वास्तुशास्त्र….एक अंधविश्वास!

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धीरज फूलमती सिंह-स्तंभकार/मुंबई वार्ता

फरवरी 2022 के पहले तक मैं वास्तु शास्त्र को कोरा अंधविश्वास मानता था। मैं तब तक इसे दकियानूसी शास्त्र समझता था लेकिन इस साल की फरवरी के बाद मेरे जीवन में ऐसा कुछ हुआ कि मेरा विश्वास वास्तु शास्त्र विज्ञान पर और अधिक मजबूत व अडिग हो गया है।

मेरे एक करीबी मित्र है,पेशे से डॉक्टर है। उन्हे किसी ने सलाह दी कि अपने घर का वास्तु दोष ठीक कर दो,गृह शांती और सफलता मिलेगी। एक दिन वे मुझ से अपने घर का वास्तु दोष दूर करने के लिए किसी विशेषज्ञ की जानकरी मांग रहे थे।

मैं जानकारी क्या देता,उल्टे उन्हे समझाने लगा कि वास्तु शास्त्र,फेंगशुई सब बकवास है,यह अंधविश्वास है। यार तुम डॉक्टर हो,पढे लिखे हो, ऐसी बेकार की चीजों पर कैसे विश्वास कर सकते है ? उन्होने मेरी बात नही मानी। एक दिन एक वास्तु शास्त्र विशेषज्ञ को पकड लाये,मुझे भी बुलवा भेजा। उस दिन खाली था तो उनके घर पहुंच गया। वास्तु शास्त्री को देखा तो वो बडी टीप टॉप मुद्रा में था,मुझे देख कर थोडा कुछ और ऐंठ गया ,शायद मित्र ने उसे मेरी सोच के बारे में पहले से ही बता दिया था ?

कुछ देर घर का मुआयना करने के बाद वास्तु शास्त्री महराज ने अगले चार दिन वास्तु दोष के नाम पर घर में काफी कुछ तोडफोड करवा दिया। इन सारी कवायद मे मित्र को लगभग देढ लाख का फटका लगा,उपर से वास्तु शास्त्र विशेषज्ञ ने अपनी फीस इक्कीस हजार रूपये भी अलग से वसूल ली। पांचवे दिन मैं मित्र से मिलने उनके घर गया, बहुत कुछ बदल गया था। बदल क्या तहस-नहस हो गया था लेकिन मित्र काफी खूश नजर आ रहे थे। वास्तु शास्त्र विशेषज्ञ ने उन्हे विश्वास दिलाया था कि ठीक 21 दिन बाद से असर होना शुरू हो जाएगा। कुछ दिन में ही खुशिया आनी शुरू हो जाएगी। दो महीने बाद तो असर दौड़ने लगेगा।मुझे भरोसा नही हो रहा था मगर दोस्ती का तकाजा है,कभी-कभार न चाहते हुए भी हामी भरनी पडती है।

मित्र के केस में वास्तु शास्त्र के विषय में मेरा अनुमान बिल्कुल गलत निकला। 21 दिन नही 09 दिन बितते न बितते वास्तु शास्त्र का असर दिखने लगा। दसवे दिन ही उनके साले का मोटरसाइकिल दुर्घटना में पैर टूट गया। अभी उसका इलाज मेरे अस्पताल में चल ही रहा था कि बाथरूम में नहाते वक्त सासूमाँ का पैर फिसल गया,उनको कमर और सर में बडी गहरी चोट लगी! वे कुछ देर बाथरूम में बेहोश भी पडी रही।

घर के बच्चो का बाथरूम की ओर ध्यान गया, आनन-फानन में उनको भी मेरे अस्पताल के ICU वार्ड में भर्ती किया गया। अपने इलाज के सातवे दिन वे टें बोल गई। जिस दिन उन्होने दुनिया से टें बोला,उस दिन वास्तु दोष करवाये 21 दिन पूरे हो चुके थे!…मतलब वास्तु शास्त्र काम करने लगा था। अभी सासू माँ की तेरहवी बीते दो दिन हुआ ही था कि वास्तु दोष की वजह से हटाया गया पंखा मित्र के सर पर गिर गया। काफी चोटे आई,खून बहा,टाकें लगे लेकिन खतरे की कोई बात नही हुई।… वास्तु शास्त्र काम जो कर रहा था। वास्तुदोष निवारण के दो महिने बाद तो सचमुच उसका असर दौड़ने लगा। मित्र की पत्नी, घर में अपने 12 साल के बेटे को छोड,उम्र में 09 साल छोटे अपने पडोसी के साथ भाग गई। शायद वास्तु शास्त्र कुछ ज्यादा ही काम कर रहा था।

