मुंबई वार्ता संवाददाता

उत्तर मुम्बई के पूर्व सांसद गोपाल शेट्टी ने नगर विकास विभाग के मुख्य सचिवअसीम गुप्ता को पत्र लिखकर मांग की है कि महानगरपालिका के अधिकार क्षेत्र में आने वाले खुले भूखंडों पर भी खेल परियोजनाओं के लिए आवश्यक व बढ़ी हुई चटई क्षेत्र (एफएसआई) को मंजूरी दी जाए।


पत्र में जनसेवक गोपाल शेट्टी ने आगे लिखा है कि महाराष्ट्र जैसे प्रगत राज्य को भी खेल क्षेत्र में सुविधाओं और नीतियों में सकारात्मक बदलाव करके केंद्र की खेल नीति का समर्थन करना चाहिए। मुंबई जैसे महानगर में तेजी से बढ़ती हुई जनसंख्या को ध्यान में रखते हुए, यहां खेल सुविधाओं की समुचित अनुपलब्धता अधिक स्पष्ट रूप से महसूस की जा रही है।विशेष रूप से, 2034 के डीसीपीआर में महानगरपालिका के अधीन आने वाले खुले भूखंडों पर खेल सुविधाओं की निर्मिति के लिए दी जाने वाली एफएसआई में कटौती कर शून्य (0) कर दी गई है, जो खेदजनक और आश्चर्यजनक है। पहले 10% भूखंड के उपयोग के साथ 15% एफएसआई की छूट वाले भूखंडों पर अब ऐसी कोई छूट नहीं है, जिससे नए खेल परियोजनाओं की संभावना कम हो गई है।
उन्होंने यह भी लिखा कि बदले हुए समय में जहां एफएसआई दोगुना हो गया है, वहां एफएसआई को भी उसी अनुपात में बढ़ाने की आवश्यकता थी, लेकिन ऐसा न करते हुए जो था उसे भी बंद कर दिया गया है, जैसे कि मुंबई शहर खेल के मामले में बहुत पीछे है।उदाहरण के लिए, महानगरपालिका के मुख्य विकास विभाग के मुख्य अभियंता सुनील राठोड सदा ही इंटेंट रिजर्वेशन का दाखिला देते हैं; लेकिन आयुक्त और प्रशासन की इच्छा होने के बावजूद उनके कार्यालय से सकारात्मक रिपोर्ट नहीं मिलने के कारण महत्वपूर्ण खेल परियोजनाएं लंबित हैं। यह मामला गंभीर है और ऐसे वरिष्ठ अधिकारी द्वारा इस प्रकार की उपेक्षा करना अत्यंत खेदजनक है।
जनसेवक शेट्टी ने अंत में कहा है कि मेरी आपसे विनंती है कि महानगरपालिका के अधिकार क्षेत्र में आने वाले खुले भूखंडों पर फिर से खेल परियोजनाओं के लिए आवश्यक चटई क्षेत्र (एफएसआई) मंजूर किया जाए। बदले हुए समय और बढ़ती जनसंख्या को ध्यान में रखते हुए यह सीमा कम से कम दोगुनी की जाए, ताकि मुंबई में भी नई पीढ़ी के लिए खेलने के लिए आवश्यक जगह उपलब्ध हो सके। निजी विकासकों के पास आरक्षित भूखंडों पर ७०:३० के सूत्र के अनुसार विकास की अनुमति देने का निर्णय स्वागत योग्य है। लेकिन, इसी सकारात्मक दृष्टिकोण से महानगरपालिका की मालकी वाली जमीनों पर भी खेल सुविधाओं के लिए खुले दिमाग से विचार किया जाए।