देश दुनिया में बदलाव के संकेत, सूर्य ने किया मेष राशि में प्रवेश।

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■ ‘मेष संक्रांति’ से प्राकृतिक आपदा और सत्ता परिवर्तन का इशारा

■ खरमास का हुआ समापन, सोमवार से मांगलिक कार्यों की शुरुआत

● सौर नववर्ष प्रारंभ, 14 अप्रैल से 8 जून तक खूब बजेगी शहनाई

वरिष्ठ संवाददाता/ मुंबई वार्ता

ग्रहों के राजा सूर्यदेव ने मीन राशि से निकलकर मेष राशि में प्रवेश कर लिया है। सूर्य का यह राशि परिवर्तन प्राकृतिक आपदा और कई जगह सत्ता परिवर्तन का संकेत दे रहा है। सूर्य की मेष संक्रांति के चलते देश दुनिया में व्यापक बदलाव का इशारा भी मिल रहा है। साथ ही किसी देश में अथवा देश के किसी राज्य में सत्ता परिवर्तन हो सकता है।

सूर्यदेव ने सोमवार 14 अप्रैल को प्रातः 3:21 बजे मीन राशि से निकलकर मेष राशि में गोचर किया है। सूर्य के इस राशि परिवर्तन का सभी जातकों पर प्रभाव देखने को मिलेगा।ज्योतिषाचार्य डॉ. अशोक मिश्र ने बताया कि सूर्यदेव सोमवार 14 अप्रैल को मेष राशि में गोचर कर चुके हैं। अब सूर्य इस राशि में 15 मई तक रहने वाले हैं।

मंगल ग्रह की राशि मेष सूर्य की उच्च राशि है, इस राशि में आने से सूर्य और भी मजबूत हो जाते हैं। सूर्यदेव अब तक मीन राशि में थे, जिससे खरमास लगा हुआ था लेकिन सूर्य के मेष राशि में आने से खरमास भी समाप्त हो गया है। इसके साथ ही शुभ व मांगलिक कार्यक्रम फिर से शुरू हो जाएंगे।

सूर्य जब राशि परिवर्तन करते हैं, तब उसका प्रभाव देश दुनिया में जरूर पड़ता है। सूर्य की मेष संक्रांति का महत्वडॉ. मिश्र के अनुसार काल खंड की बारह राशियों में मेष पहली राशि होती है, इसलिए इससे सौर वर्ष की शुरुआत मानी जाती है। मेष संक्रांति से तमिल, मलयालम, ओडिया, बंगाल समेत कई जगहों पर नववर्ष का पहला दिन मनाया जाता है। सौर कैलेंडर की शुरुआत भी सूर्य के मेष राशि में आने पर होती है। चूंकि सूर्यदेव पृथ्वी पर प्रत्यक्ष देवता हैं इसलिए इनकी संक्रांति देश और दुनिया को प्रभावित करती है। सूर्यदेव को अर्घ्य देते समय तांबे के लोटे में जल, अक्षत, गुड़हल का फूल अवश्य रखें, ऐसा करने से मान-सम्मान और यश व वैभव में की प्राप्ति होती है।

सूर्य गोचर के साथ खरमास खत्मग्रहों के राजा सूर्य मेष में गोचर कर चुके हैं। इसी के साथ खरमास भी खत्म हो गया है। इसी के साथ शुभ व मांगलिक कार्य भी शुरू हो जाएंगे। सूर्य मेष राशि में 15 मई तक रहेंगे, इसके बाद वृषभ राशि में गोचर कर जाएंगे। मेष सूर्य की उच्च राशि मानी जाती है। इस राशि में सूर्य के शक्ति और तेज मिलता है। मंगल और सूर्य के बीच मित्रता पूर्ण रिश्ते हैं, जिससे कई राशियों को अच्छा फायदा मिलेगा।

14 अप्रैल से 8 जून तक शादी-विवाह मुहूर्तअप्रैल में विवाह के कुल 9 मुहूर्त बन रहे हैं। इनमें एक ऐसा दिन है जिसमें बिना मुहूर्त देखे सारे शुभ कार्य किए जा सकते हैं, ये है अक्षय तृतीया। बुधवार 30 अप्रैल को अक्षय तृतीया के दिन किए गए मांगलिक कार्य, खरीदारी, नए काम की शुरुआत का तीन गुना फल मिलता है। अप्रैल में 14, 15, 16, 17, 18, 20, 25, 29 और 30 तारीख को शुभ मुहूर्त हैं। मई में सबसे अधिक विवाह मुहूर्त रहेंगे। मई में 1, 5, 6, 8, 10, 14, 15, 16, 17, 18, 22, 23, 24, 27, 28 तारीख शुभ मुहूर्त है। जून में 1, 2, 3, 4, 5, 7 व 8 को विवाह के लिए उत्तम हैं। 6 जुलाई से लेकर नवम्बर तक चातुर्मास के कारण मांगलिक कार्य बंद रहेंगे। चातुर्मास के बाद 18 नवंबर से शुभ मुहूर्त शुरू हो जाएंगे। नवंबर में 18, 21, 22, 23, 25, 30 और दिसंबर में विवाह के लिए 4, 5, 6 तारीख शुभ है।

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