उस दिन 16 अप्रैल थी,तब मै अपने परिवार सहित लखनऊ में था। मुझे मेरे एक दूसरे मित्र ने फोन पर इस बाबत सूचना दी थी। तब मैं झिझक के मारें अपने डॉक्टर मित्र को सांत्वना का फोन भी नही कर पाया। मुंबई लौटने के बाद भी उसी झिझक के मारें मैं उस से मुलाकात टालता रहा।कभी फोन भी नही किया। कल शाम अचानक से हमारी मुलाकात हो गई। हम दोनो की नजरें झूकी थी,पर हम गले मिले, उसकी स्थिती पर दुख जताया। कुछ देर इधर-उधर की बातें हुई। फिर मुझे उसने कहाँ,यार मैं अपना घर बेचने की सोच रहा हूँ। मुझे अपना घर बेचना है।

मैने उस से कहा,” यार तुम तो अपना घर वास्तु दोष मुक्त कर चुके हो,फिर क्यों बेचना है ? पता नही क्यों वह मुझे खा जाने वाली नजरों से घूरे जा रहा था। शायद मेरा कसा तंज गहरे असर कर दिया था ? मामला गंभीर हो चुका था! ऐसे में मुझे वहाँ से चुपचाप खिसकना ही बेहतर लगा!

एक बार की बात है,मैं एक घर के भूमी पूजन के अवसर पर गया था। पूजा के वक्त एक व्यक्ति पधारे, आते ही घर के वास्तु में दोष निकालनें लगे। पता चला कोई बडे वाले वास्तुशास्त्री है,वास्तु विशेषज्ञ है। नया घर और उसमे वास्तुदोष ? ऐसे में गृह स्वामी का भयभीत होना लाजमी था। वे डर गये,उनसे वास्तुदोष निवारण के उपाय पूछने लगे। मुझ से रहा ना गया,मैं पूछ बैठा,वास्तुशास्त्री जी इस घर के वास्तु में दोष क्या है ? पहले आप वह बतायें! मेरे सवाल से खूश वास्तुशास्त्री जी विजयी मुस्कान के साथ बताने लगे कि घर के उत्तर में भार है,उत्तर पूर्व दिशा में वजन नही होना चाहिए,गृह स्वामी के अकाल मृत्यु का भय बनाता है,व्यापार में हानि की राह निर्माण करता है और दक्षिण दिशा में जल का भंडार है,तरणताल है। मकान के दक्षिण में पानी की मौजूदगी हानी और अपयश का सूचक है।

मैं थोडा देर सोचता रहा फिर उनको जवाब दिया,”शास्त्री जी अगर ऐसा है तो हमारा पूरा भारत देश ही वास्तुदोष से ग्रसित है। भारत के उत्तर और उत्तर पूर्व में हिमालय पर्वत है,मतलब इस दिशा में भार है,वजन है और रही बात भारत के दक्षिण की तो इस ओर तो पूरा हिंद महासागर ही फैला है यानी अथाह जल ही जल है। तो इस तरह से तो भारत पूरा का पूरा वास्तुदोष देश है,इस मकान का तो समझ में भी आता है पर हमारे मुल्क का वास्तुदोष कैसे दूर करेगे आप ? कहना ना होगा कि वास्तुशास्त्री जी को कुछ बोलते न बन रहा था, चुपचाप खिसकना ही बेहतर समझे! उनके जाते ही गृह स्वामी ने राहत की सांस ली और मैं भोजन के काउंटर की तरफ बढ चुका था,भूख जो लगी थी।

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