● अहिल्यादेवी होलकर त्रिशताब्दी जयंती समारोह समिति का आयोजन
● अहिल्यादेवी होलकर के वंशज उदयराजे होलकर भी रहे मौजूद
वरिष्ठ संवाददाता/ मुंबई वार्ता

भारत भूमि सदा से ही वीरांगनाओं और लोकनायिकाओं की जननी रही है। ऐसी ही एक महान विभूति थीं पुण्यश्लोक माता अहिल्यादेवी होलकर, जो भारतीय परंपरा में सुशासन और लोककल्याण की मूर्तरूप मानी जाती हैं। यह विचार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने व्यक्त किए। वे दादर पूर्व स्थित शिवाजी राजा विद्यालय में पुण्यश्लोक अहिल्यादेवी होलकर की त्रिशताब्दी जयंती समारोह में बोल रहे थे।


पुण्यश्लोक अहिल्यादेवी होलकर त्रिशताब्दी जयंती समारोह समिति, मुंबई महानगर द्वारा आयोजित कार्यक्रम में उन्होंने आगे कहा कि अल्प समय में ही उन्होंने न केवल एक आदर्श सुराज्य की स्थापना की, बल्कि सामाजिक समरसता, न्याय और सुरक्षा के मजबूत स्तंभ भी निर्मित किए। वे भारतीय नारीशक्ति की कालजयी प्रतीक हैं।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित पुण्यश्लोक अहिल्यादेवी होलकर के वंशज उदयराजे होलकर ने अपने संबोधन में कहा कि अहिल्यादेवी एक दूरदर्शी शासिका थीं, जिन्होंने महेश्वर में सूर्यघड़ी का निर्माण कर भारत की सांस्कृतिक, खगोलशास्त्रीय और वैज्ञानिक चेतना को अभिव्यक्त किया। वे यह मानती थीं कि गोमाता ही भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ है, और उन्हीं के संरक्षण से समृद्धि संभव है।
उल्लेखनीय है कि त्रिशताब्दी जयंती वर्ष के अंतर्गत विभिन्न कार्यक्रमों एवं संगोष्ठियों के माध्यम से पुण्यश्लोक अहिल्यादेवी होलकर के प्रेरणास्पद जीवन एवं उनके योगदान को जनमानस तक पहुंचाने का प्रयास किया जा रहा है।
कार्यक्रम के दौरान अहिल्यादेवी द्वारा काशी, गया, द्वारका, रामेश्वरम जैसे तीर्थस्थलों में कराए गए पुनर्निर्माण कार्यों की जानकारी भी दी गई, जो यह दर्शाता है कि वे केवल एक राजनेत्री ही नहीं, अपितु एक राष्ट्र नायिका भी थीं जिनकी दृष्टि भारत के धार्मिक पुनर्जागरण और सांस्कृतिक समृद्धि पर केंद्रित थी।