श्रीश उपाध्याय/मुंबई

मुंबई की चांदीवली विधानसभा में कॉंग्रेस प्रत्याशी एवं पूर्व मंत्री मोहम्मद आरिफ (नसीम) खान उत्तर भारतीयों की पहली पसंद के रूप में उभरकर सामने आ रहे हैं.
चांदीवली विधानसभा में शिंदे गुट शिवसेना के मौजूदा विधायक एवं प्रत्याशी दिलीप लांडे उत्तर भारतीयों को अपनी ओर करने का जी-तोड़ प्रयास कर रहे हैं. प्रचार प्रसार के लिए दिलीप लांडे उत्तर भारतीयों को रिझाने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन उनकी सारी कोशिशों पर लगभग पानी फिरता नजर आ रहा है. कुछ हार्डकोर भाजपाई उत्तर भारतीयों को छोडकर बड़ी संख्या में उत्तर भारतीय समाज कॉंग्रेस के नसीम खान की ओर झुकता नजर आ रहा है.
नसीम खान के जनसंपर्क के दौरान उनके साथ मुस्लिम समाज के अलावा उत्तर भारतीय समाज के लोग बड़ी संख्या में दिखाई दे रहे हैं. शिवसेना के टुकड़े होने के कारण दिलीप लांडे की ताकत थोड़ी कम हुई है. चांदीवली के ज्यादातर उत्तर भारतीय नेताओ के साथ दिलीप लांडे की जमती नहीं इसलिए उत्तर भारतीय उनसे दूरी बनाए हुए हैं.
यह बात जगजाहिर है कि चांदीवली से चार बार विधायक रहे नसीम खान की उत्तर भारतीय समुदाय में अच्छी-खासी पैठ है. वर्ष 2019 में कुछ उत्तर भारतीयों ने दिलीप लांडे को मतदान किया और उन्हें विजयी बनाया था. लेकिन गत पांच वर्षो मे पूरे उत्तर भारतीय समाज की ओर दिलीप लांडे की उदासीनता बनी रही. नतीजतन उत्तर भारतीय लांडे को नजरअंदाज कर रहे हैं.
इस विधानसभा में मराठी- उत्तर भारतीय और मुस्लिम मतदाताओं की बहुलता है. किसी भी दो समाज के समर्थन से ही किसी भी प्रत्याशी को जीत मिल सकती है. इस राजनीतिक गणित को ध्यान में रखा जाए तो कॉंग्रेस के नसीम खान, शिवसेना के दिलीप लांडे से आगे निकलते नजर आ रहे हैं.उत्तर भारतीयों की अनदेखी से नाराज दिलीप लांडे ने कई भाजपाई नेताओ की शिकायत भी की है. लेकिन डरा- धमकाकर समर्थन पाने की लांडे की कोशिश बेकार ही जाती नजर आ रही है.
अब देखना यह होगा कि सिर्फ मराठी मतों के बल पर चुनाव जीतने की कोशिश कर रहे लांडे उत्तर भारतीयों को अपनी ओर खिंचने में कामयाब होते हैं या नसीम खान अपनी बढ़त बनाए रहते हैं.
बहुत बढ़िया
धन्यवाद भाई साहब