श्रीश उपाध्याय/मुंबई वार्ता

चांदीवली विधानसभा में जीत के लिए उत्तर भारतीय मतदाता निर्णायक भूमिका में हैं. जीत का लक्ष साधने के लिए दिलीप लांडे को उत्तर भारतीयों के कंधे की अवश्यकता है लेकिन वो मिल नहीं रहा है.


मंगलवार को पेनिनसुला होटल में उत्तर भारतीयों की एक बड़ी सभा का आयोजन हुआ. सभा के दौरान करीब 10 हज़ार उत्तर भारतीयों ने उपस्थिति दर्ज करायी. रंगा रंग कार्यक्रम के दौरान हज़ारों की संख्या में उपस्थित उत्तर भारतीयों ने दाल- बाटी का आनंद लिया.


कार्यक्रम के दौरान कई दिलीप लांडे समर्थक उत्तर भारतीयों के ठेकेदार भी नजर आए. नसीम खान के खुले समर्थन में उतरे बाबा विश्वेश्वरानंद महाराज की उपस्थित से विरोधियों के पसीने छूट गए. सूत्रों के अनुसार कार्यक्रम के बाद रात मे दिलीप लांडे ने कई उत्तर भारतीय नेताओ से मदद की गुहार लगाई लेकिन लांडे मामा को कोरा आश्वासन ही मिला.


एक शिक्षण माफिया जो कि अंदर ही अंदर नसीम खान की उत्तर भारतीयों में बढ़ रही लोकप्रियता से खीज रहा हैं और गाहे बगाहे दिलीप लांडे को मदद देने का असफल प्रयास कर रहा है, वह भी कार्यक्रम में बाटी चोखा का स्वाद लेता नजर आया और बिना मन के ही सही नसीम खान को समर्थन प्रकट करता दिखा. यही हाल भाजपा के भी कुछ उत्तर भारतीय नेताओ का है. जो पार्टी अनुशासन के नाम पर दिलीप लांडे के साथ खड़े है लेकिन अंदर ही अंदर अपना आशिर्वाद नसीम खान को दे रहे हैं. अपने पिछले 5 वर्षो के कार्यकाल के दौरान दिलीप लांडे ने उत्तर भारतीयों के समर्थन में एक भी कार्यक्रम का आयोजन नहीं किया. 5 साल तक उत्तर भारतीयों को सिर्फ कड़ी पत्ता समझने की भूल की. इसका पश्चाताप दिलीप लांडे को अवश्य हो रहा होगा लेकिन अब पछताए होत का, जब चिड़िया चुग गई खेत.