शुष्क मौसम और रोगों के कारण उत्पादन प्रभावित
चीनी का उत्पादन कम होने के अनुमान के बावजूद सरकार द्वारा मोलासेस से बनने वाले एथेनॉल के दाम बढ़ाना गलत निर्णय : शंकर ठक्कर
मुंबई वार्ता संवाददाता
अखिल भारतीय खाद्य तेल व्यापारी महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं कॉन्फडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के राष्ट्रीय मंत्री शंकर ठक्कर ने बताया चीनी उत्पादन 26.52 मिलियन टन रहने का अनुमान है, जो पिछले सीजन के अनुमानित 31.9 मिलियन टन से 16.9 प्रतिशत कम है।व्यापार निकाय के द्वारा जारी किए आंकड़ों के मुताबिक 2024-25 में भारत का चीनी उत्पादन 17% घटकर 26.52 मिलियन टन रह सकता है।
अखिल भारतीय चीनी व्यापार संघ ने इस सीजन (अक्तूबर-सितंबर) में चीनी उत्पादन 26.52 मिलियन टन रहने का अनुमान लगाया है, जो पिछले सीजन के अनुमानित 31.9 मिलियन टन से 16.9 प्रतिशत कम है। इसने 30 सितंबर, 2025 तक के लिए बंद स्टॉक अनुमान को भी घटाकर 4.5 मिलियन टन कर दिया है।अगर अनुमान सही साबित होते हैं, तो कई वर्षों में यह पहली बार होगा कि एक सीजन से दूसरे सीजन तक बचा हुआ स्टॉक घरेलू खपत के दो महीने से भी कम होगा। त्योहारी मांग के कारण उद्योग द्वारा अक्तूबर-नवंबर में दो महीनों की आवश्यकता 4.8-5 मिलियन टन आंकी गई है।
एक बयान में कहा कि व्यापार निकाय की फसल समिति ने विभिन्न स्रोतों से प्राप्त फीडबैक के अनुसार गहन चर्चा की और चालू सीजन में शुद्ध सुक्रोज उत्पादन 26.52 मिलियन टन पर पहुंच गया। हालांकि, अनुमानों में 2 प्रतिशत (प्लस या माइनस) का अंतर हो सकता है। व्यापार निकायने कहा कि शुद्ध चीनी उत्पादन में इथेनॉल के उत्पादन के लिए सुक्रोज डायवर्जन को भी शामिल किया गया है, जिसका अनुमान लगभग 4 मीट्रिक टन है। “चालू सीजन में उत्तर प्रदेश में चीनी उत्पादन में गिरावट का मुख्य कारण पश्चिमी क्षेत्र में लाल सड़न रोग का फैलना और पूर्वी क्षेत्र में बाढ़ है, गन्ने में कम ध्रुवीकरण (POL) होने के कारण चीनी की कम रिकवरी हुई है।”
उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में, अनियमित बारिश और फसल में फूल आने की समस्या के कारण किसानों को गन्ने की कम उपज का एहसास हुआ है।महाराष्ट्र में मिलें जल्दी बंद होने की संभावना है क्योंकि राज्य में कई चीनी मिलों की पेराई क्षमता में पर्याप्त वृद्धि हुई है, हालांकि पिछले साल की तुलना में चालू मिलों की संख्या कम है।व्यापार निकाय के अनुमानों में चीनी की खपत 29 मिलियन टन, निर्यात 1 मिलियन टन और 2023-24 सीजन का कैरीओवर स्टॉक 7.98 मिलियन टन रहने का अनुमान लगाया गया है।
निर्यात को छोड़कर घरेलू बाजार के लिए कुल उपलब्धता 33.5 मिलियन टन रहने का अनुमान लगाया गया है। 25 जनवरी को मुंबई में चीनी उत्पादन के अनुमान पर एक दिवसीय सेमिनार आयोजित किया था, जिसमें चीनी मिलों, रिफाइनरियों, व्यापारियों, अंतरराष्ट्रीय व्यापार घरानों, शोधकर्ताओं, विश्लेषकों और सर्वेक्षणकर्ताओं का प्रतिनिधित्व करने वाले लगभग 100 प्रतिभागियों ने सर्वेक्षण में हिस्सा लिया।
नेशनल फेडरेशन ऑफ को-ऑपरेटिव शुगर फैक्ट्रीज (एनएफसीएसएफ) के अनुसार, 1 अक्टूबर 2024 से 15 जनवरी 2025 के बीच लगभग 148.21 मिलियन टन गन्ने की पेराई की गई है, जो पिछले साल की समान अवधि के 161.28 मिलियन टन से 8 प्रतिशत कम है। चालू सीजन में इसी अवधि के दौरान कुल चीनी उत्पादन 13.06 मिलियन टन रहा, जो एक साल पहले के 15.12 मिलियन टन से 13.65 फीसदी कम है।
एनएफसीएसएफ की 15 जनवरी तक की नवीनतम पेराई रिपोर्ट के अनुसार, इस साल 507 मिलें गन्ने की पेराई कर रही हैं, जबकि एक साल पहले यह आंकड़ा 524 था। हालांकि उत्तर प्रदेश में पिछले साल के 120 के मुकाबले इस साल 122 मिलें चालू हैं, लेकिन महाराष्ट्र में इस साल चालू मिलों की संख्या 196 है, जबकि एक साल पहले यह आंकड़ा 206 था। हालांकि, कर्नाटक में इस साल चालू मिलों की संख्या पिछले साल के 74 के मुकाबले 77 है। उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और कर्नाटक देश के शीर्ष तीन चीनी उत्पादक हैं, जिनकी राष्ट्रीय उत्पादन में संयुक्त हिस्सेदारी लगभग 80 फीसदी है।
शंकर ठक्कर ने आगे कहा चीनी के उत्पादन मैं बड़ी गिरावट का अनुमान है और दूसरी तरफ सरकार द्वारा मोलासेस से बनने वाले एथेनॉल के दाम बढ़ाने का निर्णय लिया है यह सरासर गलत है। इथेनॉल के दाम बढ़ने से गन्ने का इस्तेमाल इथेनॉल बनाने के लिए बढ़ेगा दूसरी तरफ उत्पादन कम है ऐसे में चीनी के दाम बढ़ाने की संभावना होगी और इथेनॉल के दाम यदि कच्चे तेल के मुकाबले नीचे नहीं होंगे तो पेट्रोलियम पदार्थों में इसका मिश्रण करना वाजिब नहीं होगा यानी कच्चे तेल में से बनने वाले पेट्रोलियम पदार्थ के दाम के करीब के दामों पर ही खरीदी कर सरकार नुकसान की स्थिति में आ सकती है इसलिए सरकार को इस फैसले पर पुनः विचार करना चाहिए।


