मुंबई वार्ता संवाददाता

■ निजीकरण के कारण श्रमिकों का अस्तित्व खतरे में, भविष्य के संकटों की पहचान कर हमें उनसे लड़ना होगा ।
महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष हर्षवर्धन सपकाल ने कामगारों से अपील करते हुए कहा कि हमें शोषण पर आधारित इस व्यवस्था को समाप्त करने की आवश्यकता है और इसके लिए उन्हें भविष्य के संकटों की पहचान कर संगठित होकर लड़ना होगा।


उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र समेत पूरी देश में ट्रेड यूनियनें बहुत शक्तिशाली हुआ करती थीं और अगर वे अपने अधिकारों के लिए चक्का जाम करती थी तो सब कुछ बंद कर दिया जाता था, लेकिन अब ऐसा नहीं है। कई उद्योग बंद हो रहे हैं और जो बचे हैं वे आउटसोर्सिंग और ठेका पद्धति से श्रमिकों को काम पर रख रहे हैं, जिससे शोषण की दर बढ़ रही है। यह शोषण सिर्फ शहरों तक सीमित नहीं है बल्कि गांवों तक पहुंच गया है।
गुरुवार को राष्ट्रीय मजदूर कांग्रेस के राज्य स्तरीय सम्मेलन में बोलते हुए कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि पहले जो उद्योगपति थे, अब वे व्यापारी बन गए हैं. वे केवल लाभ के लिए काम कर रहे हैं और श्रमिकों के कल्याण से उनका कोई लेना-देना नहीं है। मोदी सरकार की मजदूर विरोधी नीतियों के कारण देश में अमीर और अमीर होते जा रहे हैं तथा गरीब और गरीब होते जा रहे हैं, लेकिन देश के प्रधानमंत्री को गरीबों की कोई चिंता नहीं है। प्रधानमंत्री का यह कहना काफी चिंताजनक है कि “क्या अमीरों का अमीर होना पाप है?”। इसका मतलब यह है कि नरेंद्र मोदी को गरीबों के कल्याण से कोई लेना-देना नहीं है।
हर्षवर्धन सपकाल ने कहा कि यह सरकार गरीब, मजदूर वर्ग और श्रमिकों के खिलाफ है।सपकाल ने कहा कि मोदी सरकार का शासन ‘दाल में थोड़ा काला’ वाला नहीं है, बल्कि पूरी दाल ही काली है। उनके इरादे झूठे हैं और उनके पास कोई नीति नहीं है। हमें ऐसी ताकतों से लड़ना होगा। नहीं,तो मजदूरों का शोषण होता रहेगा कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि लेकिन हम चुप नहीं बैठेंगे बल्कि एक बड़े एक्शन प्रोग्राम के साथ काम करेंगे, एक बड़ा आंदोलन खड़ा करेंगे।