मुंबई वार्ता संवाददाता
जैन धर्म आज भले ही पश्चिम और उत्तर भारत में अधिक प्रचलित हो, लेकिन एक समय तमिलनाडु में भी जैन धर्म के अनुयायियों की बड़ी संख्या थी। तमिल भाषा में भी जैन साहित्य प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है। तीर्थंकर भगवान महावीर का जीवनकार्य सदैव प्रेरणादायी रहा है। राज्यभर के स्कूलों में भगवान महावीर के जीवन पर निबंध स्पर्धा आयोजित करने से उनका संदेश और विचार नई पीढ़ी तक प्रभावी रूप से पहुंचेंगे, ऐसा प्रतिपादन महाराष्ट्र के राज्यपाल सी. पी. राधाकृष्णन ने किया।
भगवान महावीर स्वामी 2550 निर्वाण कल्याणक महोत्सव समिति द्वारा आयोजित राज्य स्तरीय निबंध स्पर्धा के विजेताओं के लिए पुरस्कार वितरण समारोह रविवार (2 फरवरी) को राजभवन, मुंबई में राज्यपाल के हाथों संपन्न हुआ। इस अवसर पर वे बोल रहे थे।
राज्यपाल ने कहा कि भगवान महावीर का जीवन त्यागमय था। उन्होंने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि केवल स्वयं के लिए जीना पाप के समान है, लेकिन यदि हम दूसरों के लिए जीते हैं, तो ईश्वर हमारी चिंता करता है।इस स्पर्धा में राज्यभर से 1.2 करोड़ विद्यार्थियों ने भाग लिया, जो एक अत्यंत उत्साहवर्धक बात है। राज्यपाल ने विद्यार्थियों को लेखन और पठन की आदत विकसित करने की सलाह दी। उन्होंने बच्चों को मोबाइल फोन का सीमित और उचित उपयोग करने की भी सीख दी ताकि वे अपना समय व्यर्थ न गंवाएं।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस का शुभकामना संदेश भी पढ़कर सुनाया गया।कौशल विकास मंत्री मंगलप्रभात लोढ़ा ने पुरस्कार वितरण समारोह के राजभवन में आयोजन पर प्रसन्नता व्यक्त की। विधायक चैनसुख संचेती ने कहा कि भगवान महावीर का संदेश ‘अहिंसा परमो धर्म’ घर-घर तक पहुंचाने में यह स्पर्धा अत्यंत उपयोगी सिद्ध होगी।जैन अल्पसंख्यक आर्थिक विकास महामंडल के अध्यक्ष ललित गांधी ने बताया कि इस प्रतियोगिता के माध्यम से 16 लाख से अधिक विद्यार्थियों ने भगवान महावीर के जीवन का अध्ययन किया।
इस अवसर पर भगवान महावीर निर्वाण कल्याणक महोत्सव समिति के निमंत्रक हितेंद्र मोटा भी उपस्थित थे।राज्यपाल ने विभिन्न जिलों से आए विजेताओं को पुरस्कार राशि के चेक प्रदान किए। इसके अलावा, नाशिक के जिलाधिकारी जलज शर्मा और मुख्य कार्यकारी अधिकारी अशीमा मित्तल का भी सम्मान किया गया, जिन्होंने इस प्रतियोगिता को सफल बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया।