भारतीय नौसेना ने पलाऊ-ध्वजांकित टैंकर एमटी यी चेंग 6 पर महत्वपूर्ण अग्निशमन और बचाव अभियान का नेतृत्व किया: त्वरित कार्रवाई ने उत्तरी अरब सागर में भारतीय चालक दल की सुरक्षा सुनिश्चित की।

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मुंबई वार्ता/सतीश सोनी

तेज़ परिचालन तत्परता और नाविक सुरक्षा के प्रति अपनी अटूट प्रतिबद्धता का प्रदर्शन करते हुए, भारतीय नौसेना ने 29 जून 2025 को उत्तरी अरब सागर में पलाऊ-ध्वजांकित टैंकर एमटी यी चेंग 6 पर एक उच्च जोखिम वाला अग्निशमन और बचाव अभियान चलाया, जिससे स्थिति को सफलतापूर्वक स्थिर किया गया और 14 भारतीय चालक दल के सदस्यों की सुरक्षा सुनिश्चित की गई।

29 जून की सुबह, मिशन-आधारित तैनाती पर आईएनएस तबर को एमटी यी चेंग 6 से एक मेडे डिस्ट्रेस कॉल प्राप्त हुआ। जहाज ने यूएई के फुजैराह से लगभग 80 समुद्री मील पूर्व में संचालन करते समय अपने इंजन कक्ष में एक बड़ी आग लगने की सूचना दी।तेज़ी से प्रतिक्रिया करते हुए, आईएनएस तबर सहायता प्रदान करने के लिए अधिकतम गति से आगे बढ़ा। जहाज संकटग्रस्त जहाज के आसपास पहुंचा और वहां पहुंचने पर जहाज के मास्टर से संपर्क स्थापित किया तथा अग्निशमन अभियान शुरू किया।

चालक दल की सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए, सात चालक दल के सदस्यों को जहाज की नावों का उपयोग करके तुरंत आईएनएस तबर में ले जाया गया। किसी के घायल होने की सूचना नहीं है, तथा सभी चालक दल की जांच तबर की चिकित्सा टीम द्वारा की गई। मास्टर सहित शेष चालक दल के सदस्य आग पर काबू पाने में सहायता के लिए जहाज पर ही रहे। आईएनएस तबर ने अग्निशमन उपकरणों के साथ छह सदस्यीय अग्निशमन तथा क्षति नियंत्रण दल को तैनात किया।भारतीय नौसेना कर्मियों तथा जहाज के चालक दल द्वारा किए गए प्रारंभिक अग्निशमन प्रयासों के परिणामस्वरूप आग की तीव्रता में काफी कमी आई तथा धुआं इंजन कक्ष तक ही सीमित रहा। 13 अतिरिक्त भारतीय नौसेना कर्मियों (5 अधिकारी तथा 8 नाविक) के साथ अग्निशमन प्रयास को और मजबूत किया गया।

भारतीय नौसेना की अग्निशमन टीम तथा चालक दल के सदस्यों द्वारा किए गए निरंतर प्रयासों ने आग पर सफलतापूर्वक काबू पा लिया है। निरंतर तापमान जांच तथा निगरानी की जा रही है। निरंतर सहायता के लिए आईएनएस तबर स्टेशन पर ही है।भारतीय नौसेना कर्मियों के वीरतापूर्ण प्रयासों से जहाज़ और सभी भारतीय चालक दल के सदस्यों की सुरक्षा सुनिश्चित हुई है।

यह घटना एक बार फिर भारतीय नौसेना की त्वरित प्रतिक्रिया क्षमता, परिचालन तैयारियों, समुद्री सुरक्षा के प्रति मानवीय दृष्टिकोण को उजागर करती है और हिंद महासागर क्षेत्र में प्रथम प्रतिक्रियाकर्ता के रूप में भारत की भूमिका की पुष्टि करती है।

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