● सातवें दिन 12 ज्योतिर्लिंगो की हुई स्थापना
मुंबई वार्ता/ अमिताभ श्रीवास्तव

शिव महापुराण कथा में महाभारत युद्ध का प्रसंग आया जिसमें अश्वतथामा द्वारा पांडव पुत्रो की हत्या की गई और उसके बाद उसे वो दंड मिला जो आज तक अश्वतथामा भुगत रहा है। अमरता हमेशा सुखद नहीं होती यह अश्वतथामा को मिले दंड से ज्ञात होता है।


इसके बाद जगतगुरु चैतन्य गोपेश्वर देव महाराज ने 12 ज्योतिर्लिंगो की स्थापना कैसे हुई कथा में व्यक्त प्रसंगो के माध्यम से बहुत सुंदर तरीके से प्रस्तुत किया।
कथा के सातवें दिन 12 ज्योतिर्लिंगो की स्थापना की गई। सोमनाथ (गुजरात), मल्लिकार्जुन (आंध्र प्रदेश), महाकालेश्वर (मध्य प्रदेश), ओंकारेश्वर (मध्य प्रदेश), केदारनाथ (उत्तराखंड), भीमाशंकर (महाराष्ट्र), विश्वनाथ (उत्तर प्रदेश), त्र्यंबकेश्वर (महाराष्ट्र), वैद्यनाथ (झारखंड), नागेश्वर (गुजरात), रामेश्वर (तमिलनाडु) और घुश्मेश्वर (महाराष्ट्र) के ज्योतिर्लिंगो की महत्ता बताई गई।
कल्याण खड़कपाडा क्षेत्र में चल रही शिव महापुराण सर्वभौम सनातन धर्म का एक महाआयोजन है। यह कथा 30 मई को सम्पन्न होगी। इस दिन भोले बाबा का महा भंडारा रखा गया है। जिसे महाप्रसाद का नाम दिया गया है। इसमें समस्त शिवभक्त आमंत्रित हैँ।