■ डॉ राजेंद्र सिंह की SRA इमारत का मामला।
श्रीश उपाध्याय/मुंबई वार्ता

“घाटकोपर, असल्फा इलाके में बिल्डर की मनमानी से गटर चोक हो गई है, गटर का पानी रास्तो पर बह रहा है और प्रशासन कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है,” इस प्रकार का आरोप असल्फा विलेज, जाम्भली पाड़ा स्थित ॐ श्री शिव साई गणेश सहकारी गृह निर्माण सोसाइटी के अध्यक्ष अशोक शिर्के ने लगाया है।


अशोक ने बताया कि उनकी चाल के बगल में स्थित सूचित्रा कंन्सट्रक्शन के डॉक्टर राजेंद्र सिंह ने SRA के अंतर्गत बिल्डिंग का निर्माण किया है। उनकी बाउंड्री-वाल का काम रुका है क्योंकि अगर उन्होने बाउंड्री-वाल बनाया तो हमारे घरों का दरवाजा ही बंद हो जाएगा। उन्होने अपनी इमारत बनाते समय हमारी गटर लाइन को जाम कर दिया है। जिसके कारण हमारे गटर का पानी निकलता ही नहीं और गटर का पानी ऊपर से बहता है।


अशोक ने कहा कि राजेंद्र सिंह की साइट पर मौजूद झा से हमने संपर्क किया और गटर क्लीन करने को कहा लेकिन उन्होने कुछ नहीं किया। गटर का पानी ऊपर से बहने की वज़ह से पानी जमा होता है और मच्छर की समस्या हो रही है।ज्ञात हो कि इस मामले पर गत 2 वर्षो से सोसाइटी ने स्थानीय महानगर पालिका सहायक आयुक्त को पत्र लिखकर कई बार शिकायत की है लेकिन L वार्ड ने ना ही गटर को क्लीन कराने की कोशिश की और ना ही बिल्डर के ख़िलाफ़ कोई कार्रवाई की है।


उक्त मामले के बारे में पूछने पर बिल्डर डॉक्टर राजेंद्र सिंह ने कहा कि, ” कोई ड्रैनेज ब्लॉक नहीं किया गया है। बिल्डिंग सैन्क्शन प्लान और नियम अनुसार है। आपका पर्सनल इंटरेस्ट ज्यादा लग रहा है। हमारी कंपनी को कोई लिखित शिकायत नहीं मिली है आपके पास कोई लिखित शिकायत मिली हो तो भेजिए।”


अपना जवाब देते समय डॉक्टर राजेंद्र सिंह ने आरोप लगाया कि मेरा कोई पर्सनल इंटरेस्ट है। इसलिए इसका जवाब देना जरूरी लगा। शायद उन्हें मालूम नहीं कि जनता का दुःख एक ईमानदार पत्रकार का पर्सनल, प्रोफेशनल सब इंटरेस्ट होता है। जो लोग जनहित की बजाय चाटुकारिता कर रहे हैं, वो जनता के हाथों नहीं अपितु कुछ बिल्डरों के हाथ से सम्मानित हो रहे हैं। जिन शिक्षा संस्थानों का स्टाफ एडमिशन देने के नाम पर रिश्वत लेते पकड़े जा रहा हैं उन्हीं शिक्षा संस्थानों में कुछ पत्रकार और सामाजिक कार्यकर्ता सम्मानित किये जा रहे हैं। और ऐसे शिक्षा संस्थानों के संचालकों और बिल्डरों को किसी पत्रकार की ईमानदार कोशिश की ओर उंगली उठाने का कितना हक है ? यह पाठक और जनता तय करे।