■ संत ज्ञानेश्वर जैसे संतों की वाणी के संदेश को जन-जन तक पहुंचाने के लिए प्रयास जरूरी – श्रीमती देशमुख
मुंबई वार्ता/राजेश विक्रांत

अन्तरराष्ट्रीय संचेतना साहित्य महोत्सव का शुभारंभ हुआ। अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी में भारतीय साहित्य संकल्पना और वैश्विक प्रभाव पर मंथन हुआ। संचेतना समाचार और अक्षरवार्ता पत्रिका का विमोचन हुआ।


राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना उज्जैन द्वारा मराठा मंदिर साहित्य शाखा मुम्बई एवं विश्व हिन्दी प्रचार प्रसार संस्थान पुणे के सहयोग से विश्व शिक्षक दिवस के अवसर पर दो दिवसीय अन्तरराष्ट्रीय संचेतना महोत्सव का शुभारंभ हुआ। इस अवसर पर भारतीय साहित्य संकल्पना और वैश्विक प्रभाव पर केंद्रित अन्तरराष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस अवसर पर सन्ध्या को अंतरराष्ट्रीय बहुभाषी कवि सम्मेलन का आयोजन हुआ, जिसमें देश विदेश के अनेक कवियों ने विविध विषयों पर अपनी सरस कविताएं सुनाईं।


उद्घाटन समारोह के मुख्य अतिथि ओस्लो नॉर्वे के वरिष्ठ साहित्यकार श्री सुरेश चंद्र शुक्ल शरद आलोक थे। मुख्य वक्ता सम्राट विक्रमादित्य विश्वविद्यालय उज्जैन के कुलानुशासक प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा थे। विशिष्ट अतिथि प्रो उर्वशी पंड्या, मुंबई, कर्नल श्री संजय मिश्रा, बेंगलुरु, डॉ निवेदिता देशमुख, मुंबई, प्रो सुनीता मंडल, कोलकाता, निर्मल कुमार मेहता मुंबई, शहनाज शेख, नांदेड़, डॉ प्रभु चौधरी, बाबासाहेब तोरस्कार, ठाणे थे।
अतिथियों द्वारा संचेतना समाचार और अक्षरवार्ता पत्रिका का विमोचन किया गयामुख्य अतिथि श्री सुरेश चंद्र शुक्ल शरद आलोक, ओस्लो ने नॉर्वे की संस्कृति का परिचय देते हुए विश्व फलक पर भारतीय साहित्य के योगदान पर प्रकाश डाला।मुख्य वक्ता कुलानुशासक प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा ने कहा कि ने कहा कि भारतीय साहित्य ने सहस्रों वर्षों से विश्व सभ्यता पर गहरा प्रभाव डाला है। भारतीयता की संकल्पना व्यापक और बहुआयामी है। भारतीय साहित्य में इस देश की पहचान आध्यात्मिकता, समन्वयशीलता, मानव एवं परिवार विषयक अवधारणा स्पंदित हुई है। भारतीय साहित्य इस देश की सांस्कृतिक, आध्यात्मिक, सामाजिक और ऐतिहासिक पहचान को प्रतिबिंबित करता है।
भारत की अलग अलग भाषाओं और बोलियों में रचे साहित्य में सामाजिक मूल्य, वैचारिक एवं भावनात्मक एकता के दर्शन होते हैं। भारतीय साहित्य ने दुनियाभर में इस देश की संस्कृति और दर्शन का प्रसार करने में अविस्मरणीय भूमिका निभाई है। विशिष्ट अतिथि मराठा मंदिर ट्रस्ट मुंबई की पदाधिकारी श्रीमती निवेदिता देशमुख ने कहा कि वर्तमान दौर में विश्व शांति के लिए प्रयास आवश्यक है। इसके लिए साहित्य महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। शास्त्र सभी को एक समान स्तर पर लाने का प्रयास करता है। संत ज्ञानेश्वर सहित सभी संतों की वाणी और संदेश को जन-जन तक पहुंचाने के लिए प्रयास करने होंगे।विशिष्ट अतिथि प्रो सुनीता मंडल, कोलकाता ने कहा कि जो प्रकाश देता है, वह भारत है। भारतीय साहित्य इस देश की ज्ञान परंपरा का संवाहक है।
कर्नल श्री संजय मिश्रा, बेंगलुरु ने कहा कि भारतीय भाषाएं अत्यंत उदार और वैज्ञानिक हैं। उन्होंने सदियों से इस देश को भावात्मक एकता के साथ जोड़ कर रखा है। प्रारम्भ में कवयित्री माया मेहता ने सरस्वती वंदना प्रस्तुत की। प्रारम्भ में अतिथियों द्वारा वाग्देवी, बाबासाहेब गावड़े के चित्र और छत्रपति शिवाजी की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की। संचालन कवयित्री सुमंगला सुमन, मुंबई एवं श्वेता मिश्रा बेंगलुरु ने किया। कार्यक्रम की पीठिका राष्ट्रीय संगठन महामंत्री डॉ. प्रभु चौधरी ने प्रस्तुत की।
● अंतरराष्ट्रीय कवि सम्मेलन में देश विदेश के कवियों ने किया काव्य पाठ.
अंतरराष्ट्रीय कवि सम्मेलन में अरुणा शुक्ला, नांदेड़, कुसुम तिवारी मुम्बई, सुरेश चंद्र शुक्ल शरद आलोक, नॉर्वे, डॉ मीरा सिंह, यूएसए, डॉ अलका नाईक, मुम्बई, श्रीमती मंजु सराठे, कल्याण, रोशनी किरण, मुंबई, नितू पांडे क्रांति, मुम्बई, लक्ष्मी यादव मुम्बई, डॉ उषा रानी, गुजरात, पल्लवी रानी, कल्याण मुम्बई, पल्लवी रानी, कल्याण, अल्पना दीक्षित, मुम्बई, सीमा दुबे, गाजियाबाद, सुशील सागर, उत्तर प्रदेश, बाला साहेब तोरसकर, मुम्बई, गीता श्री नाईक मुम्बई, सुन्दरलाल मालवीय, मेरुप्रभा मिश्रा लखनऊ, डॉ सुशीला पाल, मुंबई, डॉ प्रभु चौधरी, राष्ट्रीय संगठन महामंत्री उज्जैन, वीणा खाड़कर पुणे, डॉ मीना, सुधा शर्मा, मेरठ, प्रियंका सोनी प्रीत जलगांव ने अपनी कविताओं से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध किया।
संचालन कवयित्री श्रीमती श्वेता मिश्रा ने किया। आभार प्रदर्शन संस्था के संगठन महामंत्री डॉ प्रभु चौधरी ने किया।


