श्रीश उपाध्याय/मुंबई वार्ता

योग गुरु से उद्योगपति बने बाबा रामदेव का बोल बचन कम होने का नाम ही नहीं ले रहा है। केरल की एक अदालत ने दिव्य फार्मेसी, एमडी आचार्य बालकृष्ण और बाबा रामदेव के खिलाफ जमानती वारंट जारी किया है। यह मामला दिव्य फार्मेसी की औषधियों के बारे में भ्रामक दावे से जुड़ा है।
आयुर्वेदिक दवा के बारे में भ्रामक दावे दर्शाने के मामले में बाबा रामदेव, आचार्य बालकृष्ण और दिव्य फार्मेसी (Divya Pharmacy) की मुश्किल फिर बढ़ सकती है। केरल की एक अदालत ने अंग्रेजी और मलयालम समाचार पत्रों में भ्रामक विज्ञापन प्रकाशित करने के एक मामले में उक्त सभी के खिलाफ जमानती वारंट जारी किया है।
ज्ञात हो कि इससे पहले भी बाबा रामदेव, आचार्य बालकृष्ण और पतंजलि आयुर्वेद द्वारा अपनी दवाओ को लेकर लोगों को भ्रमित करने के आरोप लगे हैं. उस मामले में भी बाबा रामदेव, आचार्य बालकृष्ण ने सार्वजनिक रूप से माफी मांगी थी. माफी मांगने के बाद सर्वोच्च न्यायालय ने माफी स्वीकार कर लिया था। बाद में उनके खिलाफ अवमानना के मामले बंद कर दिए गए थे।
अब यह नया वारंट पलक्कड़ के प्रथम श्रेणी न्यायिक दंडाधिकारी के कोर्ट II (Judicial First Class Magistrate Court II, Palakkad) ने जारी किया है। इस मामले में अगली तारीख 1 फरवरी, 2025 लगाई गई है।
इस मामले की शिकायत औषधि और जादुई उपचार (आपत्तिजनक विज्ञापन) अधिनियम, 1954 की धारा 3, 3 (बी) और 3 (डी) के तहत ड्रग इंस्पेक्टर की रिपोर्ट के आधार पर की गई थी। धारा 3 कुछ बीमारियों और विकारों के उपचार के लिए कुछ दवाओं के विज्ञापन पर रोक लगाती है। धारा 3 (डी) उन दवाओं के विज्ञापनों पर रोक लगाती है जो अधिनियम के तहत बनाए गए नियमों में दिए गए किसी भी रोग, विकार या बीमारी की स्थिति के निदान, इलाज, शमन, उपचार या रोकथाम का दावा करते हैं।
ज्ञात हो कि सर्वोच्च न्यायालय ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को चेतावनी दी थी कि वह कानून के विपरीत भ्रामक विज्ञापनों और चिकित्सा दावों के खिलाफ कार्रवाई करने में विफल रहने पर अवमानना कार्यवाही शुरू करेगा। इसके बाद वारंट जारी किया गया था। सर्वोच्च न्यायालय आधुनिक या ‘एलोपैथिक’ चिकित्सा को लक्षित करने वाले भ्रामक दावों और विज्ञापनों के बारे में भारतीय चिकित्सा संघ (IMA) द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रहा था। एलोपैथी जैसी आधुनिक चिकित्सा प्रणालियों के खिलाफ भ्रामक विज्ञापन प्रकाशित करने के लिए पतंजलि आयुर्वेद उत्पाद सुप्रीम कोर्ट की जांच के दायरे में थे। बाद में कोर्ट ने पतंजलि आयुर्वेद को ऐसे भ्रामक विज्ञापन प्रकाशित करने के लिए अवमानना नोटिस जारी किया, जो एलोपैथी का अपमान करते हैं और कुछ बीमारियों के इलाज के बारे में झूठे दावे करते हैं। फिलहाल बाबा और बालकृष्ण ने इस मामले में माफी मांग कर जान बचाई थी.