■ श्रीमद्भागवत कथा में बड़ी संख्या में जुट रहे श्रद्धालु
वरिष्ठ संवाददाता /मुंबई वार्ता

विश्व मानव कल्याण ट्रस्ट और झा परिवार के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा में व्यासपीठ से पूज्य आचार्य डॉ. अशोक मिश्र ने शनिवार को महारास लीला, उद्धव ब्रज गमन तथा कृष्ण रुक्मिणी विवाह के प्रसंग की कथा प्रस्तुत की।


बोरीवली पश्चिम के एलटी रोड, वजीरा नाका स्थित आचार्य नरेंद्र देव विद्यालय परिसर में चल रही श्रीमद्भागवत कथा में व्यासपीठ से डॉ. मिश्र ने प्रसंग की व्याख्या करते हुए कहा कि श्रीमद्भागवत महापुराण में महारास लीला भक्त एवं भगवान के आध्यात्मिक मिलन का प्रतीक है। जबकि उद्धव का ब्रज गमन और उनका गोपियों के साथ संवाद ज्ञान और प्रेम के अंतर को स्पष्ट करता है। भगवान श्री कृष्ण ने इससे यह सिद्ध किया है कि ज्ञान से प्रेम अधिक श्रेष्ठ है। इसी कड़ी में रुक्मिणी विवाह का प्रसंग संकल्पित प्रेम को सर्वोपरि बताता है। कन्या का विवाह उसकी इच्छा के विरुद्ध न कर के, उसकी पसंद को ध्यान में रखकर करना चाहिए।


व्यासपीठ से डॉ. मिश्र महाराज ने कहा कि विदर्भ के राजा भीष्मक अपनी पुत्री रुक्मिणी के विवाह के लिए योग्य वर की तलाश कर रहे थे। राजा के दरबार में श्रीकृष्ण के साहस और वीरता की कहानियां सुनकर देवी रुक्मिणी ने उन्हें मन ही मन अपना पति मान लिया था। भीष्मक का पुत्र रुक्म अपने मित्र शिशुपाल से रुक्मणी का विवाह करना चाहता था।रुक्मिणी ने अपने प्रेम की बात संदेश के जरिए श्रीकृष्ण तक पहुंचाई। श्रीकृष्ण रुक्मिणी को संकट में देख विदर्भ राज्य पहुंचे। शिशुपाल जब विवाह के लिए द्वार पर आया तो कृष्ण ने रुक्मिणी का हरण कर लिया। इसके बाद भयंकर युद्ध हुआ और द्वारकाधीश कृष्ण विजयी हुए। कृष्ण रुक्मिणी को द्वारका ले आए और उनसे विवाह किया।
-दूल्हा बने रे नंदलाल के रुकमणी दुल्हन बनी, रुक्मणि पहनी है सतरंगी साड़ी, पीताम्बर नंदलाल के रुक्मणि दुल्हन बनी। इस अवसर पर आयोजन समिति के सुनील झा, अमित झा, पूर्व सांसद गोपाल शेट्टी, जयप्रकाश ठाकुर, विनोद तिवारी, आर. यू. सिंह, करुणाशंकर ओझा, एड जयप्रकाश मिश्र, कीर्ति दानी, रामबली सिंह, रमेश जैन, शिवकुमार झा, संतोष अग्रवाल, महेंद्र दीक्षित, उमाशंकर मिश्र आदि उपस्थित थे।