जनसुरक्षा कानून तानाशाही की चरम सीमा है, यह 1919 के ब्रिटिश रॉलेट एक्ट का नया संस्करण है: हर्षवर्धन सपकाल।

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मुंबई वार्ता संवाददाता

राज्य की भाजपा गठबंधन सरकार जो जनसुरक्षा कानून लाने की कोशिश कर रही है, वह तानाशाही की पराकाष्ठा है। जैसे ब्रिटिश हुकूमत ने 1919 में बिना किसी सुनवाई के किसी को भी जेल में डालने के लिए रॉलेट एक्ट लागू किया था, उसी की तर्ज़ पर देवेंद्र फडणवीस महाराष्ट्र में नया ‘रॉलेट कायदा’ लाने की साज़िश कर रहे हैं। इस कानून का उद्देश्य जनता की आवाज़ को कुचलना है। महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष हर्षवर्धन सपकाल ने उक्त बाते कहीं है।

उन्होंने कहा कि ,”कांग्रेस इस जनविरोधी, संविधानविरोधी कानून का डटकर विरोध करेगी और जनता को भी इसके खिलाफ खड़ा होना होगा।”

दिल्ली स्थित महाराष्ट्र सदन में मीडिया से बात करते हुए सपकाल ने कहा कि ,”मुख्यमंत्री फडणवीस इसे ‘शहरी नक्सलवाद’ से निपटने का हथियार बता रहे हैं, लेकिन असल में यह एक ढोंग है। केंद्र सरकार ने ही आरटीआई के ज़रिये जानकारी दी है कि ‘शहरी नक्सलवाद’ जैसी कोई चीज अस्तित्व मे नहीं है।फडणवीस के दिमाग में जो ‘शहरी नक्सलवाद’ है, उसी में उन्होंने आषाढी वारी वारकरी संप्रदाय, संत, साहित्यकार, और शिव-फुले-शाहू-आंबेडकर विचारधारा को भी घसीट लिया है। जो भी व्यक्ति जातिवाद, अन्याय, स्त्री-पुरुष असमानता के खिलाफ आवाज़ उठाता है, उसे शहरी नक्सलवादी करार दिया जा रहा है। यह सिलसिला आगे चलकर संत ज्ञानेश्वर, संत तुकाराम, गाडगेबाबा, तुकडोजी महाराज, महात्मा गांधी और सुभाषचंद्र बोस जैसे महापुरुषों के विचारों को भी ‘नक्सलवाद’ बताने तक जा सकता है।”

सपकाल ने आगे कहा कि इस कानून के ज़रिये सरकार किसी भी संस्था, उसके दानदाताओं या सदस्यों को बिना जांच के जेल में डाल सकती है। यह कानून ‘गैर-जमानती’ और ‘गंभीर अपराध’ घोषित करता है। सरकार की आलोचना करने वाले हर स्वर को दबाने के लिए यह कानून लाया जा रहा है। कांग्रेस इसका पूरी ताकत से विरोध करेगी।संघ और भाजपा को गांधी के विचारों से डर हैहाल ही में पुणे में महात्मा गांधी की प्रतिमा पर कोयते से हमला हुआ। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए सपकाल ने कहा कि 1948 में गांधी जी की हत्या कर दी गई, लेकिन उनका विचार आज भी संघ-भाजपा की विचारधारा पर भारी है। इसी डर से हर गांधी जयंती या पुण्यतिथि पर महात्मा गांधी की प्रतिमा पर हमले होते हैं, उन्हें गालियां देने वालों को भाजपा सांसद बना देती है। पुणे की घटना आरएसएस-भाजपा द्वारा लंबे समय से बोए गए नफरत के बीज का ही परिणाम है।जैसे परभणी में बाबासाहेब आंबेडकर के प्रतिमा मे लगा संविधान की प्रति विटंबीत करने वालों को ‘मानसिक रोगी’ बताया गया, वैसे ही पुणे के हमलावर को भी ‘मानसिक रोगी’ कहकर बचाने की कोशिश की जाएगी। संघ-भाजपा को गांधी इसलिए नहीं सुहाते क्योंकि उन्होंने Idea of India को जनमानस में स्थापित किया, जबकि संघ Bunch of Thoughts को थोपना चाहता है।

संघ की हिंदी पर भूमिका पाखंडी और दोगलीमराठी बनाम हिंदी विवाद पर संघ द्वारा दिए गए बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए सपकाल ने कहा कि संघ की भूमिका पूरी तरह दोहरी है। यदि वाकई मातृभाषा में शिक्षा चाहिए, तो उन्हें Bunch of Thoughts की होली कर जला देनी चाहिए। अगर वे सच में ‘एक देश, एक चुनाव, एक भाषा, एक ड्रेस कोड’ जैसे विचारों का विरोध करते हैं, तो सार्वजनिक रूप से इन विचारों को खारिज करें।हिंदी थोपना संघ का पुराना अजेंडा है। महाराष्ट्र की जनता ने हमेशा इसका विरोध किया है, इसलिए संघ ने फिलहाल पीछे हटने का दिखावा किया है। लेकिन वे फिर से हिंदी-हिंदुत्व-हिंदूराष्ट्र का एजेंडा लादने की कोशिश करेंगे, और हम कांग्रेस की ओर से उसे दोबारा नाकाम करेंगे, ऐसा स्पष्ट संदेश सपकाल ने दिया।

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