानी से नजर आ जायेंगे!….है ना कुछ अजीब? दूसरो के बारे में क्या बोलू ? मैने खूद भी तीन-चार दफा लस्सी पाव,पापड पाव और आइसक्रीम पाव खाई है। एक तरह से कहूं तो मुंबई के जीवन में पाव रच बस गया है। अब तो लगभग आमतौर पर 126 तरह के अलग-अलग फ्लेवर और इन ग्रेडियंट में मुंबईया पाव मिलने लगे है।