सतीश सोनी/मुंबई वार्ता

● 1 करोड़ चुनाव अधिकारियों की क्षमता निर्माण के लिए डिजिटल प्रशिक्षण योजना।
● ईआरओ, डीईओ और सीईओ स्तर पर चुनाव अधिकारियों के साथ 5000 सर्वदलीय बैठकों में राजनीतिक दलों की भागीदारी।
●मतदाता सूची में नाम शामिल करने और संशोधन संबंधी दिशा-निर्देशों के संबंध में कानूनी ढांचा।
● 89 प्रथम अपील और एक द्वितीय अपील दायर की गई।
ज्ञानेश कुमार द्वारा भारत के 26वें मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) के रूप में कार्यभार संभालने के एक महीने के भीतर, उनके नेतृत्व में, भारत के चुनाव आयोग ने डॉ. सुखबीर सिंह संधू और डॉ. विवेक जोशी के साथ मिलकर पूरे चुनाव तंत्र ने बीएलओ स्तर तक सभी मतदाताओं की भागीदारी बढ़ाने और उन्हें मतदान केंद्रों पर सुखद अनुभव प्रदान करने के लिए ठोस कदम उठाए हैं।
भारत निर्वाचन आयोग ने बताया है कि राजनीतिक दलों, जो प्रमुख हितधारक हैं, को इस सुदृढ़ीकरण प्रक्रिया में शामिल किया जा रहा है।*मतदाता सूची का नियमित अद्यतन*आयोग ने स्पष्ट किया है कि 100 करोड़ मतदाता लोकतंत्र के स्तंभ हैं। यूआईडीएआई और ईसीआई के विशेषज्ञों के बीच तकनीकी परामर्श जल्द ही शुरू होगा। यद्यपि मतदाता अपने निर्धारित मतदान केन्द्र पर मतदान कर सकता है, लेकिन आयोग ने देश भर में मतदाता पहचान पत्र संख्या में डुप्लीकेट को हटाने का निर्णय लिया है। और दशकों से चली आ रही एक समस्या को समाप्त करने का निर्णय लिया गया है। जन्म एवं मृत्यु पंजीकरण प्राधिकारियों के साथ समन्वय करके मतदाता सूची को नियमित रूप से अद्यतन करने का कार्य सुदृढ़ किया जा रहा है।
जनप्रतिनिधित्व अधिनियम के अंतर्गत राजनीतिक दलों के साथ बातचीत में आयोग ने स्पष्ट किया कि मसौदा मतदाता सूची में नाम शामिल करने या बाहर करने से संबंधित कोई भी मामला प्रासंगिक कानूनी प्रावधानों के अनुसार अपील प्रक्रिया द्वारा शासित होगा। ऐसी अपील के अभाव में, ईआरओ द्वारा तैयार की गई सूची लागू रहेगी।
7 मार्च, 2025 को ईसीआई ने स्पष्ट किया था कि विशेष सारांश समीक्षा (एसएसआर) प्रक्रिया के बाद केवल 89 प्रथम अपील और एक द्वितीय अपील दायर की गई थी।*ग्रामीण मतदान केन्द्रों पर भी बुनियादी सुविधाएं (एएमएफ) सुनिश्चित की गईं*भारत निर्वाचन आयोग का मुख्य उद्देश्य सभी पात्र नागरिकों का शत-प्रतिशत पंजीकरण सुनिश्चित करना, मतदान को सुविधाजनक बनाना तथा सुखद मतदान अनुभव प्रदान करना है। यह सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाए जाएंगे कि प्रत्येक मतदान केंद्र पर 1200 से अधिक मतदाता न हों तथा वे 2 किलोमीटर के दायरे में हों। दूरस्थ ग्रामीण मतदान केन्द्रों पर भी बुनियादी सुविधाएं (एएमएफ) सुनिश्चित की जाएंगी।
शहरी क्षेत्रों में उदासीनता को दूर करने तथा अधिक भागीदारी को प्रोत्साहित करने के लिए मतदान केन्द्र ऊंची इमारतों और कॉलोनियों में भी स्थापित किए जाएंगे।*प्रशिक्षण पर ध्यान दें*एक करोड़ चुनाव कर्मचारियों के समग्र एवं क्षमता विकास की दिशा में एक बड़े कदम के रूप में, सभी राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों के मुख्य कार्यकारी अधिकारियों का दो दिवसीय सम्मेलन 4 और 5 मार्च को ‘आईआईआईडीईएम’, नई दिल्ली में आयोजित किया गया, जिसमें प्रत्येक राज्य/संघ राज्य क्षेत्र के जिला निर्वाचन अधिकारियों और निर्वाचन अधिकारियों ने भाग लिया।
सम्मेलन में संपूर्ण निर्वाचन प्रणाली को सक्रिय करने के लिए 28 हितधारकों की रूपरेखा तैयार की गई, जिनकी जिम्मेदारियां संविधान, निर्वाचन कानूनों और ईसीआई द्वारा जारी दिशानिर्देशों के अनुसार परिभाषित की गईं। चुनाव पुस्तिकाओं और अनुदेश पुस्तिकाओं को नए परिवर्तनों के अनुसार समन्वित किया जाएगा। श्रमिकों का प्रभावी प्रशिक्षण सुनिश्चित करने के लिए कई भारतीय भाषाओं में डिजिटल प्रशिक्षण किट तैयार किए जा रहे हैं। एनिमेटेड वीडियो और एकीकृत डैशबोर्ड प्रशिक्षण को प्रोत्साहित किया जा रहा है।
भविष्य में बीएलओ को प्रशिक्षित करने के लिए एक प्रशिक्षण मॉड्यूल विकसित किया जा रहा है।*सर्वदलीय बैठकों के नियमित आयोजन हेतु निर्देश*चुनाव प्रक्रिया के सभी पहलुओं में राजनीतिक दलों की पूर्ण भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने 4 मार्च को सीईओ सम्मेलन में सभी 36 सीईओ, 788 डीईओ, 4123 ईआरओ को नियमित रूप से सर्वदलीय बैठकें आयोजित करने का निर्देश दिया है। देश भर में ऐसी बैठकों से राजनीतिक दलों द्वारा उठाए गए किसी भी लंबित और उभरते मुद्दे को सुलझाने में मदद मिलेगी। यह प्रक्रिया पूरे भारत में 31 मार्च 2025 तक पूरी हो जाएगी।
आयोग ने राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों और उनके नामित बीएलओ को चुनाव अधिनियम के अनुसार मतदाता सूची पर दावे और आपत्तियों के लिए उचित प्रक्रियाओं पर प्रशिक्षण प्रदान किया है, जिसका राजनीतिक दलों द्वारा स्वागत किया गया है। चुनाव आयोग ने चुनाव संचालन से संबंधित अन्य सभी मामलों पर सभी राजनीतिक दलों से 30 अप्रैल, 2025 तक सुझाव मांगे हैं। राजनीतिक दलों को भी पारस्परिक रूप से सुविधाजनक समय पर दिल्ली में आयोग से मिलने के लिए आमंत्रित किया गया है।इन ठोस एवं दूरगामी पहलों के माध्यम से चुनाव प्रक्रिया को और अधिक मजबूत बनाया जा रहा है। चुनाव प्रक्रिया के सभी प्रासंगिक तत्वों के साथ समन्वय किया जा रहा है। भारत निर्वाचन आयोग ने भी एक प्रेस विज्ञप्ति में इसका उल्लेख किया है।