निजी जमीन पर बनी चाल के प्रथम मंजिला को मान्यता दिलाने संबंधित याचिका सर्वोच्च न्यायालय ने की स्वीकार।

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● गोपाल शेट्टी को मिली एक और सफलता

मुंबई वार्ता संवाददाता

जनसेवक गोपाल शेट्टी ने तय किया कि प्राइवेट जमीन पर की चालों में पहले मंजिल के निवासी नागरिकों को भी पक्का मकान मिलने जैसे मुद्दे को सर्वोच्च अदालत ले जाकर न्याय की मांग करेंगे। जनसेवक गोपाल शेट्टी ने इस संदर्भ की याचिका माननीय सर्वोच्च अदालत में दाखिल की और अपने इस प्रयास में वे सफल हो गए हैं क्योंकि सर्वोच्च अदालत ने उनकी याचिका विचारार्थ स्वीकार कर ली है।

मुम्बई को झोपड़पट्टी मुक्त कराने के विजन के साथ उसमें रहने वाले नागरिकों को खुद का पक्का मकान दिलाने के लिए वर्षों से प्रयास में जुटे उत्तर मुम्बई के पूर्व सांसद गोपाल शेट्टी सदा से इस प्रयास में भी रहे हैं कि निजी जमीन की चालों में पहली मंजिल पर रहने वाले निवासियों को भी पक्का मकान दिला सकें। परंतु गत दिनों माननीय उच्च न्यायालय द्वारा निरस्त की गई उनकी इस संदर्भ की याचिका के कारण उनकी मांग ,विशेषतः पहली मंजिल के लोगों के लिए पक्के मकान के प्रयास पर जैसे अंकुश सा लगने जैसी स्थितियां बन रही थीं।

जनसेवक गोपाल शेट्टी ने इस प्राथमिक विजय पर हर्ष प्रकट करते हुए मीडिया से कहा कि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने २०१५ में एक कानून बनाया था, जिसका उद्देश्य सभी को उनके हक का पक्का घर देना है। मैंने उसी के अंतर्गत सारा प्रयास जारी रखा है।

जनसेवक गोपाल शेट्टी ने आगे कहा कि निजी जमीनों पर जमीन मालिकों ने चालें बनाकर 30-40 वर्ष पूर्व मकान बेचे थे। जिन्होंने अच्छे खासे पैसे देकर मकान खरीदा ऐसे लोगों में पहली मंजिल के निवासियों के लिए एसआरए (झोपड़पट्टी पुनर्वसन योजना) में कोई प्रोविजन ना होने से मुंबई में हजारों लोग बेघर हो गए और हजारों नागरिक बेघर होने की कगार पर हैं। इस विषय को संज्ञान में लेते हुए तथा मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के सहयोग से इस मुद्दे पर मैंने जमीनी स्तर पर लड़ाई लड़ी थी। मेरे शुरुवाती प्रयास में निजी जमीन की चालों केपहली मंजिल वाले निवासियों को मकान देने की मांग पर उद्धव ठाकरे की सरकार ने उन्हें मकान देने से साफ इन्कार कर दिया था , जिसके बाद 2021 में इस मामले को लेकर मैं उच्च न्यायालय की शरण में गया। पर वर्ष 2024 में उच्च न्यायालय ने इस केस को ही खारिज कर दिया था। तब मैंने सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटा दिया। अब माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने मेरी याचिका विचारार्थ स्वीकार कर ली है और महाराष्ट्र सरकार को चार सप्ताह के भीतर अपना पक्ष रखने व जवाब-तलब की ड्यू लाइन भी निर्धारित कर दी है। इससे बड़ी आशा का संचार हुआ है।

जनसेवक गोपाल शेट्टी ने इसके लिए एड. अमरेंद्र मिश्रा और एड. जे पी मिश्रा को धन्यवाद देते हुए विश्वास प्रकट किया है कि निजी जमीन की चालों के पहले माले वाले नागरिकों को अब न्याय अवश्य मिलेगा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजन यानी हर नागरिक को हक का पक्का मकान जैसे दूरदर्शिता पूर्ण निर्णय को सफल बनाने के लिए ठोस आधार अमल में लाया जा सकेगा।

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