महाशिवरात्रि पर बन रहे कई अद्भुत संयोग.

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● शनि के घर में होने जा रहा बुधदेव का उदय

● 60 साल बाद कुंभ में तीन ग्रहों की मौजूदगी

मुंबई वार्ता/वरिष्ठ संवाददाता

देवाधिदेव महादेव की उपासना का सबसे बड़ा पर्व महाशिवरात्रि, बुधवार 26 फरवरी को विभिन्न शुभ संयोगों में मनाई जाएगा। इस दिन कई दुर्लभ संयोग के बीच कुंभ राशि में तीन ग्रहों की युति होगी, जिससे त्रिग्रही योग का निर्माण होगा।

बुधवार के दिन सूर्य, बुध और शनि कुंभ राशि में एक साथ मौजूद रहेंगे इससे बुधादित्य योग का भी निर्माण होगा। ऐसा संयोग साल 1965 में महाशिवरात्रि के दिन बना था। साथ ही 60 साल पहले महाशिवरात्रि के दिन चंद्र ग्रह मकर राशि में विराजमान थे, इस बार भी चंद्रमा मकर राशि में ही स्थित होंगे। इस दुर्लभ संयोग पर महाशिवरात्रि का आना बेहद खास माना जा रहा है। इसका देश और दुनिया के कुछ देशों में सकारात्मक असर देखने को मिल सकता है। ग्रह योग की विशिष्ट स्थिति इससे पहले साल 1965 में बनी थी। 60 साल बाद फिर महाशिवरात्रि पर तीन ग्रहों की युति बनी है।

पंचांग के अनुसार महाशिवरात्रि 26 फरवरी को धनिष्ठा नक्षत्र, परिघ योग, शकुनि करण और मकर राशि के चंद्रमा की उपस्थिति में पड़ रही है। इस दिन चार प्रहर की साधना करने से शिव की सहज कृपा प्राप्त होगी।

ज्योतिषाचार्य डॉ. अशोक मिश्र के अनुसार फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि पर भगवान शिव का माता पार्वती से विवाह हुआ था। सती के बिछोह के लंबे समय के बाद शिव शक्ति का मिलन हुआ था इसलिए इसलिए इसका महत्व अधिक होता है। वर्ष 1965 में जब महाशिवरात्रि का पर्व आया था, तब सूर्य, बुध और शनि कुंभ राशि में गोचर कर रहे थे। इस वर्ष की महाशिवरात्रि 26 फरवरी को भी मकर राशि में चंद्रमा की मौजूदगी के बीच यही तीन ग्रह युति बनाएंगे। सूर्य और शनि पिता-पुत्र हैं और सूर्य शनि की राशि कुंभ में रहेंगे, ज्योतिष में यह एक विशिष्ट संयोग माना जाता है, जो लगभग एक शताब्दी में एक बार बनता है जब अन्य ग्रह-नक्षत्र इस प्रकार के योग में विद्यमान होते हैं।

महाशिवरात्रि का गोचर काल पंचांग के अनुसार फाल्गुन माह के कृष्णपक्ष की चतुर्दशी तिथि की शुरुआत बुधवार 26 फरवरी को सुबह 11:08 बजे से होगी। इसका समापन अगले दिन गुरुवार 27 फरवरी को सुबह 8:54 बजे होगा। चूंकि महाशिवरात्रि में निशिता काल में भगवान शिव की पूजा की जाती है इसलिए 26 फरवरी को महाशिवरात्रि मनाई जाएगी। महाशिवरात्रि पर निशिता काल पूजा समय 26 फरवरी की मध्य रात्रि 12:09 बजे से 12:59 बजे तक है।

26 फरवरी 2025 को महाशिवरात्रि पर श्रवण नक्षत्र का संयोग बन रहा है। श्रवण नक्षत्र इस दिन सुबह से लेकर शाम 5:08 बजे तक प्रभावी रहेगा। इस दिन बुध, शनि और सूर्य तीनों कुंभ राशि में विराजमान होंगे, ऐसे में बुधादित्य योग, त्रिग्रही योग का निर्माण हो रहा है जो भारत समेत कई देशों के लिए शुभ साबित होगा। रात्रि चार प्रहर पूजा का शुभ मुहूर्त महाशिवरात्रि के पर्व में शास्त्रीय मान्यता के अनुसार चार प्रहर की साधना का विशेष महत्व होता है। प्रत्येक प्रहर में भगवान शिव की उपासना के अलग-अलग प्रकार का फल का वर्णन शिव महापुराण में मिलता है।

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार श्रद्धा, प्रहर,स्थिति और उपचार के अनुसार साधना करनी चाहिए। चार प्रहर की साधना से धन, यश, प्रतिष्ठा और समृद्धि की प्राप्त होती है। 26 फरवरी को रात्रि प्रथम प्रहर की पूजा का समय शाम 06:19 बजे से रात्रि 9:26 बजे तक, द्वितीय रात्रि प्रहर की पूजा का समय रात्रि 9:26 बजे से मध्य रात्रि 12:34 बजे तक, तृतीय प्रहर की रात्रि पूजा का समय मध्य रात्रि 12:34 बजे से 27 फरवरी को प्रातः 3:41 बजे तक तथा चतुर्थ प्रहर की पूजा का समय 27 फरवरी प्रातः 3:41 बजे से प्रातः 6:48 बजे तक है।

मुंबई के शिवालयों में महाशिवरात्रि की तैयारी महाशिवरात्रि को लेकर मुंबई के सभी शिवालयों में तैयारी जारी है। दक्षिण मुंबई के बाबुलनाथ मंदिर, गोलदेवल के नागेश्वर महादेव मंदिर, चंद्रमौलेश्वर महादेव मंदिर, घाटकोपर पश्चिम के जंगलेश्वर महादेव मंदिर, असलफा के महादेव मंदिर, पवई के सुवर्णा रुंडमालिनी मंदिर, वसई के तुंगारेश्वर मंदिर, मालाड मढ़ के किल्लेश्वर (मुक्तेश्वर) महादेव मंदिर, भायंदर पूर्व के काशी विश्वनाथ मंदिर के साथ प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय के सभी केंद्रों में महाशिवरात्रि को लेकर तैयारियां की जा रही हैं।

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