मुंबई वार्ता/सतीश सोनी

सीबीआई ने अपने आरोपपत्र में दावा किया है कि सह-संस्थापक राणा कपूर द्वारा उद्योगपति अनिल अंबानी के नेतृत्व वाली वित्तीय कंपनियों में निवेश करने के एकतरफा फैसले के कारण बैंक को २,७०० करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हुआ है। यस बैंक और अंबानी की प्रमुख कंपनियों के बीच कथित धोखाधड़ी वाले लेनदेन से जुड़े मामले में, सीबीआई ने अभी तक आरोपपत्र दायर नहीं किया है। इसमें, सीबीआई ने उपरोक्त दावा किया था।


सीबीआई ने इस मामले में अनिल अंबानी, राणा कपूर और उनके परिवार के सदस्यों सहित १३ लोगों के खिलाफ आरोपपत्र दायर किया था। इन सभी पर ऋण और निवेश से संबंधित आपराधिक साजिश, धोखाधड़ी और भ्रष्टाचार का आरोप लगाया गया है। सीबीआई ने अपने आरोपपत्र में कहा है कि मामले में अनिल अंबानी के बेटे और रिलायंस कैपिटल के तत्कालीन कार्यकारी निदेशक अनमोल अंबानी की भूमिका की आगे की जांच चल रही है। यह मामला बैंक के मुख्य कार्यकारी अधिकारी द्वारा दायर दो अलग-अलग शिकायतों के आधार पर दर्ज किया गया था।


सीबीआई की चार्जशीट के अनुसार, जब राणा कपूर प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी थे, तब बैंक ने २०१७ से २०१९ के बीच अनिल अंबानी के एडीए समूह की वित्तीय कंपनियों में 5,010 करोड़ रुपये का निवेश किया था। इस निवेश में रिलायंस होम फाइनेंस लिमिटेड (आरएचएफएल) के गैर-परिवर्तनीय डिबेंचर (एनसीडी) में २,९६५ करोड़ रुपये और रिलायंस कमर्शियल फाइनेंस लिमिटेड (आरसीएफएल) के वाणिज्यिक पत्रों में २,०४५ करोड़ रुपये शामिल हैं।
चार्जशीट में दावा किया गया है कि दिसंबर २०१९ तक कुल ३,३३७.५ करोड़ रुपये में से, इसे गैर-निष्पादित निवेश (एनपीआई) में बदल दिया गया था। चार्जशीट में यह भी कहा गया है कि बैंक हमसे निवेश की पूरी राशि वसूल नहीं कर सका और इस वजह से २,७९६.७७ करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। सीबीआई ने यह भी दावा किया है कि एडीए की कुछ संस्थाएँ शेल कंपनियाँ हैं।


