मत्स्य उत्पादन बढ़ाने के लिए तालाबों का ‘डिजिटलीकरण’ तत्काल शुरू किया जाए:– मत्स्य व्यवसाय मंत्री नितेश राणे.

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मुंबई वार्ता संवाददाता

राज्य में मीठे पानी के तालाबों से मछली उत्पादन बढ़ाने और मछुआरों की आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए तालाबों के डिजिटलीकरण (Digitalization) को अत्यंत महत्व दिया जा रहा है। राज्य में मौजूदा मत्स्य व्यवसाय में पारदर्शिता और सूचनात्मक उपलब्धता की कमी के चलते, इस क्षेत्र में सुधार के लिए डिजिटलीकरण प्रक्रिया को तुरंत लागू करने के आदेश मत्स्य व्यवसाय मंत्री नितेश राणे ने दिए हैं।

मंत्री राणे ने बताया कि वर्तमान में तालाबों के ठेके, उनके अनुबंध की अवधि, स्वरूप, उत्पादन स्तर, साथ ही मछली पकड़ने वाले, मछली विक्रेता और मछली परिवहनकर्ताओं की जानकारी विभाग में उपलब्ध नहीं है।

मंत्री ने कहा, “इस व्यवसाय में पारदर्शिता लाना अतिमहत्वपूर्ण है। हमें एक क्लिक पर सभी आवश्यक जानकारी उपलब्ध करनी होगी, जैसे कि किसे तालाब का ठेका दिया गया, ठेका कितने समय के लिए है, उत्पादन कितना है आदि।”इसके लिए राज्य स्तर पर एक व्यापक अभियान के तहत तालाबों के डिजिटलायझेशन की प्रक्रिया शुरू की जानी चाहिए।

मंत्री ने निर्देश दिया कि विभाग को इस प्रक्रिया के लिए एक विस्तृत आराखड़ा तैयार करना चाहिए । साथ ही, गूगल मैपिंग के आधार पर तालाबों के नक्शे प्राप्त कर वर्गीकरण किया जाना चाहिए।मंत्री राणे ने कहा, “तालाबों से गंदगी निकालने और उन पर अतिक्रमण की जानकारी भी विभागद्वारा एकत्र की जानी चाहिए। इस जानकारी को चरणबद्ध तरीके से एकत्र कर एक ठोस कार्य योजना तैयार की जानी चाहिए ताकि राज्य भर में मत्स्य व्यवसाय के आधुनिकीकरण में मदद मिल सके। हमें विभाग की क्षमता बढ़ाने के लिए डिजिटलायझेशन के साथ-साथ आधुनिकीकरण और पारदर्शिता भी सुनिश्चित करनी होगी।”

उन्होंने यह भी निर्देश दिए कि पहले चरण में तालाबों का डिजिटलायझेशन पूरा किया जाए, और उसके बाद उन्हें आधुनिकीकरण किया जाए। साथ ही, तालाबों के ठेकों के लिए न्यूनतम शुल्क निर्धारण और प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाने के उपाय किए जाएं।वर्तमान में राज्य में 500 हेक्टेयर से कम क्षेत्रफल वाले 2,410 तालाब, 500 से 1,000 हेक्टेयर के 41 तालाब और 1,000 हेक्टेयर से बड़े 47 तालाब हैं। इन्हें वर्गीकरण के तहत A, B, और C में बाँटा गया है।

मत्स्य व्यवसाय आयुक्त तावडे ने बताया कि मछली के न्यूनतम मूल्य निर्धारण की प्रक्रिया भी नई तरीके से की जा रही है। साथ ही, विभाग ने कंप्यूटरीकरण और आधुनिकीकरण के माध्यम से मीठे पानी में मछली उत्पादन बढ़ाने के निर्णय भी लिए हैं।

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