J-35 बनाम राफेल: अगर हुआ आमना-सामना, तो कौन पड़ेगा भारी?

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सुधीर शुक्ल/वरिष्ठ पत्रकार/मुंबई वार्ता

दरअसल भारत पाक के बीच युद्ध पर पॉज की बटन लगी हुई है। इसी बीच अब खबर आ रही है कि चीन अपनी नाक बचाने के लिए अपने सबसे अत्याधुनिक फिफ्थ जनरेशन लड़ाकू विमान J-35 को पाकिस्तान को दे रहा है। चिंता इसलिए भी है कि इसी साल चीन पाकिस्तान को J-35 लड़ाकू विमानों की 40 फाइटर जेट की सप्लाई की घोषणा की हैं। एक ओर है फ्रांस का राफेल – जो भारत की वायु शक्ति की रीढ़ है और दूसरी ओर है चीन का J-35 , अगर कल को युद्ध हुआ, तो कौन पड़ेगा भारी ? चलिए करते हैं दोनों फाइटर जेट की तकनीकी तुलना।

■ हथियार , मारक क्षमता और मजबूती की

ग्राफिक इंजन और स्पीड राफेल में दो शक्तिशाली Snecma M88 टर्बोफैन इंजन लगे हैं, जो इसे 2,223 किमी/घंटा की स्पीड और जबरदस्त थ्रस्ट देते हैं। जिसका इस्तेमाल दशकों से फ़्रांस के दुनिया की वायु सेनाएं कर रही हैं । वहीं J-35 में WS-19 इंजन लगाया गया है, जो अभी डेवलपिंग फेज में है। हलाकि चीन का दावा है कि J-35 की स्पीड 25 सौ के आस पास है मगर इसकी विश्वसनीयता पर दुनिया को शक है। मतलब? युद्ध के मैदान में इंजन और स्पीड के मामले में राफेल तेज़ भी है, और भरोसेमंद भी।

■ स्टील्थ टेक्नोलॉजी और डिजाइन

J-35 को चीन ने F-35 की नकल करके बनाया है। दावा है कि ये स्टील्थ है, लेकिन रडार से पूरी तरह बचना मुश्किल है क्योंकि इसकी फिनिशिंग और मटेरियल उतने उन्नत नहीं हैं, जितना चीन दावा करता है। सबसे बड़ी बात किसी फिफ्थ जनरेशन विमान के स्टेल्थ होने में उसके इंजन बहुत बड़ी भूमिका अदा करते हैं। जब चीन का इंजन ही उतना उन्नत नहीं है तो सिर्फ इंजन की गर्मी की काजः से उसको पकड़ा जा सकता है। जबकि राफेल भले ही “स्टील्थ फाइटर” ना हो, लेकिन इसमें Radar Cross Section (RCS) को कम करने वाली डिज़ाइन, ECM (Electronic Counter Measures), और Spectra Defense System जैसे हाई-टेक फीचर्स हैं जो दुश्मन के रडार को धोखा देने की काबिलियत रखते हैं । यानी राफेल smart stealth के मामले में भी J-35 से आगे है।

■ रेंज हथियार क्षमता और मिसाइल ताकत

राफेल मिसाइलों का बाप है। इसमें लगी है दुनिया की सबसे उन्नत Meteor Air-to-Air Missile जिसकी रेंज है 150+ किलोमीटर है। दुनिया के कई जंग में इसकी सटीकता पारखी जा चुकी है। साथ ही SCALP, Hammer, और MICA मिसाइल इसे असली गेम चेंजर बनाते हैं, वहीं J-35 में चीन की PL सीरीज़ की मिसाइलें हैं । – PL-15 और PL-10 – अगर आपको याद न हो तो बताते चलते हैं कि पाक से चल रहे हाल के युद्ध में PL-15 का इस्तेमाल पाक वायुसेना ने किये था। जिसे भारत ने एक झटके में ही नष्ट कर दिया था। टारगेट लॉक करने, पहले मारने और बच निकलने में राफेल कहीं आगे है।

■ एवियोनिक्स और इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर

राफेल का SPECTRA Electronic Warfare System उसे इलेक्ट्रॉनिक जामिंग, थ्रेट लोकेशन और मिसाइल डायवर्जन में अव्वल बनाती है। J-35 में दावा किया गया AESA रडार है, लेकिन इसकी कार्यक्षमता प्रमाणित नहीं है। चीन की टेक्नोलॉजी अब तक कॉपी-पेस्ट मॉडल पर ही टिकी हुई है। युद्ध में राफेल के सिस्टम पहले खतरे को देख सकते हैं, पहले टारगेट को लॉक कर मार सकते हैं, और खुद को बचा सकते हैं।

■ ऑपरेशनल प्रूवेन बनाम टेस्टिंग स्टेज

राफेल आज भारत, फ्रांस, मिस्र, ग्रीस जैसे कई देशों की एयरफोर्स में काम कर रहा है और कारगिल के बाद की हर रणनीतिक ज़रूरत के हिसाब से इसे चुना गया है। जबकि J-35 सिर्फ चीन की सेना इस्तेमाल कर रही है। युद्ध में इसका कोई रिकॉर्ड नहीं। अनुभव और लड़ाई में आजमाया गया फाइटर ही असली ताकत होता है और राफेल इस मामले में शेर है।

■ अगर हुआ आमना-सामना

अगर राफेल और J-35 आमने-सामने आए, तो राफेल की स्पीड, हथियार, रेंज, और इंटेलिजेंस से J-35 को पहचानने का भी मौका नहीं मिलेगा। राफेल पहले देखेगा, पहले मारेगा, और सुरक्षित लौटेगा। भारतीय वायुसेना के पास अब सिर्फ प्लेन नहीं, एक एलीट सिस्टम है — जिसका नाम है राफेल।

चीन जो भी कोशिश करे, भारत की वायु शक्ति आज हर मोर्चे पर तैयार है। J-35 सिर्फ एक सपना है, जिस पर हार से बौखलाई पाकिस्तान आर्मी तो भरोसा कर सकती हैं लेकिन हाल के तीन दिन के युद्ध में चीन के हथियारों का भारत ने अभी जिस तरीके से कचूमर निकला है, उसके इस लड़ाकू विमान के साथ भी वही हश्र होगा।

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