शिव पूजन पांडेय/मुंबई वार्ता

हिमाचल प्रदेश से आये वरिष्ठ कथाकार एस. आर. हरनोट की ‘कहानी पाठ’ का सफल आयोजन विरुंगुला केंद्र ,मीरा रोड में किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रसिद्ध कथाकार धीरेन्द्र अस्थाना ने की।
कहानी पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए उन्होंने ने कहा कि “हरनोट की कहानियाँ जीवन की ऊषमां से भरी होती हैं। इस अवसर पर लेखक हरनोट ने पहाड़ी जीवन से सम्बंधित खूबसूरत कहानी ‘बागा देवी का चाय घर’ का पाठ किया। यह कहानी हज़ारों मीटर ऊँचे पर्वतीय झील के किनारे अपनी एक छोटी-सी चाय की दूकान चलाने वाली ‘बागा देवी’ के साहस और आत्मसम्मान को उजागर करती है।
इस कहानी में नारी अस्मिता, पर्यावरण, मल्टी नेशनल और बाज़ार की भेंट चढ़ते प्राकृतिक संसाधनों का बड़ा ही मार्मिक चित्रण किया गया।अपनी समीक्षात्मक टिपण्णी देते हुए धीरेन्द्र अस्थाना ने कहा कि हरनोट जी अपनी कहानियाँ धीरे-धीरे और ढंग से कहते हैं, इन कहानियों में पहाड़ी लोक जीवन बड़े सधे हुए रूप में प्रकट होता है”। इस कहानी का केनवास बहुत बड़ा है इस विषय को कहानी की बजाय उपन्यास में बाँधा जाना चाहिए। “प्रसिद्ध लेखिका व एक्टिविस्ट कुसुम त्रिपाठी ने कहा कि” कहानी की नायिका बागा के माध्यम से लेखक ने महिलाओं के मनोविविज्ञान को बहुत ही बारीकी से पकड़ा है। नारी स्वतंत्रता के नाम पर बाज़ार औरत के शरीर को एक प्रोडक्ट में बदल रहा है, कहानी पर्यावरण जैसे आज के महत्त्वपूर्ण मुद्दों को केंद्र में रखती है झील, पेड़-पौधे, चिड़ियों जैसे प्राकृतिक घटकों पर मंडराते खतरों से आगाह करवाती है”। युवा कवि-कथाकार हरिमृदुल ने कहानी पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि कहानी में आज के सरोकार, हमारी चिंताएँ और समकालीनता बखूबी नज़र आतीं हैं यही बातें एक साहित्यकार को सफल बनाती हैं। कहानी में कथ्य और शिल्प का सुंदर मिलाप हुआ है।”
शैलेश सिंह ने कहा कि “पहाड़ी जीवन की कठिन परिस्थितियों का मुकाबला करते हुए जीना श्रम की महत्ता को उजागर करता है।” अंत में कथाकार हरनोट ने हिमाचल में उनके द्वारा चलाए जा रहे विभिन्न सांस्कृतिक अभियानों की जानकारी दी विशेष तौर पर किन्नौर प्रदेश की संस्कृति और इतिहास की भी चर्चा की। इस वैचारिक गोष्ठी का उम्दा संचालन साहित्यकार रमन मिश्र ने किया और स्वरसंगम के संस्थापक हृदयेश मयंक ने इस सफल आयोजन के लिए सब का शुक्रिया अदा किया।
इस अवसर पर कवि शायर राकेश शर्मा, कथाकार हुस्न तबस्सुम नेहा, ललिता अस्थाना, बुद्धिलाल पाल जी, अदाकार अजय रोहिल्ला, शुभानकर विश्वास, प्रशांत जैन, विनीता वर्मा, सुशीला तिवारी, उषा तिवारी, पुलक चक्रवती, पुरषोत्तम सिंह आदि साहित्य और संस्कृति से जुड़े लोग इस कार्यक्रम में उपस्थित थे।