‘देवी पाड़ा’ में हुस्न की ‘कलंक’ मंडी.?
‘गुड़िया दी बार’ को धारा 188 का कवच.!

मुंबई (सं. भा.) मुंबई के पश्चिमी उपनगर का सर्वाधिक सभ्रांत व चर्चित क्षेत्र रहा है बोरीवली. इसी बोरीवली में कई कलंकाधीशों ने समय-समय अपनी मंडी सजाई लेकिन मुंबई पुलिस उन्हें तहस-नहस करने में पीछे नहीं हटी. इन दिनों यह क्षेत्र ‘गुड़िया दी बार’ को लेकर विशेष चर्चा में है।




गौरतलब है कि बोरीवली (पूर्व) वेस्टर्न एक्सप्रेस हाइवे से सटा हुआ है ‘देवी पाड़ा’ इलाका और यहीं संचालित है ‘गुड़िया दी बार’. इस बीयरबार का संचालक एक दर्जन से ज्यादा ‘बारगर्ल’ रखकर देर रात तक लटके-झटके व अर्धनग्न ‘हुस्न’ नुमाईश नृत्य की महफिल सजाता है. यहां जोरदार पुलिसिया कार्रवाई भी कई महीने पूर्व हुई थी लेकिन अब खाकी वर्दी में बैठे कुछ फर्ज गद्दारों ने इसे मौन स्वीकृति दे दी है. एक युवा समाजसेवी एडवोकेट राजेश तिवारी की मानें तो ‘गुड़िया दी बार’ शुरू से ही बारगर्ल्स की अर्धनग्न नृत्य को लेकर चर्चा में रहा है. चूंकि यह देवी पाड़ा स्लम क्षेत्र है और ज्यादातर इसी मार्ग पर आवागमन भी है. इसलिए जहां बच्चों पर इसका बुरा असर पड़ रहा है, वहीं आसपास भटक रहे अय्याश शराबियों की वजह से शाम ढ़लते ही महिलाओं का गुजरना दूभर सा हो गया है. इस इस ओर ध्यान दिलाने के बाद भी कस्तूरबा पुलिस स्टेशन द्वारा कोई उचित कार्रवाई नही किए जाने के कारण बार संचालकों में कानून का कोई भय नही दिखाई पड़ता है. इतना ही नहीं बल्कि देवी पाड़ा’ में हुस्न की यह ‘कलंक’ मंडी’ बेखौफ चलती है क्योंकि मुंबई पुलिस हेड आफिस से आदेश आने के बाद भी धारा 188 की खानापूर्ति कार्यवाही का कवच ‘गुड़िया दी बार’ को मिला है।


क्या है धारा 188 खानापूर्ति कार्यवाही.?
धारा 188 के अंतर्गत अपराध संज्ञेय, जमानतीय हैं और किसी भी मजिस्ट्रेट द्वारा उन पर मुकदमा चलाया जा सकता है, जिसका अर्थ है कि धारा 188 के अंतर्गत आरोप लगाने पर गिरफ्तारी आवश्यक होगी लेकिन इस धारा के तहत आरोपित व्यक्ति को जमानत पर रिहा किया जा सकता है।


