श्रीश उपाध्याय/मुंबई वार्ता

कॉंग्रेस के पूर्व मंत्री मोहम्मद आरिफ (नसीम) खान ने भाषा के नाम पर गुंडागर्दी कर रही महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना पार्टी के ख़िलाफ़ बोलते हुए कहा कि, ” भाषावाद का मुद्दा सिर्फ राजनीतिक जमीन तलाशने की कोशिश है। अगर मराठी युवकों के लिए इतना ही प्यार उमड़ रहा है तो उनके लिए रोजगार का इंतजाम करवाना चाहिए।”


ज्ञात हो कि पवई के L &T में एक वाचमैंन को इसलिए मारा-पीटा गया क्योंकि वह मराठी बोलने में असमर्थ था।इस मुद्दे पर बोलते हुए नसीम खान ने कहा कि. ” अगर किसी को मराठी बोलने नहीं आती तो इससे मराठी का अपमान नहीं होता। हाँ, महाराष्ट्र में रह रहे हैं तो मराठी सीखनी चाहिए। हमारे बहुत से उत्तर भारतीय है जो धाराप्रवाह मराठी बोलते हैं। लेकिन जिस भी दक्षिण भारतीय, उत्तर भारतीय या गुजराती समेत अन्य राज्यों के लोगों को मराठी बोलने नहीं आती, उनसे मराठी बोलवाने के नाम पर, उनके साथ गुंडागर्दी करने वाले लोगों के खिलाफ सरकार को सख्त कार्रवाई करनी चाहिए।
नसीम खान ने कहा कि जो लोग भाषा के नाम पर या प्रांत के नाम पर लोगों की भावनाओं को भड़काने का प्रयास कर रहे हैं, सरकार को उनके खिलाफ भी कार्रवाई करनी चाहिए।वर्ष 2009 चुनावों से पहले भी राजनीतिक स्वार्थ के लिए भाषा वाद को बढावा देने वालो के खिलाफ तत्कालीन कॉंग्रेस सरकार ने कठोर कार्रवाई की थी और ऐसे लोगों को जेल की हवा खिलाई थी। उनके मुखिया के ख़िलाफ़ भी कार्रवाई की थी। मौजूदा भारतीय जनता पार्टी की सरकार से हमें कोई उम्मीद नहीं है कि वे ऐसे गुंडागर्दी करने वाले लोगों के खिलाफ कोई कार्रवाई करेगी। लेकिन लोगों की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए ऐसे गुंडों के ख़िलाफ़ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए।


इसी विवाद पर प्रतिक्रिया देते हुए उत्तर मध्य मुंबई के भाजपा जिला महामंत्री डॉक्टर नीतेश राजहंस सिंह ने कहा कि, ” महाराष्ट्र में अगर आप रह रहे हैं तो यहां की भाषा मराठी आनी चाहिए। अगर किसी को मराठी बोलने नहीं आता है तो उसे मराठी बोलने सीखना चाहिए। लेकिन अगर किसी एकाध उत्तर भारतीय को मराठी बोलने नहीं आ रही है तो उसे मरना पीटना और उसके बहाने पूरे उत्तर भारतीय समाज के लोगों को अपशब्द बोलना सरासर गलत है। हम सरकार से मांग करेंगे कि ऐसी गुंडागर्दी करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए।”