हिंदू कल्याण में बजरंग दल और विश्व हिंदू परिषद की भूमिका।

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ज्ञानेंद्र मिश्र/स्तंभकार/मुंबई वार्ता

● आरंभ

भारत एक ऐसा देश है जहां कई तरह के लोग रहते हैं, और यहां हर समुदाय की सुरक्षा बहुत जरूरी है। हिंदू, जो देश की सबसे बड़ी आबादी हैं, उन्हें अपनी संस्कृति और जान-माल की सुरक्षा के लिए कई बार मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) और इसका युवा संगठन बजरंग दल हिंदुओं के हक के लिए हमेशा आवाज उठाते हैं। ये लोग सांप्रदायिक हिंसा, लव-जिहाद और हमारी संस्कृति को नुकसान पहुंचाने वाली चीजों के खिलाफ लड़ते हैं। ये अपने समुदाय को बचाने के लिए कई बार अपनी जान जोखिम में डालते हैं।

हाल ही में कर्नाटक में बजरंग दल के कार्यकर्ता सुहास शेट्टी की हत्या- इनकी जोखिम का एक बड़ा उदाहरण है। सुहास शेट्टी की हत्या 1 मई, 2025 को मंगलुरु में सुहास शेट्टी, जो बजरंग दल के पुराने सदस्य थे और कर्नाटक के तटीय इलाके में मशहूर थे, की कुछ अज्ञात लोगों ने बेरहमी से हत्या कर दी। 42 साल के सुहास एक जाने-माने कार्यकर्ता थे। उनकी हत्या से पूरा इलाका हिल गया।

वीएचपी ने दक्षिण कन्नड़ में बंद का ऐलान किया, और मंगलुरु पुलिस ने हालात काबू में करने के लिए सख्त कदम उठाए। ये घटना दिखाती है कि भारत के कुछ हिस्सों में सांप्रदायिक माहौल कितना तनावपूर्ण है और हिंदू हितों के लिए लड़ने वालों को कितना खतरा है।बजरंग दल और वीएचपी का कहना है कि सुहास की हत्या कोई इकलौती घटना नहीं है। हिंदू कार्यकर्ताओं पर इस तरह के हमले बार-बार हो रहे हैं। उनका दावा है कि ये हमले कुछ असामाजिक / “विशेष समुदाय” के लोग, सोच-समझकर करते हैं। इस हत्या ने हिंदू कार्यकर्ताओं की सुरक्षा और बजरंग दल जैसे संगठनों की सतर्कता की जरूरत को फिर से सामने ला दिया।

● वीएचपी/बजरंग दल का-उद्देश्य

1964 में शुरू हुई वीएचपी और 1984 में बनी बजरंग दल हिंदुओं के हितों की रक्षा के लिए हमेशा आगे रहती हैं। ये लोग धार्मिक कार्यक्रम करवाते हैं, मंदिरों की हिफाजत करते हैं और हिंदुओं को प्रभावित करने वाले सामाजिक-राजनीतिक मुद्दों पर काम करते हैं। बजरंग दल खासतौर पर जमीनी स्तर पर बहुत सक्रिय है। ये युवा हिंदुओं को एकजुट करके जबरन धर्म बदलने, लव-जिहाद, गायों की हत्या और हमारी संस्कृति को कमजोर करने जैसी चीजों का विरोध करते हैं।ये संगठन उन मुद्दों पर खुलकर बोलते हैं, जो हिंदुओं की सुरक्षा को खतरा पहुंचाते हैं। मिसाल के तौर पर, पश्चिम बंगाल में वो वहां हिंदुओं पर होने वाले हमलों के खिलाफ आवाज उठाते हैं, जिन्हें वो वक्फ बिल जैसे कानूनों से जोड़कर देखते हैं। बेंगलुरु में एक हिंदू लड़के और मुस्लिम लड़की के साथ हुई बदसलूकी को भी वो असहिष्णुता का हिस्सा मानते हैं।

● लव-जिहाद और भोपाल का सेक्स स्कैंडल

अक्सर खबरें आती हैं कि हिंदू लड़कियों को सोची-समझी साजिश के तहत फंसाया जाता है, फिर ब्लैकमेल करके उनके साथ गलत काम किए जाते हैं। हर महीने ऐसी खबरें आती हैं कि कोई हिंदू लड़की लव-जिहाद के चक्कर में फंसकर बचाई गई। हाल ही में भोपाल में एक ऐसा ही सेक्स स्कैंडल पकड़ा गया, जो अजमेर के पुराने स्कैंडल जैसा था। इसमें फरहान खान और उसकी टीम, जिसमें उसकी बहन भी शामिल थी, हिंदू लड़कियों को फंसाकर उनके साथ गलत काम करती थी और उन्हें वेश्यावृत्ति के लिए मजबूर करती थी।पूछताछ में फरहान ने सबकुछ कबूल किया और कहा कि हिंदू लड़कियों के साथ ऐसा करना उनके धर्म में “सवाब” (पुण्य) है। उसने इस पर कोई अफसोस नहीं जताया, बल्कि गर्व महसूस किया।

