एकीकृत पेंशन योजना (यूपीएस)

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एकीकृत पेंशन योजना को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मंजूरी प्रदान कर दी है। यह योजना सरकारी कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति के बाद सुरक्षित और सुनिश्चित पेंशन प्रदान करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है है। 1 अप्रैल, 2025 से लागू होने वाली ये योजना सरकारी कर्मचारियों को भविष्य की चिंताओं से मुक्त करती है, बल्कि सेवानिवृत्ति के बाद वित्तीय सुरक्षा भी सुनिश्चित करती है। इसे आम तौर पर नई पेंशन योजना के रूप में जाना जाता है। एनपीएस की आलोचना मुख्य रूप से इस कारण होती थी कि बाजार में उतार-चढ़ाव के चलते पेंशन में अनिश्चितता बनी रहती है और एक निश्चित पेंशन के अभाव में सरकारी कर्मचारी अपने भविष्य के प्रति आश्वस्त
नहीं रह पाता। इसी आधार पर पुरानी पेंशन योजना की मांग होती रही है।यूपीएस सुनिश्चित करती है कि सेवानिवृत्त लोगों को एक निश्चित पेंशन मिले। एनपीएस में पैसा बाजार में लगाया जाता है, इसलिए पेंशन की राशि निश्चित नहीं होती और बाजार के उतार-चढ़ाव पर निर्भर रहती है। यह एनपीएस की आलोचना का मुख्य कारण था।
यूपीएस की तीन प्रमुख विशेषताएं हैं-
एक है सुनिश्चित पेंशन। यह पेंशन 25 वर्षों की न्यूनतम सेवा के बाद सेवानिवृत्ति से पहले के अंतिम 12 महीनों में कर्मचारी के औसत मूल वेतन का 50 प्रतिशत होगी। यूपीएस के तहत अगर कोई कर्मचारी 10 वर्षों की सेवा के बाद रिटायर होता है, तो उसे न्यूनतम 10,000 रुपये प्रति माह पेंशन मिलेगी। एनपीएस के तहत कर्मचारी अपने मूल वेतन का 10 प्रतिशत योगदान देता है, जबकि सरकार 14 प्रतिशत का योगदान देती है। यूपीएस में सरकारी योगदान बढ़कर 18.5 प्रतिशत हो गया है, जबकि कर्मचारी अपने मूल वेतन और महंगाई भत्ते का 10 प्रतिशत योगदान ही देंगे। यूपीएस की दूसरी विशेषता है- मुद्रास्फीति सूचकांक । सभी प्रकार की पेंशन पर महंगाई राहत उपलब्ध होगी। इसकी तीसरी विशेषता है- सेवानिवृत्ति पर एकमुश्त भुगतान। यह – ग्रेच्युटी के अतिरिक्त होगा । भारतीय रिजर्व बैंक के अनुसार 2023- 24 में पेंशन के लिए विभिन्न राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों का कुल बजट अनुमान 5 पॉइंट 22 लाख करोड़ रुपए है, जो वित्त वर्ष 2020-21 के लिए 3.69 लाख करोड रुपए था ।स्पष्ट है कि केवल 3 वर्षों में 41% की उछाल आई।
सेवानिवृत्ति आयु हर देश में अलग-अलग है अमेरिका में 67 वर्ष, सार्वजनिक क्षेत्र के कर्मचारियों का प्रतिशत 12.9 और जीवन प्रत्याशा 81.54 वर्ष है। जापान में 64 वर्ष, सार्वजनिक क्षेत्र के कर्मचारियों का प्रतिशत 7.7 और जीवन प्रत्याशा 84.85 वर्ष है।ब्रिटेन में 66 वर्ष, सार्वजनिक क्षेत्र के कर्मचारियों का प्रतिशत 22.5 और जीवन प्रत्याशा 81.45 वर्ष है।भारत में 60 वर्ष, सार्वजनिक क्षेत्र
के कर्मचारियों का प्रतिशत 3.8 और
जीवन प्रत्याशा 72.24 वर्ष है। स्पष्ट है कि पांच उन्नत देशों के मुकाबले अपने देश में सरकारी कर्मियों की सेवानिवृत्ति कीआयु सबसे कम है।दुनिया भर में बेहतर चिकित्सा सुविधाओं की उपलब्धता और नागरिकों के बीच स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों के बारे में अधिक से अधिक जागरूकता के कारण जीवन प्रत्याशा धीरे-धीरे बढ़ रही है। 1998 में सरकारी कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति की आयु 58 से बढ़ाकर 60वर्ष की गई थी। हालांकि तब भारतीय नागरिकों की जीवन प्रत्याशा केवल 61.4वर्ष थी। 2024 तक जीवन प्रत्याशा तेजी से बढ़कर 72.24 वर्ष हो गई।
इसमें सुधार के लिए हमें सरकारी क्षेत्र में नई नौकरियों की संख्या बढ़ानी होगी। इससे एक समग्र शासन और सार्वजनिक सेवाओं की और दक्षता में सुधार होगा और सेवानिवृत्ति की आयु में वृद्धि के कारण नई नौकरियों पर पड़ने वाले नकारात्मक प्रभाव को भी कम किया जा सकेगा।
यूपीएस पूर्वानुमानित पेंशन प्रदान करके उन सरकारी कर्मचारियों को लाभ पहुंचाएगी, जिन्होंने अपना पूरा जीवन राष्ट्रसेवा के लिए समर्पित कर दिया है।यह सरकार के लिए भी लाभकारी है।यूपीएस में सरकार और कर्मचारी अपने वेतन का एक निश्चित प्रतिशत योगदान देंगे। यह पेंशन फंड सरकार के वित्तपोषण के ढांचे को बनाए रखने में मदद करेगा। सरकारी खजाने पर यूपीएस के प्रभाव को कम करने के लिए सेवानिवृत्ति की आयु बढ़ाने और सरकारी क्षेत्र में नए रोजगार के अवसर के बारे में गंभीरता से सोचना चाहिए।

नन्दिनी रस्तोगी ‘नेहा’, मेरठ

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