मुंबई वार्ता संवाददाता

आधुनिक तकनीकी युग में डिजिटल शिक्षा अनिवार्य हो गई है, और डिजिटल शिक्षा नीति को अपनाना समय की आवश्यकता है, ऐसा मत महाराष्ट्र विधान परिषद के सभापति प्रा. राम शिंदे ने व्यक्त किया।
‘डिजिटल स्कूल’ योजना के तहत कर्जत तालुका की 87 और जामखेड तालुका की 24, कुल 111 स्कूलों में इंटरऐक्टिव टच पैनल और महाराष्ट्र राज्य पाठ्यक्रम पर आधारित डिजिटल ई-लर्निंग सॉफ्टवेयर का लोकार्पण प्रा. शिंदे के हाथों दूरदर्शन प्रणाली द्वारा किया गया।इस कार्यक्रम में जिलाधिकारी डॉ. पंकज आशिया, जिला परिषद के प्रभारी मुख्य कार्यकारी अधिकारी संभाजी लांगोरे, गटविकास अधिकारी, शिक्षक, छात्र और अभिभावक उपस्थित थे।
प्रा. शिंदे ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘परीक्षा पे चर्चा’ जैसे उपक्रमों के माध्यम से छात्रों से संवाद कर उनका आत्मविश्वास बढ़ाया है। उन्होंने हमेशा तनावमुक्त और रचनात्मक शिक्षा पर जोर दिया है।
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व में डिजिटल शिक्षा की शुरुआत हुई है। इसी सोच के तहत ग्रामीण क्षेत्र के जिला परिषद स्कूलों में पढ़ने वाले छात्रों को उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा उपलब्ध कराई जा रही है।आधुनिक तकनीक से छात्रों का भविष्य उज्ज्वल बनेगा। इस पहल से छात्रों को सभी विषयों को सरल और रंगीन तरीके से समझने में मदद मिलेगी। चित्रात्मक और रेखात्मक पद्धति से पढ़ाना संभव होगा। पट्टियाँ, खड़िया और डस्टर जैसी पुरानी पढ़ाई की चीजें अब अप्रासंगिक हो रही हैं। इससे पहले भी छात्रों को इंटरएक्टिव बोर्ड दिए गए हैं और आगे भी इसी तरह की शिक्षा प्रणाली स्कूलों को उपलब्ध कराई जाएगी।
प्रा. शिंदे ने कहा, “शिक्षक शिक्षा की आत्मा होता है। अब शिक्षकों के लिए भी आधुनिक तकनीक को अपनाना जरूरी हो गया है। उन्हें नए-नए उपकरणों को सीखकर छात्रों को आगे बढ़ने की प्रेरणा देनी चाहिए। छात्रों को उनकी रुचि और क्षमता के अनुसार शिक्षा देना जरूरी है। ये स्मार्ट बोर्ड छात्रों की कल्पनाशक्ति को जागृत करने वाली जादुई खिड़की हैं।”डिजिटल युग में अगर छात्र को देखने, सुनने और प्रयोग करने का मौका मिले, तो उनका स्कूल में आने का उत्साह बढ़ेगा और यह उनके भविष्य निर्माण में सहायक होगा। आज की शिक्षा प्रणाली पहले से काफी बदल चुकी है और डिजिटल शिक्षा से बड़ा परिवर्तन संभव है।
उन्होंने अभिभावकों से भी अनुरोध किया कि वे छात्रों को डिजिटल शिक्षा लेने के लिए प्रोत्साहित करें।111 स्कूलों में एकसाथ टच पैनल का उद्घाटन केवल डिजिटल तकनीक की वजह से संभव हुआ है — यह इसकी ताकत है। छात्रों की जिज्ञासा बनाए रखने के लिए शिक्षकों और अभिभावकों को साथ आकर उनका मार्गदर्शन करना होगा। शिक्षा क्षेत्र में बदलाव लाने के लिए सभी का सहयोग जरूरी है।कार्यक्रम में संभाजी लांगोरे ने स्वागत भाषण दिया।छात्रों ने किया सभापति से संवादकार्यक्रम के दौरान, जिला परिषद स्कूल की कक्षा 6 के छात्र महेंद्र कोकाटे और प्रवीणराज गलांडे ने प्रा. शिंदे से संवाद किया।
उन्होंने बताया कि शिक्षकों ने टच पैनल की जानकारी देकर सभी विषयों को समझने में मदद की। संस्कृत जैसे विषय का समावेश डिजिटल शिक्षा में होने से यह भाषा सीखना आसान हो गया है। इसे कृत्रिम बुद्धिमत्ता की दिशा में पहला कदम मानते हुए उन्होंने सभापति का आभार जताया।