■ ब्रह्मा जी का अहंकार टूटा – शिव के सँग शक्ति की महिमा
■ वेद व्यास जी का जन्म
■ नौ दिवसीय संगीतमयी शिव महापुराण कथा का हुआ समापन
अमिताभ श्रीवास्तव /मुंबई वार्ता

आज शिवमहापुराण कथा के नौ दिवसीय संगीतमयी कथा आयोजन का भक्तिपूर्ण समापन हुआ। सार्वभौम सनातन धर्म महासभा द्वारा आयोजित इस आयोजन में जगतगुरु चैतन्य महाप्रभु गोपेश्वरदेव महाराज ने आज जहाँ ब्रम्हाजी के अहंकार को कैसे खत्म किया गया, शिव बिना शक्ति के अधूरे हैं और वेद व्यासजी के जन्म प्रसंग के माध्यम से श्रोतागणो को बताया कि शिव महापुराण ही ऐसा ग्रन्थ है जो पापनाशक है। भागवत को मोक्षदायी बताया और राम कथा को भक्ति दायी।


उन्होंने बताया कि केवल शिवमहापुराण ही है जिसे सुनने वाला और सुनाने वाला समस्त पापो से मुक्त हो जाता है। महाराज जी ने इन सबके बाद प्रणवअक्षर की महत्ता बताई। यही एक अक्षर है जो शिव को प्रिय है। या यूँ कह लें कि यही अक्षर शिवशंकर है।
उन्होंने बताया कि जो भी विवेकी पुरुष है वो जानता है कि ब्रम्हा, विष्णु और महेश सब एक ही हैँ और इसी एक ओम प्रणव अक्षर में समाहित हैं। केवल अविवेकी लोगो को लगता है ये तीनो अलग अलग हैं। जबकि प्रणवाक्षर के मध्य ही ये तीनो एक हैं। ओंकार ही सर्वश्रेष्ठ है।कथा के समापन के बाद भजनो पर भक्तजन झूमते रहे तो सभी ने व्यासपीठ से प्रसाद ग्रहण किया। साथ ही हवन किया गया। और इसके बाद महाप्रसादी वितरण किया गया। भोलेबाबा के भंडारे में हजारों लोगों ने भाग लिया। सार्वभौम सनातन धर्म महासभा ने श्री जप्रशांति वेलफेयर ट्रस्ट के साथ साथ गायत्री परिवार और सार्वभौम सनातन धर्म महासभा के ठाणे शहरअध्यक्ष विभौर व्यास का विशेष रूप से आभार प्रकट किया गया।
विवेक श्रीवास्तव ने बताया कि एक कम्पनी के बड़े डायरेक्टर होने के बावजूद उन्होंने कथा आयोजन में न केवल समय निकाला बल्कि भरपूर सहयोग प्रदान किया। साथ ही उन सभी लोगो का आभार प्रकट किया जिन्होंने अपना छोटा बड़ा हर तरह का सहयोग किया।
इस विशेष अवसर पर श्रीजप्रशांति वेलफेयर ट्रस्ट ने समस्त सहयोगियों को प्रमाणपत्र देकर सम्मानित किया।