वरिष्ठ संवाददाता /मुंबई वार्ता

सनातन धर्म भगवान विष्णु और माता महालक्ष्मी की कृपा पाने के लिए एकादशी का व्रत किया जाता है। श्री हरि विष्णु को समर्पित षटतिला एकादशी के व्रत का खास महत्व है, लक्ष्मी-नारायण की पूजा करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। पंचांग के अनुसार षटतिला एकादशी का व्रत माघ माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी पर शनिवार 25 जनवरी को रखा जाएगा। षटतिला एकादशी के दिन दो दुर्लभ योग का संयोग बन रहा है।
पंचांग की गणना के अनुसार षटतिला एकादशी पर ध्रुव योग और व्याघात योग का दुर्लभ संयोग बन रहा है। षटतिला एकादशी पर इस्कॉन द्वारा संचालित सभी राधा कृष्ण मंदिरों में विशेष पूजा के साथ गीता पाठ किया जाएगा। इसके अलावा सभी विट्ठल रुक्मिणी मंदिरों में तुलसी अर्चना की जाएगी। ज्योतिषाचार्य पंडित प्रदीप (रोहित) ओझा के अनुसार 25 जनवरी को 5:08 बजे से 26 जनवरी को प्रातः काल 4:37 बजे तक ध्रुव योग रहेगा। इसके बाद व्याघात योग आरंभ हो जाएगा।
यह योग 27 जनवरी को सुबह 3:33 बजे तक रहेगा। षटतिला एकादशी पर शिव वास योग का भी निर्माण हो रहा है। इन योगों में लक्ष्मीनारायण की पूजा करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। इस तिथि पर तिल एवं अन्न का दान करने से अमोघ फल की प्राप्ति होती है, साथ ही सभी बिगड़े काम बन जाते हैं।षटतिला एकादशी गोचर काल पंडित ओझा के अनुसार षटतिला एकादशी की शुरुआत शुक्रवार 24 जनवरी को शाम 07:25 बजे से होगी। जबकि एकादशी का समापन 25 जनवरी को रात्रि 08:31 बजे होगा। उदया तिथि की मान्यता के अनुसार षटतिला एकादशी का व्रत शनिवार 25 जनवरी को किया जाएगा। षटतिला एकादशी व्रत का परं 26 जनवरी को प्रातः 07:21 बजे से सुबह 09:34 बजे तक किया जा सकता है। पारण दिवस द्वादशी रात्रि 08:54 बजे समाप्त होगी। इस्कॉन मंदिरों में गीता पाठ इस्कॉन द्वारा संचालित सभी राधा कृष्ण मंदिरों में माघ माह के कृष्ण पक्ष की षटतिला एकादशी पर राधा-कृष्ण का श्रृंगार कर झांकी सजाई जाएगी। साथ ही दिन भर कीर्तन चलेगा।
इस्कॉन जुहू की मीडिया प्रभारी पारिजात देवदासी माताजी के अनुसार यहां सामूहिक गीता पाठ किया जाएगा। साथ ही अखंड भजन कीर्तन आयोजित किया गया है। इसके अलावा गिरगांव चौपाटी, मीरा रोड, नवी मुंबई के खारघर समेत अन्य मंदिरों में षटतिला एकादशी पर भजन कीर्तन आयोजित किए गए हैं। विट्ठल मंदिरों में जुटेंगे श्रद्धालु दक्षिण मुंबई के वडाला स्थित प्रति पंढरपुर विठोबा मंदिर में षटतिला एकादशी को लेकर विशेष तैयारी की गई है।
भक्तों की भीड़ को नियंत्रित करने के लिए स्थानीय पुलिस के साथ स्वयंसेवक तैनात रहेंगे। चूंकि यह मूर्ति चंद्रभागा नदी से आई है इसलिए इसे पंढरपुर के समकक्ष मान्यता प्राप्त है अर्थात प्रति पंढरपुर कहा जाता है। मंदिर में मूर्ति की स्थापना संत तुकाराम महाराज के हाथों से की गई थी इसलिए यहां एकादशी पर मुंबई के बाहर से भी श्रद्धालु आते हैं। इसी तरह से टिटवाला पूर्व स्थित प्राचीन श्री विट्ठल रुक्मिणी मंदिर में भी षटतिला एकादशी पर जुटने वाले वारकरी श्रद्धालुओं लिए व्यवस्था की जा रही है।