मुंबई वार्ता संवाददाता

भाजपा के पूर्व सांसद किरीट सोमैया ने शनिवार को एक पत्रकार सम्मेलन के दौरान बोलते हुए कहा कि ,” मस्जिदों पर लगाए गए लाउडस्पीकर को लेकर राज्य सरकार ने एक नई गाइड लाइन जारी की है। अवैध मस्जिदों को अब लाउडस्पीकर लगाने की अनुमति नहीं दी जाएगी। मस्जिदों पर लगे लाउडस्पीकर और उसके स्ट्रक्चर की वैधता जांचने के लिए सर्वे किया जाएगा। गाइड लाइन के अनुसार बने नियमों को पहली बार भंग करने पर एक लाख रुपए जुर्माना लगेगा और दूसरी बार नियम भंग करने पर तीन महीने की सजा का प्रावधान किया गया है।”


सोमैया ने बताया कि वे पिछले छह महीने से मस्जिदों पर लगाए गए अवैध लाउडस्पीकर को हटाने संबंधी काम कर रहे हैं। मुंबई के शिवाजी नगर गोवंडी इलाके की 72 मस्जिदों में 500 लाउडस्पीकर लगाए गए हैं। खास बात यह कि यहां बनाई गई 70% मस्जिदें अवैध रूप से बनाई गई हैं। इन पर लगाए गए लाउडस्पीकर के लिए भी कोई इजाजत नहीं ली गई है।
उन्होंने बताया कि मस्जिद के नाम पर लैंड जिहाद किया जा रहा है। फडणवीस सरकार की लाउडस्पीकर को लेकर जारी गाइड लाइन का पुलिस को सख्ती से पालन करना होगा। मस्जिद के भीतर लाउडस्पीकर लगाने से उन्हें कोई एतराज़ नहीं है। लेकिन पांच पांच लाउडस्पीकर लगा कर आवाज़ किसे सुनाया जा रहा हैं? हाईकोर्ट ने ध्वनि प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए जो आदेश दिया है उसके अनुसार मस्जिद के भीतर ध्वनि नियंत्रक मशीन लगा कर पुलिस को आवाज की जांच करनी होगी। नियम भंग हुआ तो कार्रवाई की जाएगी।
किरीट सोमैया ने कहा कि मुंबई महागर क्षेत्र की 175 मस्जिदों में 7000 लाउडस्पीकर लगाए गए हैं। उनमें से केवल 1200 लाउडस्पीकर लगाने की अनुमति पुलिस ने दी है। लाउडस्पीकर के साथ मस्जिद वैध तरीके से बनाई गई है या अवैध निर्माण हुआ है इसकी जांच भी की जाएगी। रात 10 6 बजे सुबह 6 बजे तक लाउड स्पीकर बजाने पर रोक लगाई गई है।
● इंडस्ट्रियल एरिया : दिन में 75 डेसिबल और रात के समय 70 डेसिबल
● कमर्शियल एरिया : दिन में 65 डेसिबल और रात के समय 55 डेसिबल
● रेजिडेंशियल एरिया : दिन में 55 डेसिबल और रात के समय 50 डेसिबल
● साइलेंस जोन : दिन में 50 डेसिबल और रात के समय 40 डेसिबल से अधिक आवाज नहीं होनी चाहिए।
ध्वनि प्रदूषण फैलाने पर महाराष्ट्र पुलिस और एमपीसीबी दोनों कार्रवाई कर सकते हैं। न्यायालय में पेश किए गए आरोपपत्र पर 5000 रुपए दंड अथवा तीन महीेने की जेल, दोनों नियमों के तहत दर्ज मुकदमें की अलग-अलग या एकसाथ सुनवाई किया जा सकता है। इसके लिए एक लाख रुपए दंड अथवा तीन महीने की सजा का प्रावधान भी किया गया है।