भारतीय संविधान के कारण भारत की वैश्विक स्तर परशक्तिशाली राष्ट्र के रूप में पहचान- सभापति प्रो. राम शिंदे.

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पटना पीठासीन अधिकारी सम्मेलन में विचारमंथन

मुंबई वार्ता संवाददाता

भारत ने वैश्विक स्तर पर एक शक्तिशाली राष्ट्र के रूप में पहचान हासिल की है। यह हमारे संविधान द्वारा रखी गई मजबूत नींव के कारण संभव हो पाया है। लोकतांत्रिक संस्थाओं को सशक्त बनाना, सकारात्मक भागीदारी सुनिश्चित करना, संसद और राज्य विधानसभाओं की प्रतिष्ठा बनाए रखना और लोककल्याण के प्रति प्रतिबद्धता सुनिश्चित करना हमारी मुख्य जिम्मेदारियां होनी चाहिए, ऐसा महाराष्ट्र विधान परिषद के सभापति प्रो. राम शिंदे ने कहा।

वे पटना में लोकसभा अध्यक्ष श्री ओम बिरला की अध्यक्षता में आयोजित 85वें अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारी सम्मेलन में बोल रहे थे।

इस सम्मेलन में “भारतीय संविधान के 75 वर्ष: संवैधानिक मूल्यों को मजबूत करने में संसद और राज्य विधानसभाओं का योगदान” विषय पर विचार-विमर्श किया जा रहा है।

अपने विचार व्यक्त करते हुए सभापति प्रो. शिंदे ने कहा कि हमारा संविधान पर्याप्त रूप से लचीला है और यह लगातार अधिक सशक्त होता जा रहा है। हमारी संसदीय लोकतंत्र प्रणाली ने संविधान की इस शक्ति के कारण ही विभिन्न संकटों का सफलतापूर्वक सामना किया है।

उन्होंने कहा कि कुछ लोगों ने संविधान संशोधन के संदर्भ में जानबूझकर गलत धारणाएं फैलाने का प्रयास किया, लेकिन हाल के चुनावों में जनता ने ऐसे प्रयासों को खारिज कर सही जनादेश दिया है।”लोकतंत्र में स्वतंत्रता, समानता और बंधुता इन तीन मूल्यों का अत्यधिक महत्व है। इनमें से किसी एक को छोड़कर दूसरे का विचार करना संभव नहीं है। ऐसा करने पर लोकतंत्र की मूल संकल्पना को हानि पहुंचेगी,” यह बात भारत रत्न डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर ने संविधान सभा के समक्ष अपने भाषण में कही थी।

इस सावधानी की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए सभापति प्रो. शिंदे ने सभी से इन मूल्यों के प्रति प्रतिबद्ध रहने का आवाहन किया।उन्होंने कहा कि समावेशिता और सभी के लिए समान अवसर की उपलब्धता हमारे संविधान की प्रमुख विशेषताएं हैं।

उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि बिना किसी राजनीतिक या आर्थिक पृष्ठभूमि वाले परिवार से आने के बावजूद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी उल्लेखनीय कार्यक्षमता के बल पर देश को विकास के पथ पर ले जाने का कार्य किया है और लगातार तीसरी बार योगदान दे रहे हैं। यह स्वयं में हमारे संवैधानिक ढांचे की मजबूती का एक ज्वलंत उदाहरण है।

सभापति प्रो. शिंदे ने कहा कि भारतीय संविधान के शिल्पकार डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर की संसदीय यात्रा का प्रारंभ तत्कालीन बॉम्बे विधान परिषद के सदस्य के रूप में हुआ था, और यह हमारे लिए गर्व की बात है।उन्होंने पुण्यश्लोक अहिल्याबाई होलकर को भी याद किया, जिन्होंने अपने अद्वितीय शासन के माध्यम से लोककल्याणकारी राज्य की संकल्पना को साकार किया।

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