मुंबई वार्ता संवाददाता
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरद चंद्र पवार ) प्रवक्ता और युवा मुंबई राकापा अध्यक्ष ऐड. अमोल मतेले ने राज्य सरकार के कार्यप्रणाली की कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि यह सरकार महाराष्ट्र के नहीं बल्कि दिल्ली के इशारे पर चल रही है। “
आज राज्य सरकार में एक के बाद एक मंत्री परेशान हो रहे हैं। उद्योग मंत्री कहते हैं, ‘हमारे विभाग के फैसलों पर हमसे सलाह नहीं ली जाती!’ परिवहन मंत्री कहते हैं, ‘मेरे विभाग में किसे नियुक्त किया जाता है, मुझसे सलाह नहीं ली जाती!’ और मुख्यमंत्री कहते हैं – ‘मैं तय करता हूँ कि किसे क्या देना है और किसे नहीं!’ तो, इस सरकार में असल में फैसला कौन करता है?” “यह सब देखते हुए कहना गलत नहीं होगा कि यह सरकार ‘महागठबंधन’ नहीं, बल्कि ‘महा झगड़ालू’ है !
उन्होंने यह भी कहा कि ,”यदि मंत्री बेचैन हैं, तो आम लोगों की समस्याओं के बारे में सोचने का समय किसके पास है? मुख्यमंत्री जी को कुर्सी नहीं मिली थी, तब तक वे बेचैन थे और अब जब उनको कुर्सी मिल गई है, तो उन्होंने सभी को बेचैन कर दिया है!”
‘एक कार, चार ड्राइवर – और किसी के पास ब्रेक नहीं है!’ यह कटाक्ष करते हुए कांग्रेस पार्टी के प्रवक्ता अमोल ने कहा,”आज इस सरकार में कौन फैसले लेता है और कौन उनका पालन करता है, कोई नहीं जानता। ये सरकार एक ही गाड़ी में बैठे चार ड्राइवरों की तरह है, लेकिन फिर भी ये साफ नहीं होता कि ब्रेक कौन पकड़ रहा है. इसीलिए फैसले कभी अचानक रुक जाते हैं, कभी पूरी रफ्तार से किसी को कुचल देते हैं। और अंत में महाराष्ट्र की जनता जानना चाहती है कि ये सरकार महाराष्ट्र के लिए है या दिल्ली के लिए?”
“महाराष्ट्र के हितों की चिंता करने वाले हर जिम्मेदार नागरिक को इस तानाशाही सरकार के खिलाफ आवाज उठानी चाहिए। राज्य के फैसलों पर दिल्ली का अघोषित नियंत्रण है और ऐसे हालात में महाराष्ट्र की शासन व्यवस्था कैसे संचालित होगी, यह सब दिल्ली के नेता तय करते हैं, जो लोकतंत्र के लिए खतरनाक है। यह सरकार महाराष्ट्र को विकास के रास्ते पर नहीं ले जाएगी, बल्कि अराजकता की ओर धकेलेगी!” “अब लोगों को फैसला करना है – क्या वे महाराष्ट्र के विकास के लिए खड़े होंगे या दिल्ली का कठपुतली शो देखेंगे!” – एड. अमोल मतेले ने यह प्रश्न उठाया है.