● विदर्भ में रेशम की खेती को सरकार का समर्थन
मुंबई वार्ता संवाददाता
लगातार फसल खराब होने, अनियमित मौसम और सीमित उपजाऊ भूमि के कारण पारंपरिक खेती पर निर्भर रहना जोखिम भरा हो सकता है। ऐसे में, कम पानी में फलने-फूलने वाली तुती (मलबरी) की खेती किसानों के लिए एक लाभदायक और स्थायी कृषि विकल्प के रूप में उभर रही है।राज्य सरकार, केंद्र सरकार के सहयोग से, विदर्भ में रेशम की खेती को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न योजनाओं को लागू कर रही है। इस पहल के तहत मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने रेशम उद्योग को और अधिक बढ़ावा देने के निर्देश दिए हैं।

उन्होंने अधिकारियों को यह भी निर्देश दिया है कि केंद्र सरकार से मिलने वाले फंड की प्रक्रिया तेजी से पूरी की जाए और प्रस्ताव जल्द भेजे जाएं।
रेशम उद्योग विकास के लिए ‘बाएफ’ का सहयोगराज्य सरकार, मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के मार्गदर्शन में, BAIF (भारतीय कृषि उद्योग फाउंडेशन) के साथ मिलकर तुती और टसर रेशम उद्योग के समग्र विकास के लिए काम कर रही है।जहां रेशम निदेशालय के कार्यालय उपलब्ध नहीं हैं, वहां विशेष रूप से इस योजना को लागू किया जाएगा।
BAIF ने तुती की खेती, अंडे से कोष (ककून) उत्पादन, और रेशम उद्योग से जुड़े अन्य प्रसंस्करण कार्यों के लिए एक विस्तृत योजना प्रस्तुत की है।सरकार इस उद्योग को बढ़ावा देकर विशेष रूप से ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों में रोजगार के अवसर पैदा करने का लक्ष्य रखती है। इस संदर्भ में, पुणे जिले के उरुली कांचन में स्थित BAIF केंद्र का दौरा कर आगे की रणनीति तय की गई है।