मुंबई वार्ता संवाददाता
“मुंबई का विकास केवल ऊंची इमारतें बनाने तक सीमित नहीं है, बल्कि सुनियोजित प्रगति और प्रदूषणमुक्त शहर का संतुलन बनाए रखना इसका मूल है। लेकिन वर्तमान में, बृहन्मुंबई महानगरपालिका के आयुक्त भूषण गगराणी ने निर्माण कार्यों पर प्रतिबंध लगाकर मुंबई की प्रगति में बाधा उत्पन्न की है।‘नाम में भूषण, लेकिन काम में शून्य’ यह स्थिति बन गई है। इस प्रकार का आरोप युवा मुंबई अध्यक्ष, (राष्ट्रवादी कांग्रेस ,शरदचंद्र पवार)एडवोकेट अमोल मातेले ने लगाया है.
एडवोकेट अमोल मातेले ने यह भी कहा कि, “कानून का पालन न करने वाले विकासकों पर जुर्माना लगाना और उन्हें सही दिशा दिखाना प्रशासन का कार्य है। परंतु आयुक्त ने सीधे निर्माण कार्य रोककर शहर की प्रगति पर ब्रेक लगा दिया है। इससे हजारों मजदूरों की आजीविका संकट में आ गई है।आयुक्त की इस नीति को ‘मुंह में राम, बगल में छुरी’ कहा जा सकता है। प्रदूषण कम करना समय की मांग है, लेकिन ‘गधे को गाड़ी में जोड़ने से वह घोड़ा नहीं बनता’ यह भी ध्यान में रखना चाहिए। विकास के नाम पर संपूर्ण निर्माण कार्य बंद करना ऐसा है जैसे ‘समुद्र में नमक डालकर उसे मीठा बनाने की कोशिश करना।”
उन्होंने यह भी कहा कि, “गगराणी से कहना है कि ‘भूषण’ केवल नाम से नहीं, काम से भी होना चाहिए। नियमों का पालन सुनिश्चित करते हुए निर्माण कार्य चालू रखने और प्रदूषण पर नियंत्रण पाने का समाधान निकालना ही आपका असली कर्तव्य है।”
राष्ट्रवादी कांग्रेस शरदचंद्र पवार पार्टी की ओर से एडवोकेट अमोल मातेले ने स्पष्ट मांग की है कि मुंबई की प्रगति को बाधित करने वाले प्रतिबंध हटाकर विकास और पर्यावरण के बीच संतुलन बनाने वाली नीति अपनाई जाए। क्योंकि ‘अगर विकास का रथ रुक गया, तो भविष्य थम जाएगा।’मुंबई को केवल दिखावे की नहीं, ठोस और प्रगतिशील निर्णयों की आवश्यकता है। अन्यथा, विरोधी दल के रूप में हम इस मुद्दे को और अधिक तीव्रता से जनता के सामने उठाएंगे!