■धांधली करने वाले निजी एवं चैरिटेबल अस्पतालों के लाइसेंस किए जाए रद्द।
मुंबई वार्ता/श्रीश उपाध्याय

:चैरिटेबल एवं निजी अस्पतालों में गरीब मरीजों के इलाज को लेकर बड़े पैमाने पर धांधली शुरू है। इस धांधली को रोकने के लिए सरकार द्वारा इन अस्पतालों के कामकाज में पारदर्शिता लाने की ओर सख्ती की जानी चाहिए।” इस प्रकार की मांग करते हुए महाराष्ट्र कॉंग्रेस के महासचिव राजेश शर्मा ने मुख्यमंत्री देवेन्द्र फड़णवीस को एक पत्र लिखा है।


राजेश शर्मा ने मांग की है कि अक्सर चैरिटेबल एवं निजी अस्पताल गरीब मरीजों के इलाज की ओर अनदेखी करते हैं और उन्हें सरकारी सुविधानुसार इलाज मुहैया नहीं करते हैं। नियमानुसार सभी निजी अस्पतालों में गरीब मरीजों के मुफ्त इलाज के लिए 10% जगह और अर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लोगों के इलाज हेतु आधी दर पर 10% जगह की व्यवस्था की जानी चाहिए। लेकिन ज्यादातर निजी अस्पतालों में इस नियम की पूरी तरह से अनदेखी की जाती है। इसलिए सभी अस्पतालों में एक लीट-बोर्ड लगाकर अस्पताल में उक्त 20% वाले बेड की जानकारी देनी चाहिए। इसके अलावा राज्य के चैरिटेबल अस्पताल पोर्टल पर खाली बेड की जानकारी उपलब्ध की जानी चाहिए। यह सभी जानकारी सरकारी अस्पतालों में नेट पर उपलब्ध होनी चाहिए जिससे सरकारी अस्पताल जरूरतमंद मरीजों को संबंधित अस्पतालों में भेज सके और निजी अस्पतालों में गरीबों के लिए आरक्षित बेड की धांधली न हो सके।


राजेश शर्मा ने यह भी कहा कि पीले रंग के सभी राशनकार्ड धारक का इलाज मुफ्त में और ऑरेंज राशनकार्ड वाले लोगों का आधे दर पर इलाज करने की सुविधा देते समय ज्यादा से ज्यादा संबंधित मरीजों का आधार कार्ड देखना चाहिए ना कि उसके आयकर इत्यादि की जांच करानी चाहिए। इसके अलावा इस सुविधा के लिए किसी भी राजनीतिक नेता के सिफारिश पत्र की आवश्यकता नहीं होनी चाहिए। गरीबों के इलाज के नाम पर धांधली करने वाले निजी अस्पतालों के लाइसेंस रद्द किए जाने चाहिए।
राजेश शर्मा ने पत्र के माध्यम से सरकार को चेताया और कहा कि यदि सरकार इन मांगों के अनुसार कार्रवाई नहीं करेगी तो कानून के साथ ही आंदोलन का सहारा भी लिया जाएगा।