टूट सकता है महाराष्ट्र में NDA गठबंधन !

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● पूर्व महाराष्ट्र कॉंग्रेस अध्यक्ष नाना पटोल के बयान में है कितना दम ?

श्रीश उपाध्याय/मुंबई वार्ता

महाराष्ट्र कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष नाना पटोले ने शुक्रवार को होली के रंग में राजनीतिक रंग मिला दिया। होली के अवसर पर पटोले ने उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और अजित पवार को बड़ा ऑफर दे दिया। पटोले ने महायुति के दोनों नेताओं से कहा कि अगर उन्हें फडणवीस के नेतृत्व में घुटन महूसस हो रही है तो वे सीएम फडणवीस के बिना सरकार बनाएं। कांग्रेस इसके लिए शिंदे और पवार के साथ सहयोग करने के लिए तैयार है।

नाना पटोले ने महाराष्ट्र के राजनीतिक परिदृश्य में संभावित बदलाव का संकेत देते हुए कहा कि अगर देवेंद्र फडणवीस आपको परेशान कर रहे हैं, तो हम आपके साथ खड़े होने और सरकार बनाने के लिए तैयार हैं। पटोले ने यह बयान होली के मद्देनजर हल्के-फुल्के अंदाज में दिया। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष हर्षवर्धन सपकाल ने पटोले के बयान पर विस्तार से बात करने और इस सवाल का जवाब देने से इनकार कर दिया कि क्या वह पूर्व राज्य पार्टी प्रमुख के साथ एक ही दृष्टिकोण पर हैं। इस पर उन्होंने कहा कि बुरा न मानो होली है। इससे आगे मैं कुछ नहीं बोलूंगा।

पटोले ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ गठबंधन करने के बाद से अपने राजनीतिक दृष्टिकोण को कथित रूप से बदलने के लिए शिंदे और पवार की आलोचना की।

उन्होंने कहा कि इससे पहले, इन दोनों नेताओं ने महाराष्ट्र के विकास को प्राथमिकता दी और पार्टी लाइनों से ऊपर सहयोग किया। लेकिन मोदी के प्रभाव में आने के बाद, उन्होंने तथ्यों को बढ़ा-चढ़ाकर पेश करना शुरू कर दिया है।उन्होंने कहा कि मैं उनसे नकारात्मकता को दूर करने और लोगों के कल्याण पर ध्यान केंद्रित करने का आग्रह करता हूं।

बता दें, यह प्रस्ताव फडणवीस और उनके दो उप-मंत्रियों के बीच तनातनी की खबरों के बीच आया है, जिससे महायुति महाराष्ट्र सरकार में दरार की अटकलों को बल मिला।

हालाकि राजनीतिक जानकारों की मानें तो नाना पटोल की बात कोरी राजनीतिक बयानबाजी से अधिक कुछ नहीं है. महाराष्ट्र विधानसभा में कुल 288 विधायक है. सरकार बनाने के लिए 145 विधायकों की आवश्कता होती है. यदि दोनों शिवसेना, दोनों NCP, कॉंग्रेस और समाजवादी पार्टी मिल जाएं तब वे इस जादुई आंकड़े तक पहुंचेंगे. जो कि नाको चने चबाने जैसा ही है.

राजनीतिक जानकारों के अनुसार एकनाथ शिंदे किसी भी हालत में भाजपा से अलग नहीं हो सकते. अगर उन्होंने ऐसा किया तो एक बार फिर से शिवसेना टूटेगी और एकनाथ शिंदे के हाथ से शिवसेना पार्टी की कमान छूट जाएगी.

उधर शरद पवार भी अजीत पवार की किसी एक खराब चाल की ताक में बैठे हैं. एक छोटी सी भी गलती अजीत पवार को काफी भारी पड़ सकती है. इसलिए दोनों उपमुख्यमंत्री भाजपा के रहमोकरम पर हैं औऱ अपनी राजनीतिक अभिलाषाओ को पाने के लिए याचना कर सकते हैं रण नहीं.

महाराष्ट्र में कुल 288 विधानसभा में से

भाजपा-132

शिवसेना- 57

राष्ट्रवादी कॉंग्रेस पार्टी (अजीत पवार)- 41

उबाठा- 20

कॉंग्रेस- 16

राष्ट्रवादी कॉंग्रेस पार्टी (शरद पवार)- 10

समाजवादी पार्टी- 2

अन्य-10 विधायक है.

ऐसे राजनीतिक गणित में भाजपा जब चाहे, ‘येन केन प्रकारेण’ 14 विधायकों का इंतजाम सत्ता में बने रहने के लिए कर सकती है.

राजनीतिक जानकारों के अनुसार इस राजनीतिक परिपेक्ष्य में नाना पटोल की बयानबाजी सिर्फ राजनीतिक स्टंट से ज्यादा कुछ भी नहीं दिखती है.

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