● वसंत ओएसिस में कश्मीरी गार्डों का मामला

मुंबई के‌ अंधेरी पूर्व में स्थित वसंत ओएसिस सोसाइटी में हाल ही में एक विवाद हुआ। अप्रैल 2025 में बजरंग दल और वीएचपी ने वहां काम करने वाले 40 कश्मीरी मुस्लिम सुरक्षा गार्डों को हटाने की मांग की। वीएचपी/ बजरंग दल के एक वरिष्ठ और मुखर सदस्य *गौतम रेवरिया* का कहना था कि कश्मीर में उग्रवाद और धार्मिक हिंसा का इतिहास रहा है, इसलिए वहां के लोगों को सुरक्षा जैसे अहम काम में रखना हिंदू निवासियों के लिए खतरा हो सकता है। इन्होंने कहा कि ये मांग नौकरियां छीनने के लिए नहीं, बल्कि लोगों की सुरक्षा के लिए है।इस मांग पर खूब बहस हुई। कुछ लोग इसे भेदभाव बता रहे हैं, तो कुछ का कहना है कि कट्टरपंथ का डर वाजिब है। पुलिस इसकी जांच कर रही है, जो इस मामले की गंभीरता दिखाता है।ये मामला भारत में विश्वास और समुदायों के रिश्तों पर सवाल उठाता है। बजरंग दल और वीएचपी का कहना है कि कश्मीर भारत का हिस्सा है, लेकिन वहां की हिंसा और हाल की घटनाओं, जैसे पहलगाम नरसंहार, पश्चिम बंगाल में वक्फ बिल के बहाने हिंदुओं पर हमले, और पुणे में मूर्ति तोड़ने व शिवलिंग पर गंदगी करने जैसी घटनाओं के बाद सावधानी बरतना जरूरी है। उनका मानना है कि जिन समुदायों ने हिंसा से विश्वास तोड़ा, उन्हें फिर से भरोसा जीतने की कोशिश करनी चाहिए।

● दुनिया का हाल और आत्मनिरीक्षण की जरूरत

बजरंग दल और वीएचपी की चिंताएं सिर्फ भारत तक नहीं हैं। दुनियाभर में आतंकवाद और सांप्रदायिक हिंसा की वजह से मुस्लिम समुदाय पर सवाल उठ रहे हैं। यूरोप से मध्य पूर्व तक हिंसा की खबरों ने अविश्वास बढ़ाया है। भारत में वीएचपी और बजरंग दल कहते हैं कि मुस्लिम समुदाय को सोचना चाहिए कि लोग उन पर शक क्यों करते हैं और शांति के लिए कदम उठाने चाहिए।कुछ लोग कहते हैं कि ये बातें पूरे समुदाय को बदनाम करती हैं और समाज में फूट डालती हैं। लेकिन वीएचपी और बजरंग दल का कहना है कि वो सिर्फ हिंदुओं को असली खतरों से बचाना चाहते हैं। वो मुस्लिमों से सिर्फ इतना कह रहे हैं कि कुछ करें, हमारा भरोसा जीतें, ताकि सब शांति से रह सकें।

● अंत में

वीएचपी और बजरंग दल हिंदू समुदाय की सुरक्षा के लिए अहम काम करते हैं। उनके सदस्य बिना किसी स्वार्थ के सिर्फ कमजोर हिंदू समाज की रक्षा उनके बहन बेटियों की सुरक्षा के लिए अपनी जान को जोखिम में डालते हैं और दुर्भाग्य यह है कि इन्हीं हिंदू समाज से बहुत बड़ा वर्क विशेष तौर पर जो आर्थिक रूप से सक्षम वर्ग है उनकी गतिविधियों का विरोध करता है।।

सुहास शेट्टी की हत्या, पुणे मंदिर मूर्ति खंडन, भोपाल, मुर्शिदाबाद, पहलगाम और स्थानीय में वसंत ओएसिस* जैसे मामले दिखाते हैं कि विश्व हिंदू परिषद / बजरंग दल जैसी संस्थाओं के सामने कितनी चुनौतियां हैं। ये संगठन हिंदुओं के हक की रक्षा करते हैं, लेकिन साथ ही समाज को भी शांति और सुरक्षा में सहयोग के लिए अपने इन बंधुओं पर, योद्धाओं पर भरोसा बनाए रखने की जरूरत है।

मुझे, स्वयं को मेरे लेखन और मुखर विचारों के कारण कम से कम दो बार अप्रत्यक्ष चेतावनी मिल चुकी है, और ईमानदारी से कहूं तो मैं इन्हीं कारणों से एक गंभीर व्यक्तिगत त्रासदी से गुजर भी चुका हूं- मगर उस त्रासदी ने मेरी आवाज को और मुखर तथा मेरी कलम को तलवार बनाने का काम किया।बंधुओं, हिंदू समाज को चाहिए कि विश्व हिंदू परिषद / बजरंग दल के अपने बंधुओं को चिन्हित करें, सम्मानित करें, प्रोत्साहित करें यदि शरीर से नहीं तो कम से कम विचार से और धन से ऐसे संगठनों का सहयोग करें। यदि आपके बच्चे शारीरिक रूप से एक योद्धा जैसी क्षमता नहीं रखते तो भी कोई बात नहीं, हो सके तो कम से कम अपने बच्चों को ऐसी संस्थाओं से संलग्न वैचारिक संगठनों से जोड़ने का प्रयास करें।

किसी अन्य कि नहीं, समाज की नहीं‌, तो कम से कम स्वयं की रक्षा के लिए तो तैयार करिए अपने बच्चों को, अपने परिवार को, अपने समाज को।भारत को इन चुनौतियों से निपटते हुए समुदायों की सुरक्षा और देश की एकता के बीच संतुलन बनाना होगा।

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