● २ लाख जमाकर्ताओं के ३,३१७ करोड़ रुपये फंसे
मुंबई वार्ता/सतीश सोनी

प्रदेश भर में बहुचर्चित ज्ञानराधा मल्टीस्टेट क्रेडिट सोसायटी में हुए वित्तीय घोटाले की जांच में बड़ी प्रगति हुई है। यह जांच, जो पहले आर्थिक अपराध शाखा द्वारा की जा रही थी, अब सीधे आपराधिक जांच विभाग (सीआईडी) को सौंप दी जाएगी। इसके लिए आवश्यक प्रक्रिया पूरी हो चुकी है और केवल लिखित आदेश जारी होने का इंतजार है।
ज्ञानराधा पतसंस्था का मुख्यालय बीड में स्थित है। पूरे राज्य में इसकी ५१ शाखाएँ कार्यरत थीं। संस्था के प्रशासन में बड़े पैमाने पर अनियमितताओं के कारण २ लाख से अधिक जमाकर्ताओं का ३,३१७ करोड़ रुपये का निवेश अटका हुआ है। इससे यह चिंता पैदा हो गई है कि कई नागरिकों का जीवन बर्बाद हो जाएगा।
आर्थिक अपराध शाखा ने ‘एमपीआईडी’ (महाराष्ट्र जमाकर्ताओं के हितों का संरक्षण अधिनियम) के तहत इस मामले के मुख्य आरोपी सुरेश कुटे के परिवार सहित निदेशक मंडल की ८० संपत्तियों को कुर्क करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। सरकार ने इसके लिए प्रस्तुत प्रस्ताव को भी मंजूरी दे दी है।केंद्र सरकार की आर्थिक जांच एजेंसी (ईडी) ने भी इस मामले पर संज्ञान लिया है।
ईडी की प्रारंभिक जांच से पता चला है कि कुटे ने बड़ी मात्रा में धनराशि हांगकांग स्थानांतरित की थी। परिणामस्वरूप, यह मामला और अधिक गंभीर हो गया है और संकेत मिल रहे हैं कि यह एक अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय अपराध है।विधानसभा में ज्ञानराधा घोटाले से उत्पन्न वित्तीय संकट पर भी विचार किया गया। कई विधायकों ने जमाकर्ताओं की सुरक्षा के लिए तत्काल और सख्त कार्रवाई की मांग की।
इस बीच, जमाकर्ताओं के संघों ने न्याय की मांग के लिए अपना आंदोलन जारी रखा है और अब जबकि जांच सीआईडी को सौंप दी गई है, दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की उम्मीद है।