मुंबई वार्ता/सतीश सोनी

36 साल पहले ठाणे के कलवा इलाके में राज्य सरकार की ज़मीन पर एक बिल्डर द्वारा तीन इमारतें बनाकर निवासियों से ४४ करोड़ रुपये की ठगी करने का खुलासा हुआ है।


गौरतलब है कि यह मामला तब सामने आया जब निवासियों ने इन इमारतों के पुनर्विकास के लिए ज़मीन अपने नाम कराने की प्रक्रिया शुरू की। इस मामले में कलवा पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज किया गया है और जाँच आर्थिक अपराध जाँच शाखा, ठाणे को सौंप दी गई है।
इस मामले में, साझेदारी फर्म ‘श्री अमृत बिल्डर्स’ के पांच साझेदारों, दीपक रमेश मेहता, जयश्री रमेश मेहता, रमेश अमृतलाल मेहता, केतन रमेश मेहता और प्रीति रमेश मेहता के खिलाफ कलवा पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज किया गया है। मामला श्री अमृत पार्क सोसाइटी के निवासी अरविंद शिवराज पटवर्धन (उम्र ७४) द्वारा दायर एक शिकायत के आधार पर दर्ज किया गया है। अरविंद सहित कुल ११२ फ्लैट मालिकों पर लगभग ४४ करोड़ रुपये की धोखाधड़ी का आरोप है। जांच को आर्थिक अपराध जांच शाखा, ठाणे को स्थानांतरित कर दिया गया है और पुलिस उप-निरीक्षक सृष्टि शिंदे मामले की जांच कर रही हैं।
साझेदारी फर्म ‘श्री अमृत बिल्डर्स’ के पांच साझेदारों, दीपक रमेश मेहता, जयश्री रमेश मेहता, रमेश अमृतलाल मेहता, केतन रमेश मेहता और प्रीति रमेश मेहता ने 1989 में राज्य सरकार की ४,३०० वर्ग मीटर जमीन पर तीन अनधिकृत इमारतों का निर्माण किया तीनों इमारतों के नाम अमृत पार्क, श्री अमृत पार्क और ओम अमृत पार्क हैं। शिकायत में आरोप लगाया गया है कि उन्होंने जाली दस्तावेज़ तैयार किए थे। और खुद को असली बताकर उस दस्तावेज़ की रजिस्ट्री करवा ली जिसके आधार पर फ्लैट बेचे गए थे।ये तीनों इमारतें पुरानी थीं और निवासियों ने इनके पुनर्विकास की तैयारी शुरू कर दी थी। इसके लिए निवासियों ने इमारत की ज़मीन अपने नाम पर दर्ज करवाने के लिए फ़ॉलो-अप शुरू किया। इसके लिए ज़मीन की नाप-जोख की गई।
उस समय रिपोर्ट में पता चला कि ज़मीन सरकारी थी। ३६ साल बाद, निवासियों को यह एहसास हुआ है कि यह इमारत अनधिकृत है और इन इमारतों के पुनर्विकास में आ रही बाधाओं को लेकर निवासी चिंतित हैं।


