मुंबई वार्ता संवाददाता

दूध व्यवसाय भारतीय कृषि क्षेत्र का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसमें दूध संकलन, प्रक्रिया और बिक्री जैसी तीन प्रमुख गतिविधियाँ होती हैं। इनमें से दूध संकलन केंद्र सबसे पहली और अहम कड़ी है, जो दूध प्रक्रिया केंद्र और दूध उत्पादकों के बीच एक सेतु का कार्य करता है। इस व्यवसाय के माध्यम से बेरोजगार युवाओं को रोजगार के अवसर प्राप्त होते हैं। दूध योजना केंद्र संचालकों की मांगों पर विचार करने और इस व्यवसाय के विकास के लिए ठोस उपाय करने के निर्देश दुग्ध व्यवसाय विकास मंत्री अतुल सावे ने दिए हैं।
मंत्रालय में मंत्री अतुल सावे की अध्यक्षता में बृहन्मुंबई दूध योजना केंद्रचालक वेल्फेयर एसोसिएशन और महाराष्ट्र दूध वितरक सेना की मांगों को लेकर एक बैठक आयोजित की गई। इस दौरान मंत्री सावे ने कहा कि दूध व्यवसाय का विस्तार ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करता है, इसलिए इस क्षेत्र का विकास अत्यंत आवश्यक है। दूध व्यवसाय को सशक्त बनाने और इससे जुड़े लोगों को बेहतर सुविधाएँ उपलब्ध कराने के लिए सरकार पूरी तरह से प्रतिबद्ध है।
इस बैठक में दूध वितरकों, केंद्र संचालकों और राज्य के दुग्धशालाओं में कार्यरत कर्मचारियों की समस्याओं पर भी चर्चा की गई। इन समस्याओं के समाधान के लिए उचित उपाय किए जाने चाहिए, ऐसा निर्देश भी मंत्री सावे ने अधिकारियों को दिया।
बैठक में दुग्ध व्यवसाय विकास विभाग के सचिव डॉ. रामास्वामी एन. और विभाग के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।