मुंबई वार्ता/सतीश सोनी

पिछले कुछ दिनों से समुद्र में तूफ़ानी हवाएँ चल रही हैं। इसके चलते गुजरात की मछली पकड़ने वाली नौकाएँ पिछले हफ़्ते से उत्तान और वसई तटों की शरण में आ गई हैं। इन मछुआरों को स्थानीय मछुआरे सहयोग दे रहे हैं। बंगाल की खाड़ी में बना कम दबाव का क्षेत्र चक्रवात में बदल गया है। इस चक्रवात को ‘मोंथा’ नाम दिया गया है। इसका असर अरब सागर में देखा जा रहा है। इस तूफ़ान के कारण मछली पकड़ने के लिए गहरे समुद्र में गई नौकाएँ वापस किनारे पर आ गई हैं।इस बीच, गुजरात से भी नौकाएँ यहाँ पहुँच गई हैं, जो उत्तान और वसई की नौकाओं से जुड़ गई हैं। इसमें बीस से ज़्यादा नौकाएँ शामिल हैं।


ये नौकाएँ 25 अक्टूबर से तट पर हैं और मौसम के शांत होने का इंतज़ार कर रही हैं। हालाँकि इन मछुआरों के बीच खाद्यान्न उपलब्ध है, लेकिन अन्य सामग्री भी यहाँ के स्थानीय मछुआरों द्वारा उन्हें उपलब्ध कराई जा रही है। समुद्र तट पर भी इस संबंध में जानकारी दी गई है और सुविधाएँ प्रदान की जा रही हैं। मुख्यतः, ज़्यादातर, हम गुजरात तट पर भी जाते हैं। इसलिए, स्थानीय मछुआरा संगठनों ने प्रतिक्रिया दी है कि हम सहयोग के तौर पर मदद कर रहे हैं।वसई-विरार-भायंदर इलाके में बड़ी संख्या में मछुआरे मछली पकड़ने के व्यवसाय से जुड़े हैं। इस साल मछली पकड़ने का मौसम अगस्त से शुरू हुआ था। हालाँकि, मौसम शुरू होने के बाद से ही समुद्र में तूफ़ानी हवाएँ चल रही हैं। इस वजह से मछुआरों को लगातार अपनी नावों के साथ वापस लौटना पड़ रहा है।


मछुआरों ने बताया कि इस साल मछली पकड़ने के मौसम में लगभग पाँच से छह बार अपनी नावों को बंद करने की नौबत आ गई है।ये छोटी नावें हैं जो बड़ी नावों के साथ मिलकर रोज़ाना मछली पकड़ने का काम करती हैं। तूफ़ानी हवाओं के कारण समुद्र में ऊँची लहरें उठ रही हैं। इसलिए, इन मछुआरों ने अपनी नावों को नुकसान से बचाने के लिए उन्हें सुरक्षित जगह पर लंगर डाल दिया है।


