ज्ञानेंद्र मिश्र/ स्तंभकार/मुंबई वार्ता

मुंबई में ३० अप्रैल, 2025 को ये शब्द लिखते हुए, पहलगाम नरसंहार को हुए नौ दिन से अधिक हो गए हैं, जिसने हमारे राष्ट्र की नींव को हिला दिया था। 28 निर्दोष जिंदगियों की बर्बर हत्या ने हमारे सामूहिक विवेक पर एक अमिट निशान छोड़ दिया है। जबकि बाहरी दुनिया अपने सामान्य गति से चल पड़ी है, पीड़ितों के परिवार अभी भी इस बेवजह की हिंसा के बाद के त्रासदी भरे परिणामों से जूझ रहे हैं।
● एक मोड़
इस त्रासदी के मद्देनजर जो बात सबसे ज्यादा ध्यान में आती है, वह है अभूतपूर्व एकता जो उभरी है। पहली बार, हमने सभी विपक्षी दलों, इस्लाम के मानने वालों को भी भाजपा के नेतृत्व वाले सत्तारूढ़ एनडीए गठबंधन के साथ मिलकर कश्मीर में हत्याओं की निंदा करते हुए देखा है। एकजुटता का यह दुर्लभ प्रदर्शन स्थिति की गंभीरता और सामूहिक कार्रवाई की आवश्यकता का प्रमाण है।


● नग्न सत्य
मगर विरोधी राजनीतिक दलों और इस्लामी जगत की इस एकता पर गहन चिंतन के बाद, मैं इस निष्कर्ष पर पहुंचा हूं कि इस घटना ने व्यापक आक्रोश क्यों भड़काया है।
सबसे पहले, यह कश्मीरी लोगों को प्रभावित करने वाले बुनियादी अस्तित्व और आजीविका के मुद्दों के बारे में है। यह उन लाभों का आनंद लेने के बारे में है जो भारत के किसी भी हिस्से में कोई सामान्य नागरिक बिना किसी परेशानी के लेता है, जबकि कश्मीर में रहता है और भारतीय हितों का नुकसान भी कर सकता है। लेकिन सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इस घटना ने आतंकवाद के नग्न सत्य, धर्म और वास्तविक दर्शन को उजागर कर दिया है, जिससे कई लोगों के पास आतंकियों के इस कुत्सित कारनामे को उचित ठहराने या संदेह का लाभ देने के लिए कोई जगह नहीं बची है, इस कारण से वह उन आतंकवादियों और उनके हैंडलर से नाराज हैं, ना कि उन्होंने हिंदुओं का कत्ल किया और सरेआम कत्लेआम मचाया उससे उन्हें संभवत: इतनी पीड़ा है।
आतंकवादियों ने जो धर्म और नाम पूछ कर हत्याएं की उसने आतंकवाद के धर्म को चिन्हित कर दिया- मुख्य चिंता का विषय और क्रोध का मूल कारण है!अतः इस तरह के विरोध मोर्चा / विरोध प्रदर्शन करके वे भारतीय हिंदूओं की आंखों में सकारात्मक स्वरूप में दिखाई देना चाहते हैं ताकि उनकी रोजी-रोटी बनी रहे- टूरिज्म इंडस्ट्री वापस कश्मीर में सतत रूप से चलती रहे!
● आतंकवाद की वास्तविकता
हमें लंबे समय से संजीदगी के मुखौटे से मूर्ख बनाया गया है। सच्चाई यह है कि बहुत से लोगों का पाकिस्तान की ओर झुकाव है, और आपको अवश्य विश्वास करना चाहिए कि भारत में आज की तारीख में केवल दो प्रकार के मुसलमान हैं – अच्छे और बुरे- बुरे लोग बंदूक चलाते हैं, जबकि अच्छे लोग मौन रहते हैं।।परंतु क्या मुझे कोई बतायेगा कि मौन होने का अर्थ क्या होता है?? हमारी जैसी लोकतांत्रिक व्यवस्था में, संख्या मायने रखती है, और बदलते जनसांख्यिकी एक टाइम बम है।अपनी जनसंख्या बढ़ाना घटना यह हमारा आपका सबका अधिकार है मगर जिस तरह से व्यवस्थाएं चल रही हैं और यदि वैश्विक इतिहास पर नजर डाली जाए तो भारत में यदि आने वाले समय में एक खास समुदाय अन्य लोगों से अधिक संख्या में हो जाते हैं, तो शरिया कानून को मंजूरी मिलने का वास्तविक जोखिम है, और हमें सभी को इसका पालन करने के लिए बाध्य किया जाएगा क्योंकि यह संसद से पास हुआ कानून होगा।दुनिया का कोई देश हमें बचाने भी नहीं आएगा क्योंकि यह लोकतांत्रिक तरीके से संसद के माध्यम से लागू हुआ कानून होगा।।
● निर्णायक कार्रवाई का आह्वान
स्थिति की गंभीरता को देखते हुए, मेरा दृढ़ विश्वास है कि हमें सतर्क रहने और निर्णायक कार्रवाई करने की आवश्यकता है। हमें समस्या के मूल कारण – बदलते जनसांख्यिकी को संबोधित करने की आवश्यकता है। यह अनिवार्य है कि हम मजबूत प्रावधानों के साथ एक जनसंख्या नियंत्रण बिल लागू करें, जिसमें अपराधी माता-पिता (दोनों) और नवजात शिशु के लिए सामाजिक लाभ और मतदान के अधिकारों की समाप्ति शामिल हो। यह इस खतरे को रोकने और हमारे राष्ट्र को इस्लामी आतंकवाद और शरिया-आधारित भविष्य की चपेट से बचाने का एकमात्र तरीका है।
क्या हमें शुतुरमुर्ग की तरह अपने सर को ज़मीन में धंसा कर रखना चाहिए ताकि सच्चाई पर पर्दा पड़ा रहे?
● अपराधियों पर कार्रवाई
इसमें कोई संदेह नहीं है कि ये आतंकवादी अपने पाकिस्तानी हैंडलर्स की सहायता के बिना इस नरसंहार को अंजाम नहीं दे सकते थे। यह तथ्य कि आतंकवादी हमारी क्षेत्र में इतनी गहराई तक घुसपैठ करने में सक्षम थे, स्थानीय समर्थन का स्पष्ट संकेत है। हमें अपने आस्तीन के सांपों को अपने आंगन को साफ करने के साथ-साथ हमारे पास पाकिस्तान के सैन्य ठिकानों और आतंकवादी संगठनों को निशाना बनाने का हर कारण है, और हमारा अंतिम लक्ष्य पीओके, सिंध, गिलगित और बलूचिस्तान इत्यादि पर पूर्ण कब्जा करना होना चाहिए। हमें यह येन केन प्रकारेण सीपीईसी को ब्लॉक करना होगा और सभी घुसपैठियों, जिसमें रोहिंग्या, बांग्लादेशी और पाकिस्तानी शामिल हैं, के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई करनी होगी।
● वास्तविक करवाई करने का समय अब है
यदि हम वास्तव में भारत को बचाना चाहते हैं, तो हमें खड़े होने और निर्णायक कार्रवाई करने की आवश्यकता है। हम न तो सुस्त और न ही प्रतिक्रियावादी हो सकते हैं। कार्रवाई का समय अब है, और हमें अपनी राष्ट्र और उसके लोगों की रक्षा के लिए साहसिक कदम उठाने के लिए तैयार रहना चाहिए।