नई फसल बिमा योजना का ‘फडणवीस पैटर्न’ किसानों के साथ अन्याय: हर्षवर्धन सपकाल।

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● किसानों के लिए फसल बीमा कवच जरूरी है; पहले जैसी बीमा योजना दोबारा शुरू करें, नहीं तो किसान और कांग्रेस चुप नहीं बैठेंगे।

● बीड फसल बीमा पैटर्न में शामिल भ्रष्टाचारियों को सरकार का संरक्षण; कार्रवाई करने की हिम्मत दिखाएं।

● सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के बाद एफआईआर दर्ज मंत्री राधाकृष्ण विखे पाटील का इस्तीफा कब लिया जाएगा?

● प्रिय उद्योगपतियों के बाद क्या सरकार ने ‘प्रिय पुलिस अधिकारी योजना’ भी शुरू की है ?

मुंबई वार्ता संवाददाता

मंगलवार को कैबिनेट बैठक में फसल बीमा योजना में किया गया ,बदलाव पूरी तरह गलत और किसानों पर अन्यायपूर्ण है। पिछले 25 वर्षों से चल रही योजना को बंद करने की कोई आवश्यकता नहीं थी। अगर योजना में खामियां थीं, तो उन्हें सुधारा जा सकता था, नई तकनीक का उपयोग किया जा सकता था, लेकिन पूरी योजना ही बदल देने से किसानों को नुकसान होगा। यह नया ‘फडणवीस फसल बीमा पैटर्न’ अव्यावहारिक है और इसे रद्द कर पहले जैसी योजना लागू की जाए, अन्यथा कांग्रेस और किसान सड़क पर उतरेंगे, ऐसा चेतावनी कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष हर्षवर्धन सपकाल ने दी।

छत्रपती संभाजीनगर में पत्रकारों से बात करते हुए सपकाल ने कहा कि चुनाव से पहले किए गए वादे महज दिखावे के लिए थे, यह सरकार के फैसले से फिर सिद्ध हो गया है। एक रुपये में बीमा योजना को चालू रखने में कोई दिक्कत नहीं थी। घोटालों की जांच करने की बजाय पूरी योजना ही बदलने का यह प्रयास किसानों के साथ विश्वासघात है। अब प्राकृतिक आपदा, मौसम की अनिश्चितता और फसल कटाई के बाद होने वाले नुकसान की भरपाई योजना से हटा दी गई है और केवल फसल कटाई के आंकड़ों पर आधारित मुआवजा देने की नीति अपनाई गई है, जिससे किसानों का नुकसान और ज्यादा होगा और कर्ज बढ़ेगा।फसल कटाई रिपोर्ट के आधार पर मुआवजा देने की यह पद्धति मराठवाड़ा और विदर्भ जैसे सूखा-प्रभावित क्षेत्रों के किसानों के लिए उपयुक्त नहीं है। वर्तमान में इन क्षेत्रों में अधिकतर रिपोर्ट्स सिर्फ कागजों पर बनती हैं। ऐसे में सरकार को सूखा प्रभावित इलाकों के लिए विशेष प्रावधान करना चाहिए।एक रुपये की बीमा पद्धति बंद करने की बजाय, सरकार को बीमा कंपनियों पर दबाव डालकर किसानों को सही मुआवजा दिलाने का काम करना चाहिए था। साथ ही सरकार को गारंटी देनी चाहिए कि प्राकृतिक आपदाओं से होने वाला नुकसान राष्ट्रीय व राज्य आपदा राहत कोष से भरपाई किया जाएगा।

उन्होंने कहा कि बीड पैटर्न के अनुसार 110% तक बीमा कंपनियां और उससे ज्यादा नुकसान होने पर सरकार खुद भरपाई करे, इसकी गारंटी दी जानी चाहिए। बीमा योजना में भ्रष्टाचार सिद्ध हो चुका है, फिर भी सरकार दोषियों पर कार्रवाई नहीं कर रही है। उल्टा कृषि मंत्री किसानों की तुलना भिखारियों से करते हैं, और कहते हैं कि कर्जमाफी का पैसा सगाई में इस्तेमाल किया जाता है। इससे भाजपा सरकार की किसान विरोधी मानसिकता उजागर होती है।

● मंत्री राधाकृष्ण विखे पाटील का इस्तीफा कब होगा?

किसानों के नाम पर लिए गए कर्ज को उनके बीच वितरित करने की बजाय, राधाकृष्ण विखे पाटील ने उसे अपने चिनी मिल के लिए उपयोग किया। इस पर माननीय सुप्रीम कोर्ट ने कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। अब सरकार उनका इस्तीफा कब लेगी? यह सवाल भी कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष ने उठाया।

● प्रिय उद्योगपति के बाद ‘प्रिय पुलिस अधिकारी’

मुंबई पुलिस आयुक्त विवेक फणसालकर के सेवानिवृत्त होने के बाद, वरिष्ठता को दरकिनार कर सरकार ने 6वें–7वें नंबर के देवेन भारती को पदोन्नति दी है। पहले देवेंद्र फडणवीस ने एक प्रिय महिला अधिकारी से विपक्ष के फोन टेप कराए और फिर उसे पुलिस महानिदेशक का पद और रिटायरमेंट के बाद भी दो साल की सेवा विस्तार दी। इस तरह की नियुक्तियों से राज्य में कानून-व्यवस्था चरमरा गई है और अवैध गतिविधियों में वृद्धि हुई है, ऐसा भी प्रदेशाध्यक्ष ने कहा।

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