■ नेपाल पशुपतिनाथ मंदिर से मंगवाए गए रुद्राक्ष जगद्गुरु ने सबको प्रसाद रूप में भेंट किये ।
मुंबई वार्ता संवाददाता

आज ज़ब छठे दिन महाशिवपुराण कथा ने प्रवेश किया तो यह कथा तीन जगह सुनाई जा रही थी। जगद्गुरु चैतन्य गोपेश्वर देव महाराज ने बताया कि आज की कथा ब्रह्मा जी नारद जी के लिए, सूत जी सौनक जी के लिए और सनतकुमार जी वेद व्यास जी के लिए कथा सुना रहे हैं। यानि तीन जगहों पर कथा सुनाई और सुनी जा रही है।
शंखचूण, अंधक, बाणासूर आदि के प्रसंगो के साथ शंकर भगवान जी द्वारा काशी को अपनी राजधानी बनाना और भैरव को उसका अधिपति घोषित करने जैसे रोचक प्रसंग व्यासपीठ से महाराज जी ने सुनाए। इन कथाओं में भगवान शंकर के भोलेपन को भी जहाँ प्रकट किया गया वहीं उनके रौद्र रूप और युद्ध का वर्णन भी हुआ।


असुरो द्वारा शिव तपस्या, शिव जी का दर्शन फिर उनको वरदान देना और ज़ब उनका अत्याचार बढ़ जाता है तो उनका वध भी करना शिवपुराण में शामिल है जिसे मधुर संगीत के साथ महाराज जी ने भी बहुत रोचक ढंग से प्रस्तुत किया। उनके द्वारा गाए जा रहे भजनो पर भक्तजन झूम उठे। सार्वभौम सनातन धर्म महासभा की ओर से कल्याण खड़कपाड़ा के गाँव मंदिर परिसर में चल रही इस शिवमहापुराण कथा में आज भक्तजनो को सुखद अवसर प्राप्त हुआ ज़ब जगद्गुरु के हाथों से कथा में आए सभी श्रोतागणो को प्रसाद रूप में उनके द्वारा नेपाल पशुपति नाथ मंदिर से विशेष रूप से मंगवाए हुए रुद्राक्ष वितरित किये गए।
वट सावित्री अमावस्या के इस पावन दिवस पर सुबह रुद्राभिषेक के बाद आज सुंदरकांड का भी संगीतमय पाठ किया गया था, जिसमें मध्यप्रदेश के बड़वानी से आए संगीत शिक्षक प्रवीण पाटीदार की मंडली ने विशेष भूमिका निभाई और सार्वभौम सनातन धर्म महासभा के महाराष्ट्र प्रदेश संयोजक रामजी लाल वर्मा द्वारा गायन किया गया। भोलेबाबा मंडली के कर्मठ बच्चे आयोजन का सारा कार्यभार बेहद सहजता पूर्वक संभाल रहे हैं, जिनका आभार समिति ने व्यक्त किया है।