●देवशयनी एकादशी के साथ शुरू होगा चातुर्मास
● चार माह के लिए योग निद्रा में जाएंगे श्री हरि विष्णु
● आषाढ़ी एकादशी पर विट्ठल और इस्कॉन में होगी भीड़
● साधु संत एक जगह करेंगे प्रवास, सत्संग और धर्म प्रचार
● कार्तिक देवोत्थानी एकादशी तक मांगलिक कार्यों पर रोक .
वरिष्ठ संवाददाता/मुंबई वार्ता

सनातन हिंदू संस्कृति में हर साल आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की देव शयनी एकादशी से 4 माह के लिए भगवान श्री हरि विष्णु योग निद्रा में चले जाते हैं। इस दौरान वे बैकुंठ धाम छोड़कर क्षीर सागर में निवास करते हैं। इन चार महीने में भगवान शिव ही सृष्टि का संचालन करते हैं। इसलिए इसको चातुर्मास कहा जाता है।
पंचांग के अनुसार आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी की शुरुआत 5 जुलाई की शाम 6:58 बजे से होगी और इसका समापन 6 जुलाई को रात 9:14 बजे होगा। उदया तिथि की गणना के अनुसार देवशयनी एकादशी का व्रत रविवार 6 जुलाई को किया जाएगा। जबकि 7 जुलाई को सुबह 6:07 बजे से सुबह 8:45 बजे तक एकादशी व्रत का पारण किया जाएगा। इसी के साथ 6 जुलाई को देवशयनी एकादशी से चातुर्मास की शुरुआत हो रही है, साथ ही सभी मांगलिक कार्य बंद हो जाएंगे।
ज्योतिषाचार्य डॉ. अशोक मिश्र ने बताया कि इसके साथ ही जगह जगह प्रवास एवं भ्रमण करते हुए सत्संग के माध्यम से धर्म का प्रचार प्रसार करने वाले जैन समुदाय के साधु संतों के साथ सनातन धर्म के संत महात्माओं के भी धार्मिक प्रवास पर भी अंकुश लग जाएगा। सभी साधु संत वर्षा काल तक एक जगह विराजमान होकर धार्मिक गतिविधियों का संचालन करेंगे। मुंबई में दर्जनों जैन उपाश्रय और जैन मंदिरों में जैन मुनियों के चातुर्मास प्रवास को लेकर तैयारियां लगभग पूरी कर ली गई हैं। जैन साधु स्थानीय संघ के संयोजन में सुविधानुसार नियत स्थल पर चातुर्मास प्रवेश करेंगे।
मांगलिक कार्यों पर रोक ज्योतिषाचार्य पंडित माता प्रसाद तिवारी (गुरुजी) ने बताया कि किसी भी शुभ कार्य में भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है, लेकिन चातुर्मास के दौरान विष्णु जी और मां लक्ष्मी समेत सभी देवी-देवता योग निद्रा में होते हैं। इसलिए चातुर्मास के चार महीनों में कोई भी शुभ या मांगलिक कार्य नहीं किया जाता है। इस समय विवाह, मुंडन, वधु विदाई, व्यापार की शुरुआत, गृह प्रवेश आदि काम वर्जित रहेंगे। इसके बाद कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की देवउठनी एकादशी पर श्री हरि विष्णु जी के योग निद्रा से जागने के बाद चातुर्मास समाप्त होता है। इसके बाद मांगलिक काम शुरू होंगे। चातुर्मास के चार चार महीनों में भगवान भोलेनाथ की विशेष पूजा की जाती है।साध्य योग, त्रिपुष्कर एवं शुभ योग देवशयनी एकादशी पर तीन शुभ योगों का निर्माण हो रहा है जिसमें साध्य, शुभ एवं त्रिपुष्कर योग का समावेश है। साध्य योग रात 9:27 बजे तक है। इसके बाद शुभ योग का निर्माण हो रहा है। इसके साथ ही त्रिपुष्कर योग और रवि योग का भी संयोग बन रहा है। इस दिन विशाखा नक्षत्र रात 10:41 बजे तक रहेगा। विट्ठल-रुक्मिणी मंदिर में तुलसी अर्चन दक्षिण मुंबई के वडाला का विट्ठल रखुमाई मंदिर 400 साल से भी अधिक पुराना है, जिसे प्रति पंढरपुर के नाम से जाना जाता है।
श्री विट्ठल रखुमाई मंदिर ट्रस्ट के प्रशांत म्हात्रे के अनुसार यहां आषाढ़ी एकादशी पर पंढरपुर के बाद सबसे अधिक भीड़ जुटती है। आषाढ़ी एकादशी को लेकर सभी तैयारियां पूरी ली गई है। इसी तरह से तीर्थ क्षेत्र टिटवाला सिद्धिविनायक मंदिर के पास स्थित रुक्मिणी विट्ठल मंदिर में प्रबंधन द्वारा आषाढ़ी एकादशी पर यहां विशेष पूजा एवं अनुष्ठान का आयोजन किया गया है। ट्रस्टी किरण रोठे के अनुसार यहां सुबह से ही विठोबा पर तुलसी अर्पण करने वालों की भीड़ लगती है जो देर शाम तक चलती रहती है। इस्कॉन मंदिरों में विशेष व्यवस्था आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की देवशयनी एकादशी पर इस्कॉन के सभी राधा कृष्ण मंदिरों में विशेष तैयारी की जा रही है। यहां एक दिन पहले भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा निकाली जाएगी।
इस्कॉन जुहू मंदिर की मीडिया प्रभारी पारिजात देवीदासी माता जी के अनुसार आषाढ़ी एकादशी पर जगन्नाथ प्रभु का पंचामृत से अभिषेक किया जाएगा। इसके अलावा दिन भर भजन कीर्तन और गीता पाठ चलता रहेगा।